मार्स ऑब्जर्वर आज ही के दिन यानी कि 25 सितंबर को लॉन्च हुआ था। इसका उद्देश्य था मंगल की पड़ताल करना।

कानपुर। मंगल की पड़ताल करने के लिए मार्स ऑब्जर्वर को अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी 'नासा' ने 26 साल पहले आज ही के दिन यानी कि 25 सितंबर, 1992 को फ्लोरिडा में लॉन्च किया था। मार्स ऑब्जर्वर एक कमर्शियल अर्थ ऑर्बिटिंग स्पेसक्राफ्ट की टेक्नोलॉजी पर आधारित था। नासा के आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इसे खासकर मंगल ग्रह का अध्ययन करने और उसके सतह की अच्छी सी तस्वीर निकालने के लिए डिजाइन किया गया था। हालांकि यह सफल नहीं हो पाया था।
कई जानकारियां मिलीं
दरअसल, नासा का यह मार्स ऑब्जर्वर मंगल ग्रह पर ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया था। कहते हैं कि मंगल ग्रह के चारों ओर कक्षा में प्रवेश करने से पहले ही नासा का इस अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया था और 22 अगस्त, 1993 को यह मिशन समाप्त हो गया था। इस मिशन से नासा को कोई फायदा नहीं हुआ और इससे कोई खास जानकारी भी निकलकर सामने नहीं आ पाई। इसके बाद मंगल की पड़ताल करने के लिए नासा ने 4 दिसंबर, 1996 को 'मार्स पाथफाइंडर' नाम का स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था। नासा का यह मिशन सफल हो गया था। मार्स पाथफाइंडर स्पेसक्राफ्ट में लैंडर और सोजोरनर रोवर शामिल थे और इस स्पेसक्राफ्ट से नासा को मंगल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली थीं।
मंगल पर ले जाने की ट्रेनिंग
बता दें कि नासा 2030 में मंगल पर इंसान को ले जाने और वहां रुकने की व्यवस्था बनाने की योजना पर काम कर रहा है। हालांकि, मनुष्य नासा के किस यान से मंगल ग्रह पर जायेंगे, इसके बारे में फिलहाल खुलासा नहीं हो पाया है लेकिन कुछ खबरों से यह पता चला है कि नासा ने एक 17 साल की एलेसा कार्सन को मंगल ग्रह पर ले जाने के लिए अभी से ही स्पेस ट्रेनिंग देना भी शुरू कर दिया है।

17 साल की ये लड़की मंगल पर जाने वाली पहली इंसान होगी! तभी तो नासा के साथ जुटी है मिशन की तैयारी में

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Posted By: Mukul Kumar