राज्य में मेडिकल की पढ़ाई सरकारी कॉलेजों में पड़ोसी राज्यों से कई गुना बढ़ गई है. पड़ोसी राज्य यूपी हिमाचल और हरियाणा 50 हजार रुपये तक एनुअल फीस ली जाती है.

- यूपी, हिमाचल, हरियाणा समेत कई स्टेट में 50 हजार तक है एनुअल फीस

- उत्तराखंड में इस वर्ष सरकारी कॉलेजों में 4 लाख से ज्यादा फीस

- निजी मेडिकल विश्वविद्यालय संयुक्त अभिभावक संघ ने मोर्चा खोला

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DEHRADUN :
राज्य में मेडिकल की पढ़ाई सरकारी कॉलेजों में पड़ोसी राज्यों से कई गुना बढ़ गई है। पड़ोसी राज्य यूपी, हिमाचल और हरियाणा 50 हजार रुपये तक एनुअल फीस ली जाती है। जबकि उत्तराखंड में इस वर्ष सरकारी कॉलेजों में एनुअल फीस 4 लाख रुपये से ज्यादा वसूली जाएगी। प्राइवेट कॉलेजों में तो एनुएल 17 लाख रुपये तक वसूले जाएंगे। उत्तराखंड के सरकारी कॉलेजों में सबसे महंगी मेडिकल की पढ़ाई कराने वाला राज्य बन गया है। इधर राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में मेडिकल यूनिवर्सिटी संयुक्त अभिभावक संघ ने मोर्चा खोल दिया है। अभिभावकों ने फीस वृद्धि वापस ने लेने की स्थिति में आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

फ‌र्स्ट राउंड के लिए रजिस्ट्रेशन बंद
नीट ऑल इंडिया काउंसिलिंग के फ‌र्स्ट राउंड के लिए रजिस्ट्रेशन संडे को बंद हो गए हैं। फ‌र्स्ट राउंड का सीट आवंटन एक जुलाई को किया जाएगा। छह जुलाई तक अभ्यर्थी को आवंटित सीट पर दाखिला लेना होगा। देशभर के मेडिकल कॉलेजों में नीट के माध्यम से दाखिले किए जाते हैं। इनमें पंद्रह फीसद सीटों पर ऑल इंडिया काउंसिलिंग के तहत सीट आवंटित की जाती हैं। जिसका जिम्मा एमसीसी के पास है। 24 जून से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ था। सेकेंड राउंड 9 जुलाई से शुरू होगी। जिसके तहत अभ्यर्थी 11 जुलाई तक पंजीकरण व शुल्क भुगतान कर पाएंगे। 12 जुलाई का दिन उन्हें च्वाइस फिलिंग व लॉकिंग के लिए दिया गया है। वहीं सीट आवंटन 15 जुलाई को किया जाएगा। आवंटित सीट पर अभ्यर्थी 22 जुलाई तक दाखिला ले सकते हैं। सीटें रिक्त रहने पर 23 जुलाई को इन्हें राज्यों को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

फीस का स्ट्रक्चर

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज- 50 हजार रुपये एनुअल बॉन्ड भरने पर

दून मेडिकल कॉलेज- 4 लाख रु एनुअल

हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज- 4 लाख रु एनुअल

50 हजार से 4 लाख हुई फीस
राज्य में तीन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हैं। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, दून मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज। राज्य सरकार ने तीनों का फीस और सीट स्ट्रक्चर बदल दिया है। इसके साथ ही दून मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 5 साल राज्य में नौकरी की बाध्यता का बॉन्ड सिस्टम खत्म कर दिया गया है। लेकिन, इन दोनों मेडिकल कॉलेजेज में फीस बढ़ाकर 4 लाख रुपए एनुअल कर दी गई है। हालांकि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 50 हजार रुपए एनुअल फीस रखी गई है, लेकिन यहां स्टूडेंट्स ने पहाड़ में सेवाएं देने की बाध्यता वाली शर्त का बॉन्ड नहीं भरा तो ऐसे स्टूडेंट्स से भी 4 लाख रुपए एनुअल फीस देनी होगी।

इसी सेशन ने लागू
यह फीस स्ट्रक्चर इसी सेशन से लागू होगा। ऐसे में उत्तराखंड में सरकारी कॉलेजों की फीस पड़ोसी स्टेट के सरकारी कॉलेजों से कई गुना अधिक हो गई है। उदाहरण के लिए ंिकंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ की एमबीबीएस की फ‌र्स्ट ईयर की फीस 53 हजार 600 रुपए है। मेरठ में गवर्नमेंट कॉलेज की फीस 43 हजार एनुअल है। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश, हरियाणा में भी सरकारी कॉलेजों की फीस एनुअल 50 हजार से भी कम है। ऐसे में उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों से फीस स्ट्रक्चर कई गुना बढ़ा है।

आंदोलन की चेतावनी
दूसरी तरफ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ोत्तरी की छूट दिये जाने के बाद इन कॉलेजों ने अपनी फीस 17 लाख रुपये एनुअल तक कर दी है। इससे नाराज पैरेंट्स ने मेडिकल विश्वविद्यालय संयुक्त अभिभावक संघ उत्तराखंड के बैनर तले मोर्चा खोलते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। संघ के संरक्षक रविन्द्र जुगरान ने कहा कि सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना होगा। जुगरान ने कहा कि जहां एक ओर पड़ोसी राज्य यूपी में न्यूनतम फीस 4 हजार, 9 हजार से लेकर 25 हजार तक है, वहीं उत्तराखंड में साढ़े 4 लाख रुपए सालाना बढ़ा दी गई है। जबकि गत वर्षो तक केवल 50 हजार तक ही फीस थी। सरकार को बॉन्ड समाप्त करने की व्यवस्था के चलते तर्क दे रही है। जुगरान ने कहा कि उत्तराखंड सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सबसे अधिक फीस लेने वाला राज्य बन गया है। संघ के सभी पदाधिकारियोंने कहा कि एक ओर आर्थिक रूप से पिछडे़ वर्ग ईडब्ल्यूएस को इस कोटे में प्रवेश तो दे रहे हैं, लेकिन उनके लिए भी फीस कम नहीं की जा रही है। ऐसे में सरकार से ये पूछा जाना चाहिए कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को किस आधार पर आरक्षण दिया जा रहा है, जब उनकी फीस को कम नहीं किया गया है।

मनमानी का आरोप
जुगरान ने निजी मेडिकल कॉलेज भी स्वायतता के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। जिन पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। जुगरान ने कहा कि सीमांत प्रदेश उत्तराखंड वैसे ही पलायन को भयावह दंश झेल रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य की व्यवस्था लचर है, ऊपर से अव्यावहारिक फीस वृद्धि पैरेंट्स व स्टूडेंट्स को हतोत्साहित करेगी। जुगरान ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने जल्द बढ़ी हुई शुल्क वृद्धि को वापस नहीं लिया तो पैरेंट्स इस निर्णय का हर प्रकार से विरोध करेंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी।

Posted By: Inextlive