फर्जी रजिस्ट्री खारिज कराने के लिए एमडीए जाएगा कोर्ट
लोहियानगर योजना में फर्जी रजिस्ट्री में दो गए जेल
प्राधिकरण में फाइलों की फिर से तलाश हुई शुरू Meerut। फर्जी रजिस्ट्री कांड में दो कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद मेरठ विकास प्राधिकरण उक्त फर्जी रजिस्ट्रियों को खारिज कराने के लिए सिविल कोर्ट जाएगा। कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार के निर्देश पर प्राधिकरण के अफसर शुक्रवार को दिनभर दस्तावेज खंगालते रहे। फर्जी आवंटियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जमीन तैयार की जा रही है। 24 रजिस्ट्रियों की जांच कमिश्नर के निर्देश पर एमडीए ने लोहियानगर आवासीय योजना की करीब 24 संदिग्ध रजिस्ट्रियों का परीक्षण किया था। इसके लिए कमिश्नर के आदेश पर बनी कमेटी में तत्कालीन वित्त एवं लेखाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह यादव, तहसीलदार मनोज कुमार सिंह, संयुक्त सचिव अजय कुमार शामिल थे। एमडीए जाएगा कोर्टसचिव ने बताया कि प्रथम प्रक्रिया के तहत प्राधिकरण 5 फर्जी रजिस्ट्रियों को रद्द कराने के लिए सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराएगा। इसके बाद अन्य 19 रजिस्ट्री के लिए खरीदार और विक्रेता द्वारा रजिस्ट्री कार्यालय में लगाए गए दस्तावेजों का भी परीक्षण कराया जाएगा। परीक्षण में यदि दस्तावेजों में कमियां पाई गई तो प्राधिकरण इन रजिस्ट्री दस्तावेजों को खारिज कराने के लिए भी मुकदमा (वाद) दायर करेगा।
जेल गए एमडीए कर्मीलोहिया नगर में प्लाटों की फर्जी रजिस्ट्री मामले में गिरफ्तार हुए एमडीए के रिटायर क्लर्क तारा चंद्र और मौजूदा क्लर्क शिव गोपाल वाजपेयी को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया। वहीं आरोपी तीसरी महिला क्लर्क रजनी कनौजिया की तलाश में पुलिस ने ताबड़तोड़ दबिश डाली। लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा।
एमडीए फर्जी रजिस्ट्री को निरस्त कराने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर करेगा। अधीनस्थों को सभी फर्जी रजिस्ट्रियों के संबंध में दस्तावेज जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। राजकुमार, सचिव, एमडीए यह हुआ एक्शन 1. जांच में दोषी पाई गई महिला कर्मचारी रजनी कन्नौजिया को बर्खास्तगी का नोटिस दिया जा चुका है। 2. कर्मचारी शिव गोपाल वाजपेयी हुआ निलंबित। 3. रिटायर्ड कर्मचारी तारा सिंह की पेंशन पर रोक के लिए ट्रेजरी को लिखा जा रहा है। (एमडीए सचिव राजकुमार के मुताबिक) मिलीभगत का खेलएमडीए के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रियों का खेल किस कदर फल-फूल रहा है, इसका खुलासा कमिश्नर की ओर से बनाई टीम की जांच में हुआ। करीब 5 ऐसी रजिस्ट्रियां मिलीं, जिनमें मूल आवंटी को पेश किए बिना ही रजिस्ट्री करा ली गई। इसके लिए फर्जी दस्तावेजों के सहारे डमी आवंटी पेश कर दिए गए। 19 रजिस्ट्री ऐसी मिलीं, जिन्हें मूल दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर तैयार कराया गया। उधर, दलालों की धरपकड़ के लिए सचिव ने सभी जोनल प्रभारियों को शिकायतों को संज्ञान में लेकर फाइलों की जांच के आदेश दिए हैं।