क्या करें भाई, हम हैं आदत से मजबूर

- हर महीने सिटी पर रहता है दो करोड़ का बिजली बिल बकाया

- अकेले मेडिकल कॉलेज पर ही 1 करोड़ 38 लाख रुपए का बकाया

- चुका देते बकाया तो मेडिकल कॉलेज को मिलती दो महीने तक 24 घंटे बिजली

GORAKHPUR : इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन के बकाएदारों में मेडिकल कॉलेज का नाम सबसे उपर है, फिर भी मेडिकल कॉलेज के आलाकमान बेशर्म बनकर बिना बकाया चुकाए बिजली जला रहे हैं। हालत यह है कि सिटी पर कुल बकाया लगभग 8 करोड़ के बिजली बिल में से मेडिकल कॉलेज पर क् करोड़ फ्8 लाख रुपए का बिल बकाया है। अगर मेडिकल कॉलेज ये बकाया चुका देता तो उसे दो माह तक ख्ब् घंटे बिजली सप्लाई होती, लेकिन मेडिकल कॉलेज को जैसे कर्जा खाने की आदत पड़ गई है। जब बिजली विभाग बकाया ज्यादा होने पर कनेक्शन काट देता है तो सप्लाई शुरू करवाने के लिए दबाव बनाते हैं और कुछ पैसा चुका देते हैं।

तो मिलती ख् महीने तक बिजली

एक्सईएन संजय यादव के मुताबिक मेडिकल कॉलेज का बिजली बिल हर माह म्भ् से 70 लाख रुपए तक आता है। इस वक्त मेडिकल कॉलेज पर क् करोड़ फ्8 लाख रुपए बकाया है। अगर ये बकाया मिल जाए तो मेडिकल कॉलेज को दो महीने तक ख्ब् घंटे लगातार बिजली सप्लाई होती। इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन दो करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया होने पर मेडिकल एडमिनिस्ट्रेशन को बकाया चुकाने के लिए लेटर लिखता है, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आता। जब बकाया ढाई करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर जाता है, तो कनेक्शन काटने का काम शुरू होता है। एक्सईएन संजय यादव बताते हैं कि मरीजों को देखते हुए केवल आवासीय हिस्से की बिजली काटी जाती है। हालांकि बिजली काटने के बाद कॉर्पोरेशन पर इतना दबाव बनाया जाता है कि हार मान कर उन्हें फिर कनेक्शन जोड़ना पड़ता है।

टोटल बकाया में से करीब ख्भ् परसेंट मेडिकल कॉलेज का

सिटी में टोटल कंज्यूमर्स- क् लाख ब्ख् हजार

पर मंथ बिल जेनरेशन- लगभग ख्9 करोड़ रुपए

पर मंथ होने वाली वसूली- लगभग ख्क् करोड़ रुपए

पर मंथ बकाया- लगभग 8 करोड़ रुपए

मेडिकल कॉलेज पर बकाया- डेढ़ से दो करोड़ रुपए

रिपोर्टर और मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ। केपी कुशवाहा के बीत हुई बातचीत -

सवाल- मेडिकल कॉलेज में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए क्या प्रावधान है?

जवाब- मेडिकल कॉलेज में मरीजों और डॉक्टर्स को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अपना बजट है।

सवाल - मेडिकल कॉलेज पर इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन का करोड़ रुपए बकाया है, जिस वजह से बार-बार बिजली कटती है?

जवाब - मेडिकल कॉलेज पर बकाया कॉर्पोरेशन ने किया है। मेडिकल कॉलेज एक सरकारी संस्था है, उस पर भी कॉर्पोरेशन वाले ख्ब् प्रतिशत सरचार्ज लगा रहे हैं। इस सरचार्ज के बारे में कमिश्नर साहब से बात की जाएगी।

सवाल - आप बिजली बिल का पेमेंट कैसे करते हैं?

जवाब - मेडिकल कॉलेज के पास अपना बजट है, उसी से पेमेंट किया जाता है।

सवाल - बजट है, फिर भी मेडिकल कॉलेज पर क् करोड़ फ्8 लाख रुपए का बकाया क्यों है?

जवाब - इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन का बिल पूरी तरह से गलत है। मेडिकल कॉलेज एक जनसुविधा केंद्र है और इस पर कॉर्पोरेशन ख्ब् प्रतिशत सरचार्ज लगा रहा है। इसी कारण बिल हम लोग जमा नहीं करते हैं।

क्म् लाख की छोटी सी लापरवाही

औसतन हर महीने मेडिकल कॉलेज का बिल करीब 70 लाख रुपए आता है। अगर तय समय पर बिल जमा नहीं किया जाता है तो बिजली विभाग अगले महीने के बिल में ख्ब् परसेंट सरचार्ज लगा देता है। मेडिकल कॉलेज के एसआईसी के मुताबिक बिजली बिल कॉलेज के बजट में दिया जाता है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन को बस समय रहते यह बिजली बिल जमा करना होता है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन की छोटी सी लापरवाही के कारण एक महीने का बिल नहीं जमा नहीं होता तो अगले महीने बिल में क्म् लाख रुपए सरचार्ज के तौर पर जुड़ जाते हैं। अगर हम मौजूद समय की बात करें तो अभी मेडिकल कॉलेज पर क् करोड़ फ्8 लाख रुपए बकाया है। इस हिसाब से देखें तो उसे अगले बिलिंग साइकिल में बिजली बिल पर फ्फ् लाख क्ख् हजार रुपए का सरचार्ज चुकाना होगा। यानी कॉलेज प्रबंधन की छोटी सी लापरवाही के कारण मरीजों के हक की इतनी बड़ी राशि दंड के तौर पर बिजली विभाग को देनी होगी।

मेडिकल कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि हर माह बिल जमा कर दे। जल्द से जल्द भुगतान करने के लिए पत्र लिखूंगा। अगर बकाया अधिक हुआ तो बिजली काटने का काम किया जाएगा।

एसपी पांडेय, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन, पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम

मेडिकल कॉलेज के बजट में ही बिजली बिल जुड़ा हुआ है। बिजली बिल बकाया है, ये देखना पड़ेगा। हो सकता है कि डेढ़ करोड़ के लगभग बकाया हो। बिल आने पर कुछ भुगतान कर दिया जाएगा।

डॉ। एके श्रीवास्तव, एसआईसी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive