- यूरोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया की सीएमई

- 70-80 परसेंट केसेज में वाइफ ही देती हैं किडनी

LUCKNOW: पेशेंट और किडनी डोनर का ब्लड ग्रुप मैच न होने पर भी किडनी ट्रांसप्लांट मुमकिन है। संजय गांधी पीजीआई में अब तक ऐसे क्भ् मरीजों में सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। सिर्फ इसमें बड़ी समस्या यही है कि सामान्य की अपेक्षा इसमें तीन गुना ज्यादा खर्च आता है। लेकिन जिनके पास रुपए की दिक्कत नहीं है, उनके लिए यह बहुत अच्छी खबर है। संजय गांधी यूरोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया और एसजीपीजीआई के संयुक्त तत्वावधान में 'रीनल ट्रांसप्लांटेशन कांसेसनेस एंड कंट्रोवर्सी' विषय पर आयोजित कांटीनुअल मेडिकल एजूकेशन (सीएमई) के दौरान ये जानकारी डॉ। अनीस श्रीवास्तव ने दी।

80 परसेंट वाइफ ही देती हैं किडनी

एसजीपीजीआई के ट्रांसप्लांट सर्जरी और यूरोलॉजी विभाग के डॉ। अनीस श्रीवास्तव ने बताया कि ब्लड ग्रुप न मिलने के बावजूद ट्रांसप्लांट कराने से पेशेंट्स को फायदा हुआ है। 70 से 80 परसेंट केसेज में वाइफ ही पेशेंट को किडनी डोनेट करती हैं। लेकिन ब्लड ग्रुप मैच न होने पर ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता। जिसके कारण किसी और से किडनी लेना पड़ता है लेकिन देने के इच्छुक किसी का ब्लड ग्रुप मैच न हुआ तो जिंदगी भर डायलिसिस पर ही रहना पड़ता है। लेकिन अब उनका भी ट्रांसप्लांट हो सकता है। ब्लड ग्रुप मैच न होने पर ट्रांसप्लांट का खर्च लगभग तीन गुना बढ़ जाता है। एसजीपीजीआई में अभी तक ऐसे क्भ् ट्रांसप्लांट हुए हैं जो सभी सफल रहे हैं। अंगों की कमी को देखते हुए ये तकनीक मरीजों के हित में है।

सिर्फ पीजीआई में ही ट्रांसप्लांट की सुविधा

अभी तक यूपी में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए संजय गांधी पीजीआई ही एकलौता संस्थान है। बीएचयू आईएमएस में ट्रांसप्लांट शुरू होकर बंद हो चुका है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और डॉ। राम मनोहर लोहिया संस्थान भी किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। डॉ। अनीस श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल पीजीआई में क्ख्भ् किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं। अभी एक एक मरीज को लगभग म् माह तक इंतजार करना पड़ता है। संख्या बढ़ाने के लिए ऑपरेशन थिएटर और टीम बढ़ाई जा रही है।

नहीं मिलते कैडेवर

प्रो। राकेश कपूर ने बताया कि कैडवर (ब्रेन डेड बॉडी) ही ट्रांसप्लांटके लिए जरूरी अंगों की कमी को पूरा कर सकता है। अभी संस्थान केजीएमयू पर निर्भर है। केजीएमयू में ट्रांसप्लांट सुविधा शुरू होने के बाद वह भी बंद हो जाएगा। पीजीआई का ट्रांमा सेंटर शुरू होने पर किडनी की कमी पूरा हो सकेगी ओर मरीजों को राहत मिलेगी।

Posted By: Inextlive