- एमसीआई ने डिरिकग्नाइज किया तीन मेडिकल कॉलेजों की डिग्री

-इंफ्रास्ट्रक्चर और लापरवाही बनी वजह, सैकड़ों स्टूडेंट्स का फ्यूचर अफेक्टेड

-पीएमसीएच में आई डिप्लोमा कोर्स भी डिरिकग्नाइज

PATNA(3 Sep): एमसीआई ने आईजीआईएमएस, एनएमसीएच और डीएमसीएच के कुछ मेडिकल कोर्सेज को डिरिकोग्नाइज कर दिया है। इससे जहां एक ओर मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का शोर थमा है, वहीं दूसरी ओर इन कॉलेजों की कमियां एक बार फिर से उजागर हो गयी हैं। आईजीआईएमएस में एमडी एनीस्थिसियोलॉजी, एनएमसीएच के एमडी फारेंसिक मेडिसीन और डीएमसीएच में डिप्लोमा इन आप्थालेमालोजी मास्टर सर्जरी (डीओएमएस) का कोर्स एमसीआई ने डिरिकोग्नाइज किया है। आईजीआईएमएस के कोर्स में तीन, एनएमसीएच के कोर्स में दो और डीएमसीएच में क्ख् सीटें हैं। इन सभी मामलों में मेडिकल इंस्टीट्यूट के आफिसियल का कहना है कि इन कोर्सेस के लिए अगले साल रिकोग्निशन के लिए अप्लाय करेंगे।

पुअर इंफ्रास्ट्रक्चर और लापरवाही

यह बात तो अभी एमसीआई कह रहा है लेकिन डिग्री डिरिकोग्नाइज है यह जानते हुए भी आईजीआईएमएस में डिग्री चालू कर दी गयी है। एमडी एनेस्थिसियोलॉजी में क्लासेज एक सितंबर से शुरू की गयी है। एमसीआई ने अपने ऑब्जर्वेशन में बताया कि यहां ओटी की कंडीशन स्टैंडर्ड से बहुत नीचे है। यह हालत आब्स्ट्रेटिक एंड गाइनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में है। इसके साथ ही डिलेवरीज और एनेस्थिसिया का भी यहां कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है। सिर्फ यही नहीं, आईसीयू में इक्यूपमेंट भी इनएडीक्वेट है। साथ ही लाइब्रेरी की कंडीशन भी खराब है।

एकेडमिक एक्टिविटीज रही ठप

एनएमसीएच में एकेडमिक एक्टिविटीज ठप रही हैं। यह वजह एमसीआई ने दिया है एनएमसीएच की कोर्स को डिरिकोग्नाइज करने में। इसमें कहा गया है कि फारेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में बीते तीन साल में कोई जर्नल पब्लिश नहीं किया गया है। वहीं लाइब्रेरी की बुक्स की कमी और एक्सटर्नल टीचर्स को होम स्टेट से बुलाने पर एमसीआई ने आपत्ति की है। इस संबंध में एनएमसीएच की प्रिंसिपल डॉ शिवकुमारी प्रसाद का कहना है कि जिन मुद्दों पर डिरिकोग्नाइज किया गया है। उसे दूर कर अगले साल इंस्पेक्शन में रिकोग्नाइज कराया जाएगा। वहीं डीएमसीएच के आई डिपार्टमेंट में सर्जरी में मास्टर डिग्री (डीओएमएस) में क्ख् सीटों के स्टूडेंट्स का फ्यूचर भी अधर में अटक गया है।

आई डिपार्टमेंट का डिप्लोमा डिरिकग्नाइज

यह आश्चर्यजनक लेकिन सच है कि पीएमसीएच में पीजी कोर्सेस की शुरुआत क्9फ्ख् से ही शुरू है, तब इंडिया के गिने-चुने मेडिकल कॉलेजों में पीएमसीएच का नाम आता था। उस समय से ही यहां आई डिपार्टमेंट में पीजी कोर्सेस चलाया जा रहा है। लेकिन तब से ही यह रिकोग्नाइज नहीं है। आई डिपार्टमेंट के डॉक्टरों का कहना है कि पहले रिकोग्निशन लेने की जरूरत नहीं पड़ती थी और जब जरूरत पड़ने लगी, तब किसी ने इसके लिए अप्लाय ही नहीं किया। नतीजतन यहां का डिप्लोमा कोर्स रिकोग्नाइज नहीं है। इसमें फिलहाल नौ स्टूडेंट्स इनरॉल्ड हैं। इस संबंध में डिपार्टमेंट के हेड डॉ उमेश प्रसाद सिन्हा का कहना है कि पहले इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी थी अभी यह रिकोग्निशन के लिए तैयार है। मेरा प्रयास होगा कि इसे अगले साल तक रिकोग्निशन दिलाया जा सके।

पास-आउट हो गए हैं परेशान

पीएमसीएच के आई डिपार्टमेंट से डिप्लोमा करने वालों की एक बड़ी तादाद कहीं न कहीं जॉब कर रही है, लेकिन बात जब उनके करियर ग्रोथ की आती है तो स्थिति दयनीय हो जाती है। इस बारे में स्वंय डिपार्टमेंट के हेड इस बात को स्वीकार करते हैं कि उन्हें सीनियर पास-आउट के फोन आते हैं कि इसे कब रिकोग्नाइज किया जाएगा। क्योंकि किसी को इसकी वजह से प्रमोशन नहीें मिल रहा, किसी को स्पेशलिस्ट आफिसर का पद नहीं मिल रहा तो कहीं हर महीने प्रमोशन न मिलने से हजारों रुपये का नुकसान सहना पड़ रहा है। एक केस ऐसा है जिसे सीएमओ के लिए इसी वजह से प्रमोट नहीं किया जा रहा है। ख्0क्ब् के पास-आउट भी इस बारे में बार-बार जानकारी लेते रहते हैं।

Posted By: Inextlive