- एमएलसी सरोजनी अग्रवाल की बहन को बचाने के लिए ताक पर रखा कानून

-धारा 41-ए की आड़ लेकर पहुंचाया गया अनुचित लाभ

-दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 में बिना वांरट हो सकती थी गिरफ्तारी

Meerut : यूपी में संविधान से बड़ी 'सरकार' है। सपा की एमएलसी डॉ। सरोजनी अग्रवाल की बहन डॉ। सविता गर्ग अपने अल्ट्रासाउंड सेंटर पर रंगे हाथों भू्रण लिंग परीक्षण करते हुए पकड़ी गई। यूपी के अफसरों में कहां इतना दम, ये तो हरियाणा हेल्थ विभाग की टीम थी जिसने मियां-बीबी को नोटों के साथ धर दबोचा। दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि एमएलसी की बहन जेल न चली जाए इसके लिए मेरठ की पुलिस 'वकालत' और उतर आई। दबाव बनाकर, कानून समझाकर अपराधियों को चंगुल से छुड़वा लिया।

क्या मजबूरी थी?

-आखिर क्या मजबूरी थी कि हरियाणा पुलिस को धारा 41-ए में नोटिस देकर आरोपियों को छोड़ना पड़ा?

-हरियाणा सरकार से छापेमारी करने आई टीम को पूरा बैकअप क्यों नहीं दिया गया?

-जिस समय टीम को दबाव में लिया गया उस समय हरियाणा के किसी उच्चाधिकारी या फिर बेटी बचाओ अभियान से जुड़े किसी बड़े अधिकारी ने पूरे मामले को अपने हाथ में क्यों नहीं लिया?

अब समझो दंड प्रकिया

पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और बिना गिरफ्तारी वारंट के कुछ विशेष परिस्थितियों में गिरफ्तारी कर सकता है।

-जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध करता है और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज है। आरोपी के खिलाफ विश्वसनीय सूचना मिली है या फिर संदेह है कि अपराध किया गया है। ऐसे मामलों में जिनमें सात साल से कम या सात साल तक की सजा हो सकती है, अधिकारी गिरफ्तारी बिना वारंट के कर सकता है।

-पुलिस अधिकारी इस बात की पुष्टि करता है कि गिरफ्तारी इसलिए आवश्यक है, क्योंकि आरोपी सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। साक्ष्य मिटा सकता है या फिर उनसे छेड़छाड़ कर सकता है।

-प्रकरण से जुड़े किसी व्यक्ति को लालच देकर, धमकी देकर या फिर बयान देने से रोकने की साजिश की जा सकती है, इसलिए भी गिरफ्तारी की जा सकती है।

-ऐसे व्यक्ति की भी गिरफ्तारी सुनिश्चित कराई जाती है, जिसके बारे में ये विश्वास नहीं है कि वह कभी भी न्यायालय के सामने उपस्थित हो सकता है। यानी आरोपी के फरार होने का खतरा है।

-कार्रवाई के दौरान पुलिस काम में बाधा डाली जा रही हो या फिर पुलिस अभिरक्षा से फरार होने का प्रयास किया गया हो।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41-ए

-जिन मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत गिरफ्तारी नहीं की जा सकती, वहां 41-ए के तहत नोटिस जारी किया जाएगा।

-नोटिस जारी करने के बाद जिस व्यक्ति को नोटिस जारी किया गया है, उसे नोटिस के नियमों के पालन करने की बाध्यता स्वीकार करनी होती है।

-पुलिस अधिकारी विवेकानुसार छोड़ सकता है, चूंकि पुलिस अधिकारी की राय में वह फरार नहीं होगा और न्यायालय के सामने पेश हो जाएगा।

-यदि नोटिस के नियमों के पालन करने में चूक होती है तो पुलिस अधिकारी नोटिस में दर्ज किए गए अपराध के लिए आरोपी को गिरफ्तार कर सकता है।

जाना पड़ेगा जेल

कन्या भ्रूण लिंग परीक्षण और गर्भपात प्रकरण में भले ही हरियाणा की टीम को दबाव में लेकर डॉ। सविता गर्ग और डॉ। विनोद गर्ग को छुड़ा लिया गया हो, लेकिन उनकी मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता और बार काउंसिल ऑफ यूपी के सदस्य अनिल बख्शी का कहना है कि पूरा मामला चूंकि हरियाणा में दर्ज है, ऐसे में सुनवाई भी वहीं कोर्ट में होगी। कन्या भू्रण लिंग परीक्षण और हत्या के मामलों को लेकर हरियाणा सरकार और कोर्ट जिस तरह से सख्त है, ऐसे में लगता है कि डॉक्टर दंपती को जेल जाना पड़ सकता है। बता दें 41-ए के नोटिस का जवाब देने के लिए डॉक्टर दंपति को 30 दिसंबर को हरियाणा जाना पड़ेगा। वहां हरियाणा पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर कोर्ट के सामने पेश करेगी।

जारी हो सकता है गिरफ्तारी वारंट

आरोपी डॉक्टर दंपति को अंतरिम जमानत मिलना लगभग मुश्किल है। ऐसे में आरोपियों द्वारा हरियाणा में 30 दिसंबर को जवाब दाखिल नहीं किया और कोर्ट के सामने नहीं पहुंचे तो हरियाणा पुलिस दोनों के गिरफ्तारी वारंट ले लेगी। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की जाएगी।

Posted By: Inextlive