एंटीबॉयोटिक दवा की जांच में निकली खडि़या

- एफएसडीए की लैब रिपोर्ट में हुआ खुलासा

- दो मेडिकल स्टोर्स के ािलाफ एफआईआर

- अगर दवा नकली है तो उसे न लें और एफएसडीए के नबर 1800-180-5533 पर शिकायत दर्ज कराएं

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: एफडीसी जैसी बड़ी कपनी की जिफि ख्00 (सिफिक्जीम ) टेबलेट के नाम पर मरीजों को ाडि़या ािलाई जा रही है। प्राइवेट और सरकारी डॉक्टर इसे धड़ल्ले से लिा रहे हैं। कुछ दिन पहले एफएसडीए की टीम ने एक मेडिकल स्टोर से सैपल की रिपोर्ट एक दिन पहले ही आई थी। जिसके बाद तुरंत एफएसडीए के अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए सैपल सील किए और एफआईआर के आदेश दे दिए।

लैब जांच में हुई पुष्टि

एफएसडीए की लानऊ टीम ने कुछ दिन पहले सीतापुर रोड अलीगंज स्थित तारांचल मेडिकल स्टोर से जिफि ख्00 (जिफिक्जीम ) टेबलेट के सैपल लिए थे। जिन्हें जांच के लिए एफएसडीए की लैबोरेटरी ोजा गया था। जांच में पता चला कि टेबलेट में दवा का नामोनिशान नहीं है। सिर्फ ाडि़या ही टेबलेट के फार्म में बेची जा रही है। जिसके बाद ड्रग लाइसेंसिंग एंड कंट्रोलिंग अथारिटी एके अग्रवाल, लानऊ मंडल के असिस्टेंट कमिश्नर अनूप कुमार , ड्रग इंस्पेक्टर संजय कुमार और शशि मोहन गुप्ता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तारांचल मेडिकल स्टोर से दवाएं जब्त कर लीं।

सिर्फ 39 टेबलेट थीं

सूत्रों के मुताबिक जांच टीम को मेडिकल स्टोर पर सिर्फ चार पत्ते ही तारांचल मेडिकल स्टोर पर मिले। जिनमें सिर्फ फ्9 टेबलेट ही थी। जिन्हें टीम ने तुरंत सीज कर दिया। टीम ने स्ट्रिप पर दिए कोड को दवा की असलियत जानने के लिए मैसेज सेंड किया तो पता चला कि वह कोड गलत है। मतलब वह एफडीसी कपनी से बनकर आया ही नहीं था और उसका लेबल लगाकर बेचा जा रहा है। तारांचल मेडिकल स्टोर के मालिक ने बताया कि यह दवाएं वह अमीनाबाद के अनुा फार्मास्युटिकल से ारीद कर लाया था। उसने इसके बिल ाी टीम को दिाए। इसके बाद एफएसडीए की टीम तुरंत अनुा फार्मास्युटिकल पहुंच गई। जहां पर साी दवाएं सही पाई गई। टीम ने दवाओं के पत्ते पर दिए कोड को सबंधित मोबाइल नबर पर सेंड किया तो सही थी। अनुा फार्मास्युटिकल में ये दवा कहंा से आई यह जानकारी दुकानदार नहीं दे सके।

एफआईआर के आदेश

सूत्रों के मुताबिक एफएसडीए की टीम ने देर बुधवार देर शाम मामले में दोनों ही मेडिकल स्टोर तारांचल और अनुा फार्मा के ािलाफ एफआईआर करने के आदेश दे दिए थे। जिसके बाद पुलिस यह जांच करेगी कि यह दवाएं कहां से आई हैं। क्योंकि एफएसडीए को दवा के सोर्स के सुराग नहीं मिले। जिसके कारण एफएसडीए ने आगे जांच नहीं कराई।

यहां से लिए आर्नेट के सैपल्स

सरकारी अस्पतालों में नकली पैरासीटामॉल दवा सप्लाई के मामले में एफएसडीए ने बुधवार को ाी विािन्न अस्पतालों में छापे मारकर सैपल कलेक्ट किए। बुधवार को आर्नेट कपनी के पैरासीटामाल टेबलेट के सैपल एफएसडीए की टीम ने वीरांगना अवंती बाई, सिविल अस्पताल और कैसरबाग के डिपो से लिए गएं। कुछ समय पहले सीएमएसडी को रिपोर्ट मिली थी कि गाजियाबाद और इटावा में सैपल्स में पैरासीटामाल की टेबलेट्स अधोमानक मिली हैं। जिसके बाद से सीएमएसडी ने एफएसडीए को पत्र लिाकर जांच के आदेश दिए। इसके बाद से ही एफएसडीए ने सीतापुर जिला अस्पताल, वीरांगना अवंती बाई चिकित्सालय से सैपल कलेक्ट किए गए।

ब् से भ् माह में आती है रिपोर्ट

बड़ी बात यह है कि एफएसडीए की टीम जो ाी सैपल लेती है उन्हें जांच के लिए लैबोरेटरी ोजती है। जहां पर से रिपोर्ट आने में ब् से भ् महीने का समय लगता है। जिसके बाद रिपोर्ट आने से कार्रवाई करने में दिक्कत होती है क्योंकि ज्यादातर केसेज में रिटेलर के यहां से दवाएं बिक चुकी होती है। या फिर उस दौरान वह दवा मरीजों के शरीर में जाती रहती है।

सबसे ज्यादा बिकने वाली एंटीबायोटिक

केजीएमयू के मेडिसिन विाग के डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक सिफिक्जीम टेबलेट सबसे ज्यादा यूज होने वाली दवाई है। जो इंफेक्शन में बहुत काम करती है। लगाग साी डॉक्टर इसे रोजाना लिाते हैं। यह लंग इंफेक्शन, यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, नाक और गले के इंफेक्शन, साइनस और टाइफाइड के मरीजों में बहुत अच्छी काम करती है। महिलाओं के इंफेक्शन में यह बहुत प्रयोग होती है। इसे ओपीडी में बहुत प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसके साइड इफेक्ट न के बराबर हैं।

जाने अपनी दवा की असलियत

आप जिस दवाई को लेकर ाने जा रहे हैं वह असली है या नकली इसकी जानकारी ले सकते हैं। साी बड़ी कपनियों की दवाई के पत्ते पर, सीरप में या अन्य प्रकार की मेडिसिन में दवा की आथेंटिकेशन के लिए एक कोड दिया होता है। जिसे उसके नीचे दिए नबर पर सेंड करना होता है। इससे यह पता चल जाता है कि वह दवा उसकी कपनी से बनकर निकली है या बाहर की है। अगर दवा नकली है तो उसे न लें और एफएसडीए के नबर क्800-क्80-भ्भ्फ्फ् पर शिकायत दर्ज कराएं।

Posted By: Inextlive