- विद्युत वितरण अपग्रेडेशन में 8.18 करोड़ का घोटाला

- दोगुनी दरों पर लगाए केबिल, सरकार को साढ़े आठ करोड़ का लगाया चूना

- पूर्व मंत्री लाल वर्मा, सीएंडडीएस के मुख्य अभियंता एनपी सिंह पर घोटाले का आरोप

LUCKNOW: संजय गांधी पीजीआई में विद्युत वितरण अपग्रेडेशन में एचटी व एलटी केबिल लगाने में करोड़ों की धांधली सामने आई है। मामले की शिकायत लोकायुक्त तक पहुंची तो जांच में करोड़ों के घोटाले की परते खुलती चली गई। लोकायुक्त ने गृह सचिव को भेजी अपनी रिपोर्ट में आरोपी घोटाले बाजों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करने, करोड़ों रूपए के गबन की वसूली करने और फ् माह में रिपोर्ट देने को कहा है।

क्या है मामला

संजय गांधी पीजीआई में विद्युत वितरण व्यवस्था का उच्चीकरण होना था। जिसके लिए संस्थान ने ख्0क्0 अगस्त में फ्भ्ब्0.ख्ख् लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया। तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा ने इसके लिए सीएंड डीएस को कार्यदायी संस्था बनाया। जिसने पीजीआई में यह काम किया। लेकिन इतने बड़े काम के लिए सीएंडडीएस ने न तो विज्ञापन निकाला और न ही टेंडर जारी किया। सीधे-सीधे कई गुना अधिक दामों पर केबिल खरीद कर काम कराया गया। इससे लगभग 8 करोड़ का घोटाला किया गया। अगर टेंडर प्रक्रिया अपनाकर काम कराया गया होता तो कुल राशि में से भ्फ् परसेंट (8,क्8,भ्7,ब्0म् रुपए) राशि बचाई जा सकती थी।

लालजी वर्मा भी घिरे

तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा भी इस घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। लालजी वर्मा ने अन्य सरकारी निगमों से तुलना किए बगैर सीएंड डीएस को कार्यदायी संस्था बना दिया। जबकि इसे कार्यदायी संस्था बनाने से पहले इसके पूर्व के कामों, दूसरी निर्माण कर्ता कम्पनियों से तुलना करके जिसके रेट्स कम हो, उसे काम दिया जाता है। उन्होंने ऐसा न करके सीधे सीधे करोड़ों के घोटाले के लिए सीएंडडीएस को कार्यदायी संस्था बना दिया।

कितने का हुआ घोटाला?

सीएंडडीएस ने क्8,क्भ्8 मीटर एचटी केबिल फ्7म्7 प्रति मीटर की दर से लगभग 8 करोड़ में खरीदा गया। वहीं फ्0भ्भ्ब् मीटर एलटी केबिल 9 करोड़ ख्फ् लाख रुपए में लगाया गया। वह भी बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए। लोकायुक्त का कहना है कि यदि सीएंड डीएस ने निर्माता कम्पनी से विज्ञापन निकाल कर या पत्र भेजकर कुटेशन टेंडर मांगे होते तो एलटी केबिल के कार्य में भ्क् परसेंट (फ्,म्ख्,म्0,7क्ख् रुपए) और एचटी केबिल में भ्फ् (ब्,भ्भ्,9म्,म्9फ् रुपए) परसेंट की बचत होती।

