अमरीका के कैलिफोर्निया के थॉमस सुआरेज़ ने 11 साल की उम्र में ही अपनी कंपनी खोल ली थी और महज़ 15 साल की उम्र में वो अपना थ्री-डी प्रिंटर लॉन्च करने जा रहे हैं.


उनका दावा है कि उनका प्रिंटर दूसरे प्रिंटर से दस गुना तेज़ होगा.वहीं कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस शहर में खुले इनक्यूबेटर स्कूल में बच्चों को भविष्य का बिज़नसमैन बनना सिखाया जा रहा है.इस स्कूल में पढ़ने वाली हीदी मेंडेज़ ने स्कूल में सीखे गए सबक से अपनी बेरोज़गार हो गई माँ की मदद की.थॉमस सुआरेज़ जब स्कूल में नहीं होते हैं तो अपने प्रिंटर के डिज़इन पर काम कर रहे होते हैं. या फिर स्मार्टफ़ोन या गूगल ग्लास के लिए ऐप बनाते हैं.सुआरेज़ जब मात्र 11 साल के थे तब उन्होंने अपना पहला ऐप और अपनी पहली कंपनी कैरटकॉर्प बनाई थी.सुआरेज़ का अब तक का सबसे लोकप्रिय ऐप है, 'बस्टिन जीबर'. यह एक स्मार्टफ़ोन गेम है जिसमें यूजर्स पॉप स्टार जस्टिन बीबर के गाने के स्टाइल में मनचाहे बदलाव कर सकते हैं.हालांकि सुआरेज़ को अभी अपने प्रिंटर के मॉडल का पेटेंट लेना है.
कंपनी चलाने का दबाव"मेरी उम्र के कई बच्चे सीखना चाहते हैं लेकिन ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ वो सीख सकें. क्योंकि स्कूलों में प्रोग्रामिंग नहीं सिखाई जाती"-थॉमस सुआरेज़, अपनी कंपनी चलाने वाले किशोरलेकिन एक किशोर के लिए कंपनी चलाना कितना तनावभरा हो सकता है?


सुआरेज़ कहते हैं, "कुछ है जो मुझे आगे बढ़ने और लगातार नई चीज़ों के निर्माण के लिए प्रेरित करता है."उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि उनके स्कूल में तकनीकी प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम नहीं है.वो कहते हैं, "मेरी उम्र के कई बच्चे सीखना चाहते हैं लेकिन ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ वो सीख सकें क्योंकि स्कूलों में प्रोग्रामिंग नहीं सिखाई जाती."सुआरेज़ के स्कूल के उलट कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस शहर के इनक्यूबेटर स्कूल में बच्चों को अपनी कंपनी शुरु करने और उसे चलाने के गुर सिखाए जाते हैं.सारे बच्चों का एक ख़्वाबइनक्यूबेटर स्कूल के लगभग सभी बच्चे बड़े होकर अपनी कंपनी खोलना चाहते हैं.तक़रीबन एक साल पहले खुले इस स्कूल में पढ़ने वाले लगभग सभी बच्चे भविष्य में अपनी कंपनी खोलना चाहते हैं.इस स्कूल में पढ़ने वाले 11-वर्षीय एहसान वैनाउस कहते हैं, "हम सचमुच इस बारे में काफ़ी सोचते हैं कि हमें भविष्य में क्या करना है. हम अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं."इस स्कूल में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों का सपना ज़करबर्ग या स्पीलबर्ग जैसा बनना है.इस स्कूल में पढ़ने वाली हीदी मेंडेज़ स्कूल में सीखी गई बातों का व्यावहारिक प्रयोग करना शुरू भी कर चुकी हैं.

हीदी की माँ की नौकरी जाने के बाद उन्होंने नया कारोबार शुरू करने में उनकी मदद की. उन्होंने अपनी माँ के लिए एक वेबसाइट भी बनाई.वो कहती हैं, "मेरे पास कई नए विचार हैं और मैं एक वेबसाइट बनाकर इनका उपयोग करना चाहती हूँ."

Posted By: Satyendra Kumar Singh