जहां एक तरफ चुनाव सामने हैं वहीं दूसरी ओर 15 अप्रैल से सहालग भी शुरू होने वाली है। ऐसे में आचार संहिता के तहत बिना लेखा-जोखा नकदी ले जाने की पाबंदी बाजार पर भारी पडऩे वाली है।


-चुनाव के मद्देनजर लागू आचार संहिता के तहत बिना लेखा-जोखा अधिकतम 50 हजार तक की नकदी ले जाने की अनुमति - बाजारों में पसरा सन्नाटा, व्यापारियों में भारी असंतोष

lucknow@inext.co.inLUCKNOW: सहालग के लिये बाजार तो सजकर तैयार हैं, लेकिन उससे ग्राहकों की दूरी व्यापारियों को बेचैन कर रही है। आशंका है कि अगर इसी तरह ग्राहकों ने बाजार से बेरुखी बनाए रखी तो पूरे सीजन का व्यापार चौपट हो सकता है। इसी आशंका के चलते व्यापारियों में इन दिनों हाहाकार मचा है। ऐसे में व्यापारी नेताओं की मांग है कि नकदी ले जाने की सीमा को बढ़ाने को लेकर चुनाव आयोग फिर से विचार करे।क्च छोटे व्यापारियों पर ज्यादा असर


चुनाव आयोग के निर्देश का छोटे व्यापारियों पर असर पडऩा तय है। दरअसल, सरकार ने जीएसटी में 40 लाख रुपये तक टर्नओवर वाले व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन से छूट दे रखी है। लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र कहते हैं कि जहां एक तरफ सरकार 40 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी में छूट देती है वहीं, चुनाव आयोग की पाबंदी के बाद यह व्यापारी कैसे व्यापार करेंगे। यह व्यापारी अब दुकान के लिये सामान किस तरह खरीदेंगे या फिर बेचेंगे। उन्होंने कहा कि राजधानी में आसपास के जिलों से ग्राहक व छोटे दुकानदार सामान खरीदने आते हैं। यह सभी नकद रकम से ही सामान खरीदते हैं। ऐसे में 50 हजार रुपये नकद की सीमा बेहद कम है। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की बंदिश का असर बाजार पर साफ दिखने लगा है। बाजारों में पसरा सन्नाटा इसकी गवाही खुद-ब-खुद दे रहा है। शादी-ब्याह की खरीदारी पर मंडरा रहा संकट

उत्तर प्रदेश युवा उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल और लखनऊ कपड़ा व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने बताया कि राजधानी के आसपास के करीब 20 जिलों से लोग शादी-ब्याह की खरीदारी करने के लिये लखनऊ आते हैं। वजह भी साफ है, लखनऊ में आज भी शादी से रिलेटेड सामानों मसलन लहंगा, ज्वैलरी, कपड़े, बर्तन व अन्य शादी में इस्तेमाल होने वाला सामान क्वालिटी व रेट में बेहतर है। उन्होंने कहा कि आज महंगाई के दौर में कौन खरीदार सिर्फ 50 हजार रुपये की खरीदारी करता है। अगर प्लास्टिक मनी की बात करें तो राजधानी को हटा दिया जाए तो आसपास के जिलों में डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है। मोतियानी कहते हैं कि अगर चुनाव के दौरान 50 हजार तक नकद ले जाने की सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो इस सीजन में व्यापार का चौपट होना तय है। शादी की इन तारीखों पर संकट के बादलअप्रैल: 15,16,17,18,19,20,21,22,23,24 व 26मई: 1,2,6,7,8,12,14,15,17,18,19,20,21 व 23सहालग के वक्त चुनाव आयोग की 50 हजार रुपये तक नकद ले जाने की छूट व्यवहारिक नहीं है। इस वक्त बाजार में बड़ी मात्रा में खरीदारी होती है। लेकिन, इस बंदिश की वजह से व्यापार पर असर पड़ रहा है। संगठन ने जिला निर्वाचन अधिकारी से इस मामले में छूट देने की अपील की है। अमरनाथ मिश्र, वरिष्ठ महामंत्री, लखनऊ व्यापार मंडलचुनाव आयोग को आम जनता को भी ध्यान में रखकर नियम बनाने चाहिये। रकम लेकर चलने का नियम लागू ही करना है तो राजनीतिक पार्टियों व उनके नेताओं पर लागू हो। सहालग की वजह से व्यापारियों ने दुकानों में भारी मात्रा में माल भर रखा है। अगर बाजार का यही हाल रहा तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। संजय गुप्ता, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडलवोटिंग के दिन शादी है तो प्रशासन से अनुमति, नहीं होगी दिक्कत

शादी ब्याह के लिये राजधानी के साथ ही आसपास के जिलों से लोग कैश लेकर खरीदारी करने के लिये आते हैं। चुनाव आयोग के नियम की वजह से यह ग्राहक बाजार नहीं पहुंच रहे। जिसकी वजह से व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। हालात नहीं बदले तो इस बार व्यापार चौपट हो जाएगा। अशोक मोतियानी, अध्यक्ष, लखनऊ कपड़ा व्यापार मंडल

Posted By: Shweta Mishra