एनपी सिंह सीधे जिम्मेदार

इस पूरे घोटाले में सीएंड डीएस के मुख्य अभियंता सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। लोकायुक्त की रिपोर्ट में कहा है कि एनपी सिंह ने एचटी केबिल पर भ्फ् प्रतिशत फ्,म्ख्,म्0,7क्ख् रुपए और एलटी केबिल पर भ्क् परसेंट धनराशि ब्,भ्भ्,9म्,म्9फ् रुपए का गबन कर स्वयं और ठेकेदार कम्पनी मेसर्स जेबी टेस्ट एंड कमीशनिंग को अनुचित लाभ पहुंचाया। लोकायुक्त ने साफ साफ लिखा है कि इतनी बड़ी धनराशि का सीएंडडीएस के चीफ इंजीनियर ने स्वयं को, तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री को और ठेकेदार कम्पनी मे। जेबी टेस्ट एंड कमीशनिंग को नियमों के खिलाफ कार्य करके अनुचित लाभ पहुंचाया और मे। जेबी टेस्ट एंड कमीशनिंग को काम देने के लिए हैवेल्स इंडिया के फर्जी अभिलेख तैयार किए।

फर्जी बिल के साथ फर्जी आदमी

सीएंडडीएस के मुख्य अभियंता एनपी सिंह ने हैवेल्स इंडिया के जो कुटेशन और वर्क आर्डर दाखिल किए हैं वह भी सब फर्जी निकले। हैवेल्स इंडिया के ब्रांच मैनेजर से कुटेशन या वर्क आर्डर देने से ही इनकार कर दिया। ब्रांच मैनेजर ने लोकायुक्त को लिखित में सूचना दी है कि जिस ब्रांच मैनेजर विक्रांत मिश्रा के नाम से एनपी सिंह ने कुटेशन या वर्क आर्डर प्राप्त करने की बात कही है वह सभी अभिलेख फर्जी हैं।

लोकायुक्त ने की संस्तुति

क्। बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए काम कराने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा क्फ्(ख्) और भारतीय दंड विधान की धारा ब्म्8 के अंतर्गत अभियोजन चलाए जाने के लिए किसी आपराधिक एजेन्सी को अपराध पंजीकृत अभियोजन चलाए जाने का आदेश दिया जाए।

ख्। सीएंडडीएस के चीफ इंजीनियर एनपी सिंह व कार्यदायी संस्थान सीएंडडीएस से 8 करोड़ क्फ् लाख भ्7 हजार की वसूली की जाए।

फ्। चिकित्सा शिक्षा विभाग सीएंडडीएस के चीफ इंजीनियर को ख्0क्0 से शुरू हुए काम को पूरा करके स्वीकृत बजट का पूरा हिसाब दाखिल करे और शेष बजट को राजकोष में जल्द से जल्द जमा करे।

ब्। यूपी सचिवालय के वित्त व्यय समिति को निर्देशित किया जाए कि कार्यदायी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्यो जिसमें बिजली के समान की खरीद के लिए बजट आवंटित हो, उसका बजट आंकलन करने से पहले प्राइस लिस्ट और उनके द्वारा दिए गए डिस्काउंट और लोक निर्माण विभाग द्वारा अनुमोदित दरों को ध्यान में रखकर ही बजट स्वीकृत किया जाए। ताकि सरकार की बड़ी धनराशि दुरूपयोग होने से बचाई जा सके।

भ्। सभी विभागों द्वारा कार्यदायी संस्थाओं के चयन की कोई पारदर्शी प्रक्रिया निर्धारित की जाए ताकि कोई भी विभाग अनुचित रूप से लाभान्वित होकर राज्य सरकार की निर्माण एजेंसियों का चयन बिना पारदर्शी प्रक्रिया के न कर सकें।

म्। पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से ही कार्य आवंटित कर काम कराए जाएं।

इसमें 8 करोड़ की कमीशन खोरी सामने आई है। मैने अपनी रिपोर्ट व सिफारिशे सरकार को भेज दी हैं। विद्युतीकरण का कार्य सभी कारपोरेशनों में गहन जांच होना चाहिए। ऐसी ही मामला स्मारक घोटाले में सामने आया था लेकिन मेरे लिए जांच का विषय नहीं था इसलिए आगे नहीं किया था।

एनके मेहरोत्रा, लोकायुक्त

Posted By: Inextlive