भारत विविधताओं का देश है। यहां भगवान के रूप में मिट्टी की मूर्ति को पूजा जाता है। मूर्ति पूजा का तो हमारे देश में प्रचीन काल से चलन है लेकिन यहां देवी के रूप में महिलाओं को भी पूजते हैं। जहां एक ओर औरत को देवी का दर्जा दिया जाता है वहीं दूसरी ओर उनको परम्पराओं और रिवाज़ों के नाम पर बेड़ियों में जकड़ देते हैं। इतना ही नहीं महिलाओं पर आये दिन बलात्कार मारपीट जैसे अत्याचार के भी कई मामले देखने को मिलते हैं।


भारत में एसिड अटैक के मामले है सर्वाधिकभारत में अक्सर एसिड हमलों के मामले देखने को मिलते हैं। इससे जुड़ा कोई विश्वसनीय आंकड़ा मौजूद नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ एक साल में शायद ऐसे 1,000 मामले सामने आते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता इसे एक हास्यास्पद आंकड़ा बताते हैं। उनका कहना है कि वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा है। इंडिया में साल दर साल एसिड अटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जो किसी पर एसिड फेंकता है वो तो चैन से घर में सोता है लेकिन जो एसिड अटैक का शिकार होते हैं उनके बारे में कभी सोचा है। कैसे वो अपने दर्द को झेलते होंगे कैसे लोगों का सामना करते होंगे। इस दर्द से उबरने में उनको कितना वक़्त लगता है। एसिड अटैक के बाद बिगड़ जाती है विक्टिम की शक्ल
एसिड अटैक के शिकार हुए लोगों में कुछ तो मौत की नींद सो जाते हैं। कुछ अपने साहस और इच्छा शक्ति के बलबूते इस दर्द से पार निकल जाते हैं।  ऐसे लोगों की शक्ल भले ही ख़राब हो जाती है लेकिन उनके मन की सुंदरता अतुलनीय होती है। यही सुंदरता इनको अंदर से मजबूत बनाती है। ताकि वह दुनिया के खोखले रीति रिवाजों से खुद को बचा सकें। एसिड अटैक विक्टिम्स की ऐसे हादसों के बाद शक्ल-सूरत काफी बिगड़ जाती है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इस पीड़ा से गुज़रने वाले लोगों का इलाज करना कितना चुनौतीपूर्ण काम होगा। एक डॉक्टर या कहिये कि फरिश्ता है जो पूरी दुनिया में मौजूद ऐसे पीड़ितों की प्लास्टिक सर्जरी करता है।रिटायर्ड प्लास्टिक सर्जन चार्ल्स वाइवा करते है एसिड विक्टिम्स का इलाजब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एनएचएस के रिटायर्ड प्लास्टिक सर्जन चार्ल्स वाइवा चार दशकों से भी अधिक वक्त से विकासशील देशों में इस तरह से घूमकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। इस सर्जरी के लिए वो पीड़ितों से एक भी पैसा नहीं लेते हैं। उनका कहना है कि मरीजों का साहस देखकर उन्हें हिम्मत मिलती है। चार्ल्स के साथ अब श्रीलंका के एक रिटायर्ड डॉक्टर भी जुड़ गए हैं।  हाल ही में नई दिल्ली में उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के सर्जन्स और उनके सहयोगियों की टीम का नेतृत्व किया था। यूनाइटेड किंगडम के ये डॉक्टर्स Global NGO Interplast के तहत एसिड और बर्न केसेज़ के विक्टिम्स की सर्जरी करते हैं। 30 से भी ज्यादा एसिड विक्टिम्स की सर्जरी कर चुके है


ये सारी सर्जरीज गुड़गांव स्थित W Pratiksha Hospital में हुई हैं। जहां लन्दन के सर्जन्स ने करीब 30 बर्न केसेज़ और एसिड अटैक विक्टिम्स की सर्जरी की है। इन लोगों में से कुछ की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी लेकिन इस वजह से उनकी सर्जरी पर कोई असर नहीं हुआ। Project Revive नाम के इस प्रोजेक्ट को Acid Survivor Foundation of India (ASFI) और Ritinjali NGO का पूरा सहयोग मिला है। जिन लोगों का इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ऑपरेशन किया गया उनमें बिहार की 30 साल की अनुपमा और 7 साल का एक लड़का भी शामिल था। यह लड़का खेलते हुए घर में रखे एसिड के टिन पर गिर गया था। पिछले साल अप्रैल में मध्य प्रदेश सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए एक सर्कुलर जारी किया था कि वो हर एसिड अटैक और रेप विक्टिम को इलाज मुहैया करवाएंगे।

Posted By: Prabha Punj Mishra