ये हैं मंगल के भारतीय 'वास्को डी गामा'
यह मिशन है मार्स-वन. डच उद्यमी बास लैंसडॉर्प का वो मिशन जिसके तहत इतिहास में पहली बार चार इंसानों को मंगल पर उतारने का ख़्वाब बुना जा रहा है. इसका पहला चरण पूरा हो चुका है और दुनियाभर से दो लाख लोगों ने अपना आवेदन पेश कर दिया है.बीबीसी ने मंगल पर जाने के इच्छुक कुछ ऐसे भारतीयों से बात की. उनसे जानना चाहा कि आख़िर वो अपनी दुनिया, बसा-बसाया घर-संसार, परिवार-बच्चे छोड़ मंगल पर क्यों जाना चाहते हैं?'मज़ाक उड़ाया लोगों ने'
शादीशुदा विनोद कोटिया ऐसे ही एक आवेदक हैं, जिन्होंने मार्स वन मिशन के लिए सबसे पहले आवेदन भेजा. उन्होंने जब अपने घर पर अपने इस फ़ैसले का ज़िक्र किया तो पत्नी को यह मज़ाक लगा. पत्नी प्रियंका ने उनसे मज़ाक में कह भी दिया कि अगर वे चुने गए तो वे रॉकेट के सामने जाकर लेट जाएंगी. वे कहते हैं कि उनके मार्स वन मिशन में आवेदन करने के बाद बचपन के साथी तो उनका मज़ाक उड़ाते हैं, पर उनके दफ़्तर के लोगों को उन पर गर्व है.
श्रद्धा ने बीबीसी को बताया, "मम्मी सोचने लगीं कि मैं बकवास कर रही हूं. जब मैंने उन्हें अपनी एप्लीकेशन दिखाई, तो वो बोलीं कि तुम ऐसा कैसे कर सकती हो, कैसे दूसरे ग्रह पर जाने का सोच सकती हो, जहां से कोई वापसी नहीं होगी. मम्मी तो बहुत ही डर गई थीं. बाद में मान गईं. मगर मेरे पापा अभी भी इसके लिए तैयार नहीं हैं. शायद वक़्त के साथ वे भी बदल जाएं."इस फ़ैसले के पीछे क्या प्रेरणा काम कर रही थी. इसके जवाब में वे कहती हैं, "मैं जब 11वीं में थी, तो मैं नासा के लोगों से मिली, जो यहां आए थे. इनमें क्यूरियॉसिटी मिशन के प्रमुख भी थे. इनसे मेरी लंबी बातचीत हुई. स्पेस साइंस में अमूमन लोगों की रुचि जल्दी ख़त्म हो जाती है, पर मेरी दिलचस्पी इसके बाद जुनून में बदल गई है."श्रद्धा भविष्य में स्पेस कंपनियों के लिए अंतरिक्ष यान और रोवर डिज़ायन करने वाली टीम में काम करना चाहती हैं."आपको आख़िरकार एक दिन मरना ही है. मगर मार्स वन कोई सुसाइड मिशन नहीं है. यह पूरी मानवजाति के लिए बेहतर विकल्प की तलाश की कोशिश है."‘पृथ्वी छोड़ने की ज़रूरत’
दिल्ली के सौरभ रॉडी कहते हैं कि वैसे भी आज लोग धीरे-धीरे अपनी वर्चुअल दुनिया में सिमट रहे हैं. ‘’लोग आजकल अपने घरवालों से फ़ेसबुक-ट्विटर के ज़रिए मिलते हैं. हो सकता है कि आप मंगल पर हों और तब भी आप अपने परिवार को अपनी ख़ैरियत का संदेश भेज सकें.’’
दस साल बाद सन 2023 में एक रॉकेट धरती से चार मुसाफ़िरों को लेकर मंगल की तरफ़ रवाना होगा. क़रीब आठ महीने तक एक छोटे से कमरे में काले अंतरिक्ष में वे सफ़र करेंगे. एक दिन उनका यान लाल ग्रह की ज़मीन छुएगा, कभी वापस न लौटने के लिए.