- ये रसीले फल भी बन गए राजनीति करने के हथियार

- आम-लीची पर 27 पुलिसकर्मियों को किया गया है तैनात

PATNA : सीएम आवास के आम-लीची की मिठास दूर-दूर तक फैल रही है। राजनीतिक हलकों में इसकी खूब चर्चा है कि किसका आम, किसकी लीची? दोनों के पकने, टूटने का समय भी यही है। राजनीति में विलय की घोषणा कर दल नहीं जुट पाए। पर हां अपनी कमजोरी को पहचान कर लेफ्ट बिहार में एकजुट हो गया है।

बुधवार को जीतन राम मांझी की पार्टी ने आरोप लगाया कि आम-लीची पर ख्7 पुलिसकर्मियों को तैनात कर मांझी परिवार को इससे मरहूम किया जा रहा है तो दूसरी तरफ गुरुवार को सीएम नीतीश कुमार ने इस पर मुंह खोला और कहा कि मुझे आम की नहीं, अवाम की चिंता है। कहा कि निर्देश दिया गया है कि इन्हें तुड़वाकर जीतनराम मांझी को ही दे आइए। अगर कोई कीमत वगैरह का मामला आता है तो उसकी भी भरपाई अपनी तनख्वाह से कर देंगे।

आम और लीची की क्या गलती

एन अणे मार्ग को जीतन राम मांझी ने अभी तक नहीं छोड़ा है और नीतीश कुमार 7 सर्कुलर रोड में रह रहे हैं। इस आवास में काफी रुपए खर्च कर रेनोवेशन कराया गया है। ये मकान सीएम पोस्ट से हटने के बाद नीतीश कुमार के नाम से कर्णाकित भी है। इसी तरह जीतन राम मांझी के नाम से स्टैंड रोड में एम क्ख् मकान है। इसका भी रेनोवेशन हुआ है। आम और लीची की इसमें क्या गलती वह सीएम आवास में फल गया और पक रहा है। गड़बड़ी कहां है, ये राजनीति करने वाले सारे कार्यकर्ता समझ रहे हैं। एसपी स्तर सीनियर अफसर के अंडर में आम-लीची की निगरानी का जिम्मा बड़ी बात है। दलित सीएम का संबंध आम लीची से जोड़ना राजनीति की मर्यादा को धता बताना ही है। लोगों को पता है कि राजनीति आम लीची से नहीं चलती राजनीति आम लीची पर राजनीति से चलती है। आम, लीची की चर्चा के बीच एक ने कहा कि आम, लीची पक गए हैं राजनीति कब पकेगी?

आम लीची पर मेरा भी हक

एक्स सीएम जीतन राम मांझी ने कहा है कि उनके बंगले पर तैनात एक माली को लीची तोड़ने के कारण बिहार सरकार ने सस्पेंड कर दिया। कहा कि उन्होंने आज तक सीएम हाउस का आम और लीची नहीं खाया है, लेकिन जब तक सीएम आवास में हूं, वहां के फलों पर भी मेरा अधिकार है।

Posted By: Inextlive