-शहर में मानक से कई गुना अधिक जा पहुंचा प्रदूषण का लेवल, कंट्रोल करने के लिए नहीं हो रहा कोई इंतजाम

-पीएम 2.5 व पीएम 10 के कण प्रवासी सम्मेलन में शामिल होने आ रहे प्रवारियों की बढ़ा सकते हैं परेशानी

स्मार्ट सिटी वाराणसी में पहली बार हो रहे एनआरआई समिट में शामिल होने वाले देशी-विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला अगले सप्ताह से शुरू हो जाएगा। इन्हें शहर में कही किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसके लिए तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं। लेकिन शहर में क्रिएट हुई एक बड़ी समस्या पर अब तक किसी का ध्यान ही नहीं गया है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से सिटी में अपने मानक से कई गुना ज्यादा बढ़ चुके पॉल्यूशन के लेवल को कंट्रोल करने के लिए कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। जबकि प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 में सामान्य लेवल 60 और पीएम 10 में 100 होना चाहिए। जबकि ऐसा है नहीं है। शहर में फॉग व स्मॉग के चलते पीएम-10 व पीएम 2.5 का लेवल लगातार बढ़ा स्तर पाया जा रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कहीं बढ़ा हुआ यह पॉल्यूशन मेहमानों का घुटन न बढ़ा दे।

स्मॉग से भी बिगड़ी आबोहवा

ठंड के इस मौसम में शहर की आबोहवा बिगड़ रही है। स्मॉग व पॉल्यूशन से जब लोकल लोगों की परेशानी बढ़ चुकी है तो मेहमानों का क्या होगा? इसके लिए उपाय जरूरी है। एक्सपर्ट का कहना है कि बनारस शहर में प्रेजेंट में जो आबोहवा है वह प्रवासी भारतीय सम्मेलन में आने वाले मेहमानों की मुश्किलें बढ़ा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एनआरआई को शुद्ध हवा में सांस लेने की आदत है। और वर्तमान में बनारस में प्रदूषण का जो लेवल है, उससे पूरा देश वाकिफ है।

चार गुना से ज्यादा लेवल

शहर में डेवलपमेंट वर्क के लिए जगह-जगह हो रही खोदाई से निकल रही मिट्टी, धूल के गुबार और गाडि़यों से निकलने वाले धुएं की वजह से पॉल्यूशन का लेवल हाईएस्ट लेवल पर जा पहुंचा है। इससे सांस के रोगियों का दम घुट रहा है। एयर फॉर केयर संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक इधर एक सप्ताह में बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। धूल भरे कैंट एरिया में तीन जनवरी को पीएम 2.5 का लेवल 268 के स्तर पर रहा, जो तय मानक से चार गुने स्तार से भी ज्यादा है। पीएम 10 का स्तर भी 412 रहा। कमोवेश यही स्थिति अर्दली बाजार, महमूरगंज और शहर के अन्य क्षेत्रों में भी रही।

इसलिए हो रहा ऐसा

क्लाइमेट एजेंडा के सीनियर रिसर्चर धीरज डबगरवाल की मानें तो एयर पॉल्यूशन का लेवल उन सभी फैक्टर्स पर निर्भर करता है जो अलग-अलग वजहों से पॉल्यूशन क्रिएट करते हैं। इस समय मौसम का जो हाल है वह पॉल्यूशन के लेवल को तो बढ़ा ही रहा है। वहीं सड़कों पर दौड़ रही गाडि़यों से निकलने वाले धुएं व उद्योगों में निर्माण में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन हो रहा है जो शहर की आबोहवा को बिगाड़ रही है। जब तक इन पर कंट्रोल नहीं होगा तब तक पॉल्यूशन को कंट्रोल कर पाना आसान नहीं होगा।

एक सप्ताह का लेवल

डेट पीएम 2.5 पीएम 10

3 जनवरी -268 412

4 जनवरी -228 392

5 जनवरी -248 401

6 जनवरी -198 348

7 जनवरी -174 300

8 जनवरी -192 321

9 जनवरी -171 298

क्या है मानक?

पीएम 2.5 60

60 से ज्यादा बढ़ेगा तो खतरा

पीएम 10 100

100 से ज्यादा होने पर खतरा

एक नजर

05

लाख छोटे बड़े वाहन दौड़ रहे हैं शहर में

01

लाख वाहन बाहर से रोज आते हैं शहर में

28

नवंबर 2018 को पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए जिला प्रशासन ने बनाई थी कमेटी, डीएम हैं अध्यक्ष

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विभाग हैं कमेटी में

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वर्जन--

अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से कोई निर्देश नहीं आया है। फिर भी विभाग इसे अपने स्तर से कंट्रोल करने का प्रयास कर रहा है। बढ़ती गाडि़यों की वजह से सबसे ज्यादा पॉल्यूशन फैल रहा है। इसके लिए आरटीओ और ट्रैफिक डिपार्टमेंट को भी सोचने की जरूरत है।

एके आनंद, यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अधिकारी

संस्था अपने स्तर पर जितना हो सकता है, उतना प्रयास कर रही है। निर्माण कार्य, विकास कार्य की सीमाएं और गाडि़यों की संख्या निर्धारित करने की आवश्यकता है।

धीरज कुमार दबगरवाल, सीनियर रिसर्चर, द क्लाइमेट एजेंडा

Posted By: Inextlive