इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री से लेकर सोशल मीडिया तक हर तरफ सिर्फ सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ चल रहे 'मी टू मूवमेंट' की चर्चा है। हर कोई इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहा है। हालांकि फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने इसपर चुप्पी साध रखी है जो अब एक्ट्रेस कंगना रनोट के निशाने पर आ गए हैं...


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KANPUR: कंगना रनोट, जो अपनी बेबाक राय दुनिया के सामने रखने के लिए जानी जाती हैं, ने हाल ही में शबाना आजमी और करन जौहर जैसे सेलेब्रिटीज को निशाने पर लिया है। कंगना इस वक्त देशभर में चल रहे 'मी टू मूवमेंट' का खुलकर सपोर्ट कर रही हैं। उनका कहना है, 'यह कैंपेन सिर्फ मेरे बात करने से सक्सेसफुल नहीं होगा। इंडस्ट्री के 'ए-लिस्ट' स्टार्स को भी इस मुहीम से जुड़ना होगा और खुलकर बात करनी होगी। कहां हैं शबाना आजमी और करन जौहर जैसे लोग? इन लोगों को बात करनी चाहिए। करन अपने जिम लुक और एयरपोर्ट लुक के बारे में 10 बार ट्वीट कर सकते हैं लेकिन 'मी टू' के बारे में नहीं। यह इंडस्ट्री हम सबकी पहचान है, हमारी रोजी-रोटी है। जब फिल्म इंडस्ट्री एक बेहद अहम बदलाव से गुजर रही है तो ऐसे में करन और शबाना जैसे लोग कहां हैं?' 

लड़कियां नहीं हैं 'बार्बी डॉल'  

करन के अपकमिंग चैट शो पर निशाना साधते हुए कंगना ने कहा, 'मैंने उनके टॉक शो का प्रोमो देखा है, जो उन्होंने हाल ही में लॉन्च किया है। इस शो में एक बार फिर वही फालतू की छिछोरी बातें हो रही हैं कि कौन-किसके साथ सो रहा है। उन मर्दों की तारीफ क्यों की जाए, जो कपड़ों की तरह लड़कियां बदलते हैं? लड़कियों को 'बार्बी डॉल' बना दिया गया है, यह ठीक नहीं है। 

छोटी उम्र में बड़ा फैसला

कंगना आगे कहती हैं, 'सच कहूं तो यह बहुत फनी है, जब मैंने अपना करियर शुरू किया था तब मैं 17 साल की थी। तब से देख रही हूं कि लोग यही गॉसिप करते हैं कि कुछ चुनिंदा लोग एक-दूसरे के साथ सोते हैं। यह हाई टाइम है, अब हमें आगे बढ़ना होगा और अपनी सोच को बदलना होगा। मैंने सेक्सुअल हैरेसमेंट में शामिल आरोपियों के साथ काम न करने का फैसला लिया है। मैं जब 17 साल की थी तो मेरे साथ ऐसी घटना घटी थी, तब मैंने 'एफआईआर' भी की थी। कुछ महिलाएं अपने साथ हुए हैरेसमेंट का जवाब तुरंत देती हैं जबकि कुछ जवाब नहीं दे पातीं। हमें ऐसी महिलाओं को हिम्मत देनी है।' 

सही मर्दों को करें 'ग्लोरिफाई' 

इस दौरान कंगना ने यह भी बताया कि लोगों को कैसे मर्दों को प्रमोट करना चाहिए। कंगना बोलीं, 'हमें ऐसे मर्दों की बात करनी चाहिए जो खुद को 'वन वुमन मैन' की तरह प्रोजेक्ट करते हैं नाकि उन लोगों को जो खुद को 'कैसेनोवा' मानते हैं, हमें उन्हें 'ग्लोरिफाई' नहीं करना चाहिए। आप किसी महिला को 10 साल तक डेट करते हैं और फिर उसे पुराने कपड़ों की तरह बदल देते हैं। मैं किसी को जज नहीं कर रही हूं, वे सब मेरे दोस्त हैं। पर वे लोग अगर इंडस्ट्री में हो रहे इस बदलाव का हिस्सा नहीं बनना चाहते तो फिर वे खुद को इंडस्ट्री का मसीहा क्यों बुलाते हैं?' 

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Posted By: Swati Pandey