-कर्पूरी ठाकुर संग्रहालय देखने की फुर्सत नहीं है बगल में बैठने वाले आर्ट एंड कल्चर मिनिस्टर को

-आई नेक्स्ट ने देखा कैसे बिरनी का छत्ता आलमारी की पहरेदारी कर रहा है

PATNA: कर्पूरी ठाकुर ने वषरें तक बिहार की राजनीति को प्रभावित किया। उनकी राजनीतिक धारा का असर अभी भी बिहार की राजनीति पर है। कर्पूरी ठाकुर समृति संग्रहालय को आर्ट एंड कल्चर डिपार्टमेंट संचालित करता है। ये संग्रहालय पटना के क्, देशरत्न मार्ग पर है। यानी कला संस्कृति मिनिस्टर विनय बिहारी के सेक्रेटेरिएट के आफिस से महज आधा कि.मी। की दूरी पर।

बाहर से चकाचक है संग्रहालय

इस संग्रहालय के पास से जब आप गुजरेंगे तो आपको दिखेगा सरकार ने कर्पूरी जी का कितना ख्याल रखा है। बाहर से चकाचक दिखता है ये संग्रहालय। जैसे अंदर प्रवेश करेंगे आपको कर्पूरी जी की मूर्ति मिलेगी। उनके पीछे गुलाबों का बाग और वहां आती गुलाब की खुशबू। एक छोटी सी पहाड़ी बनाई गई है यहां पर। संग्रहालय के कमरे में प्रवेश करते ही आप देखेंगे कर्पूरी जी का चश्मा, कपड़े, चाबी, कई पत्र व कई तस्वीरें सहित अनेक चीजें।

अंदर कर्मी से ज्यादा बाहर सेक्यूरिटी

संग्रहालय में 8 कमरे ऊपर हैं और दो गैलरी नीचे है। एक अध्यक्ष हैं। एक हेड कलर्क हैं और एक नए स्टाफ हैं। यानी कुल तीन हैं। दूसरी तरफ चार प्राइवेट गार्ड हैं। पांच होमगार्ड हैं। जिला पुलिस के दो गार्ड हैं। कुल क्क् जवान सिक्यूरिटी में लगे हैं।

आई नेक्स्ट ने देखा कर्पूरी जी का कमरा

कर्पूरी जी इसी कमरे में रहते थे। कमरे में सिंगल पलंग है। जिस पर गद्दा है। सफेद चादर है। बगल में वह टेबल है जिस पर कर्पूरी लिखा करते थे। लेकिन टेबल के ड्रोवर में कर्मियों के सामान हैं। मर्करी का चॉक है। यानी आलतू-फालतू चीजें इसमें रख दी जाती हैं कई बार। कर्मी अपने सामान रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। ऊपर की ओर जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ी है। ऊपर कर्पूरी जी की लाइब्रेरी की किताबें रखी गई हैं कई कमरों में। बिहार विधान सभा की फाइल और उसमें कर्पूरी जी के कई कागजात हैं आलमारी में। बगल के कमरे में क्या है? आई नेक्स्ट ने पूछा?

उधर बिर्नी का छत्ता है मत जाइए

हमें रोका गया उधर मत जाइए। उधर बिर्नी का खतरनाक छत्ता है। लेकिन आई नेक्स्ट ने दरवाजा खोला। अंदर स्वीच ऑन किया। बल्ब जला और लकड़ी की आलमीरा दिखी। कहा गया मत खोलिए इसे। इसमें कुछ नहीं है। हमने खोला आलमीरा का दरवाजा। दरवाजा खोलने पर जो दिखा वो हैरत में डालने वाला था।

आलमीरा में सड़ रहे हैं कर्पूरी के कागजात

ये कर्पूरी के कागजात हैं। लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नहीं। आप ये भी कह सकते हैं कि इसे देखने वाला है इसलिए यहां बिरनी का छत्ता है। या कहें कि जहां बिरनी का छत्ता है उसी के पास ये आलमीरा रखी गई है जिसमें कागजात सड़ रहे हैं। पीले पड़ चुके ये कागजात लगभग सड़ चुके हैं। लगता है दीमकों ने भी उसे चाटा है। पुराने कागजात जब बरसात के पानी में भीग जाते हैं उसी तरह के हो गए हैं। वैसी ही महक भी आ रही है इसमें से। ये उस व्यवस्था की महक है जो बाहर से दिखाता है कि कर्पूरी जी का म्यूजियम कितना खूबसूरत है। आकर्षक है। आपकी ही तरह हमारे भी मन में ये सवाल उठा कि आखिर आर्ट एंड कल्चर मिनिस्टर को इधर आने की फुर्सत क्यों नहीं है। आलमीरा के बगल में है बिरनी का छत्ता।

सवाल ये भी है

सवाल ये भी कि इस आलमारी को खोलने की फुर्सत बाकी किसी अफसर को भी क्यों नहीं है। ये संग्रहालय जहां है वहीं से सड़क आगे राजभवन और सीएम हाउस की ओर जाती है। सड़क के दोनों तरफ मंत्रियों का आवास भी है। आर्ट एंड कल्चर मिनिस्टर को कितनी फुर्सत है पास के संग्रहालय का हाल देखने की, ये बिरनी के छत्ते के बगल वाली आलमारी बताती है।

कर्पूरी ठाकुर के बारे में

डॉ। राम मनोहर लोहिया का उन पर बड़ा असर था.क्97म् में पहली संविद सरकार में वे उपमुख्यमंत्री बने और क्97क् में दूसरी संविद सरकार में मुख्यमंत्री चुने गए। 7 मई क्97ब् को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर कर्पूरी ठाकुर ने बिहार विधान सभा भंग कर देने की मांग की और स्वयं विधायक दल से इस्तीफा दे दिया। पूरे आपातकाल के दौरान कर्पूरी ठाकुर भूमिगत रहकर, आंदोलन का नेतृत्व करते रहे और अंत में पटना के गांधी मैदान में जेपी की फ्0 जनवरी क्977 की सभा में जनता के समक्ष प्रकट हुए। पुलिस इस के पहले उन्हें पकड़ नहीं सकी। मार्च क्977 को बिहार की सेवा में लौट आए और क्979 के अप्रील तक मुख्यमंत्री बने रहे। क्980 और क्98भ् के चुनावों में उन्हें पर्याप्त स्थान मिला और वे विधान सभा में विपक्ष के नेता चुने गए।

केमिकल्स प्रीजर्वेशन के लिए प्रपोजल आर्ट एंड कल्चर डिपार्टमेंट को भेजा गया है। वस्त्र दीर्घा अलग बनाने, सुलभ शौचालय और पेयजल की व्यवस्था करने का प्रपोजल भेजा गया है। प्रतिमा परिभ्रमण पथ चौड़ी करने और स्टील फ्रेमिंग सहित कर्पूरी ठाकुर पर डक्यूमेंट्री बनाने का प्रपोजल भी है।

-डॉ। आर के राय, अध्यक्ष, कर्पूरी ठाकुर समृति संग्रहालय

Posted By: Inextlive