गोरखपुराइट्स दूध पी रहे हैं या जहर इस बात की उन्हें जरा भी खबर नहीं है. बदलते परिवेश के साथ ही शहर में पैक्ड दूध का यूज कई गुना बढ़ा है.

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GORAKHPUR: गोरखपुराइट्स दूध पी रहे हैं या जहर, इस बात की उन्हें जरा भी खबर नहीं है. बदलते परिवेश के साथ ही शहर में पैक्ड दूध का यूज कई गुना बढ़ा है. धीरे-धीरे शहर में डेयरियों के खत्म होने के साथ ही पैक्ड दूध का कारोबार करोड़ों रुपए तक पहुंच गया है. इस समय शहर में दो लाख लीटर से ज्यादा दूध की डिमांड है जिसके कारण इस धंधे में कई कंपनियां भी हाथ आजमा रही हैं. वहीं शहर में दूध उत्पादन की बात करें तो गर्मी के मौसम में बहुत ही कम हो जाता है. जिससे इतनी डिमांड कैसे पूरी होती है ये सवाल उठना लाजिमी है. भागमभाग भरी जिंदगी में अधिकतर घरों में पैक्ड दूध की महक और उसकी क्वालिटी को लेकर सवाल भी उठता है तो लोग इसे समय के अभाव में इग्नोर कर देते हैं. वहीं विशेषज्ञ की मानें तो पैक्ड दूध तीन से चार घंटे में यूज करना ही होता है लेकिन उसे लोग प्लास्टिक के पैकेट में रख फ्रिज में डालकर कई दिन तक यूज करते हैं तो वह जहर के समान है.

गर्मी में घटा उत्पादन, सप्लाई में कमी नहीं
गर्मी के मौसम में दूध का उत्पादन काफी घट जाता है. इसके बाद भी शहर के लोगों की डिमांड पैक्ड दूध वाली कंपनियां पूरी कर रही हैं. फूड सेफ्टी अधिकारी की मानें तो इस मौसम में दूध की कमी हो जाती है जिसकी वजह से मिल्क पाउडर से दूध बनाकर उसे पैक कर बेचा जाता है. इस मिल्क पाउडर की वजह से ही दूध में थोड़ी महक आ जाती है लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं है. बस ये जरूरी है कि इस दूध का चार घंटे के अंदर यूज जरूर करना चाहिए. इसके बाद दूध की क्वालिटी खराब हो जाती है.

शहर में बिक रहा दर्जनों कंपनियों का दूध
शहर में पहले जहां इक्का-दुक्का कंपनियों के ही पैक्ड दूध दुकानों पर अवेलबल रहते थे. वहीं अब दूध की बढ़ती डिमांड को देखते हुए गोरखपुर के मार्केट में कई कंपनियों का दूध बिक कर रहा है. इन कंपनियों की गाडि़यां सुबह चार बजे से ही मार्केट में दौड़ने लगती हैं. तमाम जगह दुकानों पर इनके दूध के कैरेट बाहर ही देखे जा सकते हैं.

पैक्ड दूध का यूज करते समय बरतें सावधानी

- पैक्ड दूध खरीदने के बाद चार घंटे के अंदर ही इसे गर्म करें.

- फ्रिज में कई दिन तक दूध रखकर सेवन करने से बचें.

- नवजात को पैक्ड दूध कतई ना दें.

- दूध में जरा भी महक या बदबू आए तो इसका यूज करने से बचें.

फैक्ट फिगर

शहर में पैक्ड दूध की खपत - करीब 2 लाख लीटर

पैक्ड दूध बेचने वाली कंपनियां - 12-14

दूध का रेट आधा लीटर- 20-25 रुपए

दूध का कारोबार- करीब एक करोड़ रुपए डेली

शहर की आबादी- 20 लाख से ज्यादा

मिलावटखोरी भी चरम पर
शहर में दूध में मिलावट का खेल भी खूब हो रहा है. ज्यादातर देहात इलाके से आने वाले दूध कारोबारी आए दिन शहर की सड़कों के किनारे दूध में बर्फ से लगाए केमिकल मिलाते दिख जाते हैं. वहीं इनकी मिलावट की पोल तब खुलती है जब अचानक चेकिंग के लिए कोई टीम सड़कों या फिर उनके एकत्रित होने वाली जगह पर पहुंचती है तो ये दूध छोड़कर ही भाग जाते हैं.

पब्लिक कॉलिंग
पहले तो नहीं लेकिन इधर पैकेट वाले दूध में अजीब सी महक आती है. इसके लिए पीने और चाय में यूज करते समय इसमे कुछ और चीजों को मिलाया जाता है ताकि महक न आए.
- शकुंतला शर्मा, हाउस वाइफ

दूध में महक की वजह से बच्चे पीने से इनकार करते हैं. इसके लिए दूध में हॉरलिक्स या बूस्ट का सहारा लेना पड़ता है जिससे बच्चे दूध पी सकें.
- तनुश्री बनर्जी, हाउस वाइफ

दूध की सैंपलिंग हर 15 दिन पर कराई जाती है. अभी तक तो कोई शिकायत नहीं मिली है. इधर फिर से दूध का सैंपल लेकर इनकी जांच करवाई जाएगी.्र
- पीएन सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट

गर्मी में बासी दूध बहुत ही हानिकारक है. दूध को ज्यादा देर तक प्लास्टिक में नहीं रखना चाहिए. दूध को खरीदकर चार घंटे के अंदर ही इसका यूज करें नहीं तो इसके कारण दस्त, पेट दर्द और उल्टी की शिकायत हो सकती है.
- डॉ. बीके सुमन, सीनियर फीजिशियन

प्लास्टिक के पैकेट में अधिक देर तक दूध कतई ना रखें. इसका समय से यूज करें नहीं तो इससे तमाम बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. दूध की समय-समय पर सैंपलिंग भी होती रहनी चाहिए.
- डॉ. गौरांग श्रीवास्तव, डेंटिस्ट

Posted By: Syed Saim Rauf