- यूपी आईएमए की 83वीं एनुअल कांफ्रेंस का आयोजन

- डॉक्टर्स ने की सस्ती दर पर इलाज उपलब्ध कराने पर चर्चा

LUCKNOW :

आज भी प्रदेश की आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना आसान नहीं है। इससे सर्वाधिक प्रभावित मिडिल क्लास हो रहा है। केवल 30 फीसद लोग ही सरकारी अस्पतालों में इलाज कराते हैं। बाकी प्राइवेट डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जाते हैं। यह बातें यूपी आईएमए की 83वीं एनुअल कांफ्रेंस में आईएमए यूपी के प्रेसीडेंट डॉ। सुधीर धाकरे ने कहीं।

एक्ट में बदलाव की मांग

डॉ। धाकरे ने कहा कि 70 फीसद लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले प्राइवेट सेक्टर पर सरकार नए टैक्स लगाती जा रही है। पूर्व सरकार में पारित हुआ क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट अभी लागू नहीं हो सका है। इस एक्ट में भी खामियां हैं। हमने इसमें बदलाव की मांग की है है।

दोषियों पर हो कार्रवाई

सचिव डॉ। राजेश कुमार सिंह ने कहा कि अंबेडकर नगर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल और प्रॉक्टर को बंधक बनाकर मारपीट के मामले में सीएम से जांच और कार्रवाई की मांग की गई है। सरकार ने इस पर ध्यान न दिया तो आईएमए हड़ताल को बाध्य होगा। इस मौके पर आईएमए लखनऊ के प्रेसीडेंट डॉ। सूर्यकांत, सेक्रेटरी डॉ। जेडी रावत, पूर्व प्रेसीडेंट डॉ। पीके गुप्ता आदि मौजूद रहे।

नवजात की स्किन को रखें नम

ठंड बढ़ने के साथ नवजात में ड्राइनेस ज्यादा होती है। जिससे रैसेज की समस्या होती हैं और इंफेक्शन का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए अच्छा माश्चराइजर प्रयोग करें। मालिश के लिए तेल ठीक नहीं है। तेल एलर्जी कर सकता है।

डॉ। आशुतोष वर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ

डॉक्टर की सलाह से लें एंटी डिप्रेसेंट दवा

यदि 15 दिन से ज्यादा उदासी हो और आत्महत्या के विचार आ रहे हों, दैनिक कार्य बिगड़ रहे हों तो ये कंडीशन डिप्रेशन कहलाती है। सामान्य डिप्रेशन में एंटी डिप्रेसेंट दवा और काउंसिलिंग से फायदा होता है। इसमें काउंसिलिंग के साथ डॉक्टर की सलाह से ही दवा लें।

डॉ। अलीम सिद्दीकी, मनोचिकित्सक

हार्ट अटैक का डेढ़ घंटे में हो मैनेजमेंट

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ। राकेश सिंह ने बताया कि हार्ट अटैक के एक से डेढ़ घंटे के बीच मरीज की एंजियोग्राफी होनी चाहिए। जिसमें यह स्पष्ट होता है कि उसे एंजियोप्लास्टी की जरूरत है या बाईपास की। अगर मरीज की एंजियोप्लास्टी समय से नहीं होती है तो उसकी हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और जल्दी मौत भी हो सकती है।

10 फीसद को आईवीएफ की जरूरत

अजंता हास्पिटल की डॉ। गीता खन्ना ने बताया कि देश में 15 फीसद लोग इंफर्टिलिटी से पीडि़त हैं। इसमें केवल 10-20 फीसद को ही आईवीएफ और इंटर साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन तकनीक की जरूरत होती है। 60 फीसद लोग दवाओं और बाकी 20 फीसद में आईयूआई तकनीक करवानी पड़ती है।

Posted By: Inextlive