JAMSHEDPUR: पीएचडी की डिग्री देने और इससे संबंधित परीक्षाओं के संचालन में पारदर्शिता को लेकर कोल्हान यूनिवर्सिटी (केयू) में सभी विभाग के डीन, एचओडी की बैठक शनिवार को वीसी डॉ शुक्ला माहांती की अध्यक्षता में हुई। इसमें पीएचडी को लेकर आगे की परीक्षाओं व रिसर्च के तरीके पर मंथन किया गया। मालूम हो कि कोल्हान विश्वविद्यालय में पीएचडी की उपाधि प्रदान करने में हुए घोटाले के बाद झारखंड में विवि की बड़ी किरकिरी हुई है। इस मामले में राजभवन के आदेश के बाद जांच में विश्वविद्यालय के छह महत्वपूर्ण पदों पर आसीन शिक्षकों एवं पदाधिकारियों पर दोषी पाया गया था। इस मामले में वर्तमान में कार्रवाई होनी है।

पायरेसी रोकने पर जोर

शनिवार को कोल्हान विश्वविद्यालय में आयोजित बैठक में यूजीसी के पीएचडी रेगुलेशन 2009 तथा 2016 पर विस्तृत विचार मंथन हुआ। निर्णय लिया गया कि सारे शोध कार्यो को शोध गंगा पर अपलोड किया जायेगा। इससे शोधार्थियों को विस्तृत जानकारी मिलेगी और पायरेसी भी रुकेगी। विश्वविद्यालय स्तर से पायरेसी रोकने के लिए अलग से प्रकोष्ठ का गठन किया जायेगा। यूजीसी के सॉफ्टवेयर को अपलोड करने के बाद यह प्रकोष्ठ कार्य करने लगा। इससे स्थानीय स्तर पर ही पायरेसी रोकने में मदद मिलेगी। बैठक में वीसी डॉ शुक्ला माहांती ने कहा कि विश्वविद्यालय पीएचडी में हो रहे शोध कार्य और होने वाले शोध कार्य को लेकर काफी गंभीर है। शोध गंगा पर शोध पत्रों के अपलोड़ होने से पारदर्शिता बनी रहेगी। ऐसा करना यूजीसी के निर्देश पर भी जरूरी है।

इनकी रही मौजूदगी

बैठक में मुख्य रूप से प्रोवीसी डॉ रणजीत कुमार सिंह, कुलसचिव डॉ एसएन सिंह, प्रॉक्टर डॉ एके झा, डीएसडब्ल्यू डॉ टीसीके रमण, सीसीडीसी डॉ जेपी मिश्रा सहित सभी डीन, व सभी विभाग के एचओडी उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive