RANCHI: बेटियों को बचाने और पढ़ाने का अभियान चल चुका है। इसकी शुरुआत भले ही हाल में हुई हो, लेकिन हमारे शहर में इसके मिसाल पहले से ही कायम हैं। हिंदपीढ़ी इलाके की कुछ बेटियां शिक्षा जगत में पहल करते हुए डेढ़ साल पहले ही नई इबारत लिखनी शुरू कर दी थीं। इनके बुलंद हौसलों की बदौलत महज कुछ बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाला यह परिसर आज एक स्कूल का रूप ले चुका है।

गरीबों के लिए आशा की किरण

हिंदपीढ़ी के मल्लाह टोली स्थित मिल्लत एकेडमी स्कूल आज उन बच्चों के लिए आशा की किरण साबित हो रहा है जिनके लिए स्कूल जाना तो दूर, किताब खरीदना भी संभव नहीं था। दिन भर धूल-मिट्टी में सने रहने वाले इन बच्चों को आज यहां सीबीएसई पैटर्न पर इंग्लिश मीडियम से पढ़ाया जा रहा है। ये सिर्फ इसलिए मुमकिन हो पाया कि स्कूल की फी मात्र डेढ़ सौ रुपए रखी गई थी। रिक्शा चलाने वालों से लेकर छोटे-मोटे रोजगार करने वालों के घर-घर जाकर उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने की दरख्वास्त की गई और आखिरकार मेहनत रंग लाई।

वीमेंस मूवमेंट की उपज है मिल्लत एकेडमी

साल 2013 में मिल्लत एकेडमी की शुरुआत कुछ वीमेन फैकल्टी के साथ हुई। इनमें रूमा रॉय, जैनाब खातून जैसी कुछ पुरानी फैकल्टी भी इस ग्रुप में शामिल हुई। मिल्लत एकेडमी में पढ़ाने के लिए ऐसी टीचर्स सामने आई, जिनका लक्ष्य पढ़ाई के बदले पैसे लेना नहीं, बल्कि गरीब बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाना था। घर में रह कर बीएड, पीएचडी की पढ़ाई के साथ रिसर्च स्कॉलर कर रही लड़कियां स्कूल से जुड़ीं। मिल्लत एकेडमी के दुबारा शुरू होने पर सबिहा बानो इसकी प्रिंसिपल बनीं, जो शादी के पंद्रह सालों बाद इस स्कूल के साथ अपने कॅरियर की नई शुरुआत की। आज सबिहा बानो की तरह स्कूल में नौ वीमेन फैकल्टिज हैं, जो मुस्लिम परिवार से आती हैं। स्कूल की इन फैकल्टिज ने स्कूल मैनेजमेंट से लेकर टीचिंग और एक्स्ट्रा को-कॅरिकुलर एक्टिविटी की भी जिम्मेवारी उठा रखी हैं।

मिल्लत एकेडमी का रिबर्थ

सन 1972 में हिंदपीढ़ी के मल्लाह टोली में मिल्ली तालीमी मिशन के एकमात्र स्कूल की शुरुआत एक कमरे में हुई थी। उर्दू मीडियम की पढ़ाई वाले इस स्कूल ने रफ्तार तो पकड़ी लेकिन अचानक साल 2012 में विपरित परिस्थितियों के कारण इसे बंद कर दिया गया। स्कूल बंद होने के लगभग एक साल बाद इसे दुबारा शुरू करने की पहल सामाजिक कार्यकर्ता हुसैन कच्छी ने की। हुसैन कच्छी ने बतौर डायरेक्टर मिल्लत एकेडमी के नाम से स्कूल की नींव को दुबारा खड़ा किया।

वर्जन

मिल्लत एकेडमी के लिए घर-घर जाकर लड़कियों और महिलाओं से संपर्क किया गया। बेहतर क्वालिफिकेशन होने के बावजूद ये महिलाएं घरों में रहती थी। इन्हें मिल्लत एकेडमी की जिम्मेवारी दी गई और आज ये टीम सफल साबित हो रही है।

हुसैन कच्छी, डायरेक्टर मिल्लत एकेडमी

स्कूल मैनेजमेंट से लेकर पढ़ाई तक की जिम्मेवारी महिलाओं पर है। एक अलग तरह के वातावरण में यहां गरीब बच्चों को सबसे कम खर्च पर इंग्लिश मीडियम से पढ़ाया जा रहा है। हमारी फैकल्टी भी समाज सेवा समझ कर इस मूवमेंट से जुड़ी हैं।

सबिहा बानो, प्रिंसिपल

पहले वाले स्कूल से ही मैं जुड़ी हुई हूं। उर्दू मीडियम के बाद इंग्लिश मीडियम का दौर आ गया। गरीब तबके बच्चों को यहां महिलाएं एकजुट होकर शिक्षा दे रही हैं। केजी से क्लास फोर के लिए हमारे पास डेढ़ सौ बच्चे हैं। अभी बड़ी संख्या में लोग जागरूक होकर एडमिशन भी करा रहे हैं।

जैनाब खातून, टीचर

Posted By: Inextlive