- गोरखपुर जिले में 200 फार्मासिस्ट, 2700 फुटकर और 1300 थोक दवा दुकानें

- मरीजों की जान से खिलवाड़, एक तिहाई फार्मासिस्ट, एक के नाम से चल रहे कई स्टोर

GORAKHPUR: जिले में मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है. मेडिकल स्टोर्स पर अंट्रेंड लोग दवा बांट रहे हैं और प्रशासन गहरी नींद में सो रहा है. मेडिकल स्टोर्स आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद अभी तक ड्रग विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति होती रही है. जिसका नतीजा है कि जिले भर में एक फार्मासिस्ट के नाम पर कई दवा की दुकानें संचालित हो रही हैं.

सरकारी नौकरी में हैं 167 फार्मासिस्ट

ड्रग विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो अकेले गोरखपुर जिले में दवा की 2700 फुटकर दुकानें संचालित हो रही हैं जबकि थोक दुकानें करीब 1300 हैं. वहीं फार्मासिस्ट की संख्या 367 के करीब है. इनमें से 167 फार्मासिस्ट सरकारी नौकरी में हैं. यानि साफ है कि नियमों को ताक पर रखकर महज 200 फार्मासिस्ट के नाम पर जिले की फुटकर और थोक दवा दुकानें संचालित की जा रही हैं. प्रदेश की बात की जाए तो एक लाख 15 हजार मेडिकल स्टोर्स हैं और इसके मुकाबले महज 50 हजार फार्मासिस्ट ही रजिस्टर्ड हैं. बताते चलें कि जिले में भी दवा दुकानों के कंपेरिजन में एक तिहाई संख्या में ही फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं. बाकी मेडिकल स्टोर कैसे संचालित हो रहे हैं, इसके बारे में या तो प्रशासन जानता है या खुद स्टोर संचालक को ही इसकी जानकारी होगी.

55 का सस्पेंशन व पांच का लाइसेंस कैंसिल

डेढ़ साल पहले गवर्नमेंट ने मेडिकल स्टोर्स आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरूआत की थी. तब से अब तक ड्रग विभाग जिले में केवल 55 मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ ही कार्रवाई कर पाया है. इनके लाइसेंस सस्पेंड किए गए हैं और पांच का लाइसेंस कैंसिल किया गया है. इनके यहां फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं थे. अधिकारियों का कहना है कि हाल फिलहाल में कई मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट नहीं है और वह जल्द ही इनकी डिटेल उपलब्ध करा देंगे.

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अनट्रेंड लड़के ही बांट देते हैं दवा

नियमानुसार मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट की मौजूदगी में ही दवा दी जानी चाहिए. कोई भी दवा मरीज या परिजन को देने से पहले उसे फार्मासिस्ट को दिखाना होता है, लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है. अनट्रेंड और बारहवीं पास लड़कों को तीन से चार हजार रुपए में रख लिया जाता है. वह डॉक्टर का पर्चा देखकर दवा वितरण करते हैं. ऐसे में मरीज को गलत दवा दिए जाने के पूरे आसार बने रहते हैं. यह खुलेआम एच शेड्यूल ड्रग दवाएं भी बांटने से पीछे नहीं हटते. जिसे देने का अधिकार केवल फार्मासिस्ट को दिया गया है. दवा के धंधे से जुड़े सूत्र बताते हैं कि शहर में सैकड़ों मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट फर्जी तरीके से संचालित किए जा रहे हैं.

रिन्युअल में भी खेल

जिले में दवा दुकान लाइसेंस रिन्युअल में भी खेल हो रहा है. सूत्रों की मानें तो दिसंबर 2018 में जिन फुटकर दुकानों का रिन्युअल होना था, उनकी रिन्युअल चालान फीस जमा नहीं हुई बावजूद इसके ये दुकानें चल रही हैं.

ये है नियम

एक फार्मासिस्ट के नाम पर केवल एक मेडिकल स्टोर ही संचालित किया जा सकता है. इससे अधिक मेडिकल स्टोर का संचालन होने पर उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाता है. जिले में विभागीय मिलीभगत से खुलेआम नियमों से खिलवाड़ किया गया. एक फार्मासिस्ट को दर्जनों की संख्या में मेडिकल स्टोर चलाने की छूट दे गई है.

फैक्ट फिगर

गोरखपुर जिले में फुटकर मेडिकल स्टोर - 2700

थोक दवा की दुकानें - 1300

फार्मासिस्ट - 200

सरकारी नौकरी में फार्मासिस्ट - 167

पूरे प्रदेश में मेडिकल स्टोर - 1.15 लाख

फार्मासिस्ट की संख्या - 50 हजार

सरकारी नौकरी में फार्मासिस्ट - 1250

फार्मासिस्ट हटने के बाद भी चल रही दुकानें

रेलवे स्टेशन स्थित नगर निगम शॉप में स्थित मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन है. इसी फार्मासिस्ट के नाम से खीरी लखीमपुर में भी मेडिकल स्टोर चल रहा है.

ऑनलाइन व्यवस्था सुस्त

ड्रग विभाग के मुताबिक दवा की दुकानों का लाइसेंस रिन्युअल में अभी भी सुस्ती है. रूरल एरिया में ऑनलाइन रिन्युअल की सुविधा नहीं है. इसलिए लाइसेंस देने में विभाग को दिक्कत हो रही है. शहर में कुछ संचालकों ने अपना रिन्युअल करवाया है. लेकिन अधिकांश ऐसे हैं जिनके पास पुराना लाइसेंस है मगर वे रिन्युअल नहीं कराए हैं.

वर्जन

सरकार ने ऑनलाइन पोटल बना दिया है और अब इसी के जरिए आवेदन होता है. एक फार्मासिस्ट का नाम पोर्टल पर एक से ज्यादा मेडिकल स्टोर पर दर्ज किया जाता है तो सॉफ्टवेयर ट्रेस कर लेता है. ऑनलाइन आवेदन और लाइसेंस रिन्युअल की प्रक्रिया चल रही है. जैसे-जैसे डिफॉल्टर मामले ट्रेस हो रहे हैं, उनके लाइसेंस सस्पेंड किए जाएंगे.

- संदीप कुमार चौधरी, ड्रग इंस्पेक्टर गोरखपुर

Posted By: Syed Saim Rauf