आर डी तेलांग ये ही वो शख्स हैं जिनके लिखे हुए शब्दों को अमिताभ बच्चन अपनी बुलंद आवाज़ में दोहराते हैं. आर डी तेलांग ने कभी नहीं सोचा था कि वो लेखक बनेंगे और वो भी अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियत के लिए संवाद लेखक.


साल 2000 में 'कौन बनेगा करोड़पति' की शुरुआत हुई और उन्हें कार्यक्रम के लिए संवाद लिखने का मौक़ा मिला तो ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी.आज उन्हें केबासी से जुड़े 13 साल हो गए हैं जिसे वो किसी सुंदर सपने से कम नहीं मानते.वो कहते हैं कि 13 साल तक का यह सफर सपनों की दुनिया जैसा रहा. अमिताभ बच्चन के साथ काम करना ही अपने आप में सपने की दुनिया में विचरण करने जैसा है.'सपना टूटा, तो बन गया लेखक'तेलांग बचपन से ही एक बैंक अधिकारी बनना चाहते थे. लेकिन बहुत सी परीक्षाएं देने के बावजूद कुछ नहीं हो पाया. मध्य प्रदेश से होने के कारण उनकी हिन्दी अच्छी थी. इसलिए जब बैंक अधिकारी बनने का सपना टूटा तो मुंबई आकर पत्रकार बन गए.


"तेलांग कहते हैं कि शुरुआत में मैने फ़रीदा जलाल, शेखर सुमन और शाहरुख ख़ान समेत कई लोगों के लिए लिखना शुरू किया. इसके बाद मुझे केबीसी के बारे में पता चला और मैंने अपनी लिखी कुछ लाइनें केबीसी में सैंपल के लिए भेजी, और केबीसी के निर्माताओं और अमिताभ बच्चन को मेरा लिखा अछा लगा. इस तरह केबीसी के साथ मेरे सफ़र की शुरुआत हो गयी."

तेलांग बताते हैं कि ''मैंने बहुत से लोगों के इंटरव्यू किए, इवेंट कवर किए और जब आप पत्रकार बन जाते हैं तो अच्छा लिखने का गुण आ ही जाता है और फिर धीरे-धीरे मैं एक लेखक बन गया और पत्रकारिता छोड़ दी.''तेलांग कहते हैं ''शुरुआत में मैंने फ़रीदा जलाल, शेखर सुमन और शाहरुख ख़ान समेत कई लोगों के लिए लिखना शुरू किया. इसके बाद मुझे केबीसी के बारे में पता चला और मैंने अपनी लिखी कुछ लाइनें केबीसी टीम के पास नमूने के तौर पर भेजीं. कार्यक्रम निर्माताओं और अमिताभ बच्चन को मेरा लिखा अच्छा लगा. इस तरह केबीसी के साथ मेरे सफ़र की शुरुआत हो गई.''केबीसी की थीमतेलांग बताते हैं, ''केबीसी से जुड़े लोग रिसर्च कर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि दर्शकों को पिछले सीजन में क्या अच्छा लगा और वो क्या देखना चाहते हैं और जब हमें यह पता चल जाता है तो हम दर्शकों की सोच को दिखाने की कोशिश में लग जाते है, लेकिन एक लेखक के तौर पर यह बहुत मुश्किल काम होता है.''केबीसी हर बार एक थीम को आगे बढ़ाती है और उसी के इर्द-गिर्द कार्यक्रम का निर्माण किया जाता है. तेलांग इसे समझाते हुए कहते हैं -

