RANCHI: सरकार ने शराब के कारोबार में उतरने से पहले एक बार भी विचार नहीं किया कि स्टेट का उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग इस कारोबार को संभाल पाने की स्थिति में भी है कि नहीं। खामियाजा यह भुगतना पड़ रहा है कि शराब की कालाबजारी जोरों पर है। इस पर रोक लगाने के लिए उत्पाद विभाग की टीम में मात्र 200 लोग (अधिकारी व कर्मी) हैं जिनपर 1000 करोड़ का शराब कारोबार थोप दिया गया है। और अब इन पर लगातार शराब कारोबार से लाभ अर्जित करने का दबाव बनाया जा रहा है। अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा कि शराब से लाभ कैसे अर्जित करें जब उसकी कालाबाजारी, चोरी और एमआरपी से ऊंचे दामों पर बिक्री तक रोक नहीं पा रहे हैं। तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, उपाय तलाशे जा रहे हैं, लेकिन नतीजा सिफर है।

1981 के बाद नहीं हुई बहाली

उत्पाद विभाग में 1981 के बाद बहाली नहीं हुई है। इस संबंध में कई बार विभाग की तरफ से सरकार को पत्र लिखा गया है, लेकिन इसपर कोई काम नहीं होता। विभाग पहले ही कर्मियों की कमी से जूझ रहा था उसपर शराब का पूरा कारोबार ही विभाग पर थोप दिया गया।

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आधे से ज्यादा पद खाली

उत्पाद विभाग को सुचारू रूप से चलाने के लिए जितने स्वीकृत पद हैं, उनमें आधे से ज्यादा पद खाली हैं। सब इंस्पेक्टर के कुल 75 स्वीकृत पदों पर मात्र 34 कार्यरत हैं। इनमें भी कई रिटायर होने वाले हैं। असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद पर 52 लोग होने चाहिए, लेकिन आधे से भी कम मात्र 23 लोगों से काम लिया जा रहा है। अधिकारियों के इस जबरदस्त टोटा के कारण राज्य भर में उत्पाद विभाग के अधिकारियों व कर्मियों पर काम का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

सिपाहियों का टोटा, कैसे मारें रेड

विभाग में सिपाहियों का भारी अभाव है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अभी राज्य भर में उत्पाद विभाग के मात्र 94 सिपाही हैं, जबकि कुल 622 सिपाहियों की जरूरत है। इसको लेकर 22 दिसम्बर 2017 को उत्पाद विभाग के पत्रांक 2315 द्वारा 518 सिपाहियों की नियुक्ति के संबंध में कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग से अधियाचना की गई है। सिपाहियों, अधिकारियों की इतनी बड़ी कमी से जूझ रहे विभाग के लोग आखिर शिकायतों पर कार्रवाई कैसे करें, रेड कैसे मारें, जब बल ही नहीं है।

800 से ज्यादा दुकानें, कैसे रखें नजर

पूरे स्टेट में शराब की 800 से अधिक दुकानें हैं। इन दुकानों पर नजर रखने के लिए 200 अधिकारियों व कर्मियों की टीम दिनरात काम कर रही है, लेकिन उसके बावजूद शराब कारोबार में लगातार घाटा हो रहा है।

शिकायतों से भरा कारोबार बेकाबू

विभागीय अधिकारी मानते हैं कि शराब कारोबार की शिकायतों को दूर करने के लिए विभाग के पास पर्याप्त बल की कमी है। शराब माफिया भी यह बात जानते हैं कि आखिर इतनी छोटी टीम कहां-कहां नजर रखेगी। यही कारण है कि एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बेची जा रही है, अवैध तरीके से शराब ढाबों और होटलों में पहुंचाई जा रही है साथ ही दूसरे राज्यों की शराब भी झारखंड में धड़ल्ले से बेची जा रही है।

वर्जन

विभाग में काम करने वाले लोगों की भारी कमी है। बहाली के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पर्याप्त बल होगा, तभी रेड से लेकर कंट्रोल तक संभव हो पाएगा। इसपर काम जारी है और उत्पाद विभाग लगातार सरकार के साथ सम्पर्क बनाए हुए है।

-भोर सिंह यादव, आयुक्त, उत्पाद विभाग, झारखंड

Posted By: Inextlive