1- केबीसी की एक थीम 'कोई भी सवाल छोटा नहीं होता', इसमें हमने दिखाने की कोशिश की थी कि आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएँ, क्या पता कौन सा सवाल आपको कब क्या हासिल करवा दे.2- इस थीम के बाद ' कोई भी इंसान छोटा नहीं होता', इससे हम कहना चाहते थे कि कोई व्यक्ति किसी भी मज़हब और किसी भी आर्थिक स्थिति से ताल्लुक रखता हो लेकिन अगर उसमें योग्यता है तो वो कोई भी चीज़ हासिल कर सकता है.3- फिर हमने बनाया 'ज्ञान ही आपको आपका हक़ दिलाता है' इसके पीछे हमारी सोच थी कि आप अमीर हों या ग़रीब, लेकिन अगर आप ज्ञानी हैं तो आपको आपका हक़ ज़रूर मिलेगा.4- और अब हमारी थीम है- 'सीखना बंद तो जीतना बंद' और इसके पीछे हमारी यह सोच है कि आप जिस भी उम्र के हों आप हमेशा सीख सकते हैं. हर दिन आप जो भी सीखते हैं वो कहीं ना कहीं काम आता है. अगर आप सीखना बंद कर देंगे तो जीतेंगे कैसे ?इस तरह की थीम बनाकर हम बड़े ही सीधे और सरल तरीके से अपनी बात लोगों के सामने रख सकते हैं.अमिताभ का कमाल
तेलांग के अनुसार, ''अमिताभ बच्चन का योगदान बहुत ज़्यादा रहता है क्योंकि मैं जो भी लिखता हूँ वो उन पंक्तियों को बोलकर उनमें जान डाल देते हैं. उनकी आवाज़ , उनका ज्ञान और शब्दों के प्रति उनकी समझ अद्भुत है. मैं जो कुछ लिखता हूँ अमिताभ उसमें अपने हिसाब से थोड़ा-बहुत बदलाव कर उसे अपने अंदाज में बोलते हैं.''एक लेखक होने के नाते मुझे यह ध्यान रखना पड़ता है कि जो कुछ भी मैं लिखूं उसमें अमिताभ का अंदाज दिखाई दे और सीधे दर्शकों के दिल को छुए. न कि ऐसा लगे कि वो लिखा हुआ कुछ पढ़ रहे हैं.केबीसी ड्रामा नहींतेलांग का कहना है कि ''कई शोज़ में बहुत ड्रामा दिखाया जाता है लेकिन केबीसी में ऐसा नहीं होता. हम खिलाड़ियों को कोई ड्रामा करने को नहीं कहते, क्योंकि यहाँ उसकी कोई गुंजाइश ही नहीं होती. यह खेल ज़रूर दिमाग़ का है लेकिन यहाँ आने वाला हर खिलाड़ी दिल से खेलता है. हम उनसे कोई हंगामा मचाने को नहीं कहते.''खिलाड़ियों की जो कहानी हम दिखाते हैं वे खुद इतनी दिलचस्प होती हैं, यहाँ आने वाले हर खिलाड़ी में इतनी सच्चाई और सपने होते हैं कि हमें अलग से ड्रामा करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती.
तेलांग का यह कहना है कि ''इस शो का फॉरमेट ही अपने आप में एक हीरो है और इसमें अमिताभ की उपस्थिति चार चाँद लगा देती है. मैंने कई होस्ट देखे हैं लेकिन अमिताभ जैसा होस्ट होना नामुमकिन है क्योंकि यहाँ वो अमिताभ न रहकर खिलाड़ियों के दोस्त बन जाते हैं और जब कोई खिलाड़ी करोड़पति बनता है तो अमिताभ सबसे ज़्यादा खुश होते हैं, उसके परिवार से मिलते हैं, उन्हें बधाई देते हैं.''केबीसी के बाद क्या?तेलांग का कहना है क़ि ''केबीसी तो साल में एक बार आता है वो भी तीन-चार महीने के लिए. इसलिए मैं फ़िल्मों, कई इवेंट्स और फ़िल्मफ़ेयर जैसे अवॉर्ड्स के लिए लिखता हूँ. लेकिन इस बार केबीसी सीजन सात के बाद मैं खुद की एक फ़िल्म का निर्देशन करूँगा.''अपनी फ़िल्म में अमिताभ को लेने पर तेलांग कहते हैं कि ''मैं तो यही चाहूँगा कि अमिताभ जैसा महानायक यह फ़िल्म करे, बाकी सब स्क्रिप्ट पर निर्भर करेगा.''तेलांग बताते हैं कि यह एक कॉमेडी फ़िल्म होगी क्योंकि उन्हें लगता है कि कॉमेडी में उनकी समझ काफ़ी अच्छी है, इसलिए उसी में हाथ आज़माने वाले हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh