- स्वरूपनगर आईएनआईएफडी में ऑर्गनाइज्ड मिलेनियल्स स्पीक' में यूथ ने बेबाकी से शेयर किए अपने चुनावी मुद्दे विमेन्स डे पर महिलाओं ने रखी अपनी बात.

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KANPUR : लोकसभा चुनाव को लेकर शुरू किए गए। 'मिलेनियल्स स्पीक' में हम रोज यूथ के बीच में जाकर उनके चुनावी मुद्दों पर बात कर रहे हैं। लेकिन, फ्राइडे को व‌र्ल्ड विमेन्स डे के मौके पर हमने खास महिलाओं के बीच पहुंच कर सिर्फ उनके ही चुनावी मुद्दों को प्रथमिकता दी। थर्सडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम और रेडिया सिटी आरजे राघव स्वरूपनगर स्थित आईएनआईएफडी इंस्टीट्यूट पहुंचे। यहां महिलाओं ने कुछ ऐसे मुद्दों पर बात की जिन पर अक्सर कई बार हम सोचने के बावजूद शांत हो जाते हैं। विमेन के भी मुद्दे हर बार की तरह ही जाति धर्म से दूर, सिविक सेंस को बढ़ावा देने वाले और आरक्षण को खत्म करने वाले रहे.

आजादी का न उठाए फायदा
साक्षी गुप्ता, दीक्षा सिंह ने कहा कि हम अक्सर महिलाओं को आगे बढ़ाने की बात करते हैं। जबकि, हमें इस मेंटेलिटी को चेंज करना चाहिए। जब हम मेल और फीमेल को बराबरी का दर्जा दे रहे हैं तो फिर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अलग से मौके क्यों दिए जाएं। उन्होंने कहा कि हर बार मेल ही गलत नहीं होते हैं। कभी-कभी विमेन अपनी आजादी का ही गलत फायदा उठाने लगती हैं। विमेन अक्सर इमोशनल होकर अपना काम बना लेती हैं, जबकि मेल के साथ ऐसा नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी गवर्नमेंट चाहिए, जो मेल और फीमेल को बराबरी का दर्ज दिलाए न कि एक पक्ष को सहानुभूति दे।

सिर्फ काम करने वाले की.
यूथ ने इंडियन आर्मी के जज्बे को सलाम करते हुए तालियां बजा कर उनका हौसला बढ़ाया। कृति व चित्रा ने कहा कि हमारी कंट्री में अब यूथ का परसेंटेज लगातार बढ़ रहा है। इसमें भी मेल और फीमेल का रेशियो भी लगभग बराबरी पर ही है। आने वाले समय में हम सबसे ज्यादा यूथ पॉपुलेशन वाली कंट्री होंगे। ऐसे में पहले जहां नेता सिर्फ लुभावने वादे करके ही लोगों से वोट पा लेते थे, अब उन्हें एक-एक वोट के लिए सच बोलना पड़ेगा। एक घर में सिर्फ मेल वोटर्स की चलती थी, लेकिन अब फीमेल वोटर्स भी अपनी मर्जी से वोट दे सकती हैं। इसलिए, नेताओं को फीमेल्स से रिलेटेड योजनाओं को ध्यान में रख कर फैसले लेने होंगे।

रिजर्वेशन को जड़ से करें खत्म
आकांक्षा व कीर्ति ने कहा कि अगर बात बराबरी की है तो फिर रिजर्वेशन नहीं होना चाहिए। कहा अब सभी वर्ग के लोग समृद्ध हैं। सामान्य के पास कम पैसा होगा, जबकि अन्य कास्ट ज्यादा समृद्ध हो चुके हैं। जिसमें जितना टैलेंट हो उसे उतना ही काम और पैसा मिलना चहिए। जबकि, गवर्नमेंट सिर्फ रिजर्वेशन के आधार पर टैलेंटेड को पीछे ढकेल कर नकारों को जबरन वो थमा रही है, जिसका उन्हें अधिकार ही नहीं है। वोट बैंक की राजनीति बंद होनी चाहिए और रिजर्वेशन को जड़ से खत्म कर देना चाहिए। किसी भी जाति और धर्म को रिजर्वेशन नहीं देना चाहिए।

महिलाओं पर हो फोकस
दीक्षा, शिफा व हिरा ने कहा कि कंट्री तभी डेवलप हो सकती है, जब हर एक यूथ उसे डेवलप करने में अपना सहयोग दे। कहा प्रेजेंट गवर्नमेंट में मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने इस सोच का बल दिया है। जिन चीजों पर पहले अपने पड़ोसी या अन्य देशों पर निर्भर रहते थे, उनका निर्माण अब देश में ही हो रहा है। इसमें गवर्नमेंट का भी पूरा सहयोग मिला है। इसमें महिलाएं भी आगे बढ़ी हैं। कहा ऐसी योजनाओं में गवर्नमेंट महिलाओं को प्रोत्साहित करने में ज्यादा ध्यान दे रही है। ऐसी ही सोच रखने वाली गवर्नमेंट होनी चाहिए।

करप्शन से यूथ अनइम्प्लॉय
सोनाली, मुनीबा व अनम ने कहा कि अगर कंट्री में करप्शन खत्म हो जाए तो अपने आप अनइम्प्लॉमेंट खत्म हो जाएगा। गवर्नमेंट सेक्टर में आज भी सैकड़ों पोस्ट खाली पड़ी हैं। एग्जाम होता है, लेकिन किसी न किसी कारण से रद्द कर दिया जाता है। इससे जनता के पैसों की बर्बादी होती है। गवर्नमेंट कई तरह की योजनाएं चलाती है। लेकिन, किसानों का कर्ज माफी और बेरोजगार भत्ता जैसी योजनाएं उन्हें कमजोर बनाती है।

सिविक सेंस में विमेन का रोल
यूथ ने कहा कि कंट्री में आज भी लोगों में सिविक सेंस की कमी नजर आती है। डस्टबिन रखा होने के बाद भी लोग कूड़ा डस्टबिन के बाहर फेंक देते हैं। रात होते ही घरों से महिलाएं कूड़ा उठा कर घरों के बाहर डाल देती हैं। कहा कहीं न कहीं सिविक सेंस को बढ़ावा देने में विमेन अच्छा रोल अदा कर सकती हैं। मसलन विमेन अपने बच्चों को बचपन में ही गंदगी न फैलाने और ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने जैसी शिक्षा दे सकती हैं। हमने खुद कई बार देखा कि बाइक पर सफर करने के दौरान महिलाओं अपने पतियों को खुद ही रूल्स फॉलो करने के लिए कहती हैं। बार बार टोकते रहने से एक न एक दिन उनमें सिविक सेंस भी डेवलप हो ही जाता है।

 

मिलेनियल्स वर्जन-

- किसी भी गवर्नमेंट में लोगों को खुद ही सुधार करने होते हैं। बात अगर सिविक सेंस की करें तो वो डेवलप करना बहुत जरूरी है। पैरेंट्स और स्कूलों को बच्चों को मोरल एजूकेशन देने के बाद प्रैक्टिकल भी कराना चाहिए।

- यूथ को लालच देने वाले वादे करने वाले नेताओं को सबक सिखाने का समय है। जो काम करेगा उसे ही वोट दिया जाएगा। हमें भी अपनी कंट्री को विश्व में नंबर वन बनाना है। इसलिए, जरूरी है कि हम सब हिस्सेदारी निभाएं।

- शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गवर्नमेंट को काम करने की जरूरत है। इसके अलावा मुझे इस गवर्नमेंट में करप्शन कम लगता है। कर्मचारियों में ईमानदारी को लेकर जज्बा जगना शुरू हो चुका है।

- करप्शन के मुद्दे पर काम करने वाली गवर्नमेंट चाहिए। करप्शन को खत्म करने के लिए यूथ भी उनका साथ देंगे। शिक्षा अच्छी होगी तो करप्शन में अधिकारी और कर्मचारी लिप्त नहीं होंगे। सच कहूं तो करप्शन को लालच जन्म देता है।

- लोगों में आज सिविक सेंस की कमी दिखाई देती है। इस कारण हम खुद ही कई समस्याओं से घिर चुके हैं। पॉल्यूशन के कारण ही लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। अगर सिर्फ गवर्नमेंट के एक्शन भरोसे बैठे रहे तो बहुत देर हो जाएगी।

- चुनाव नजदीक आते ही नेता लुभावने वादे करते दिखते हैं। लेकिन, यह हमें ही समझने की जरूरत है कि वोट किसको देना है। हमें वोट करना चाहिए और ऐसे व्यक्ति को यूथ के फ्यूचर को बनाने की योजनाओं पर काम कर सके।

- गरीबों के लिए आने वाले योजनाओं का लाभ मिडिल क्लास उठा लेते हैं। कम से कम कोई ऐसी बॉडी होनी चाहिए, जो इस तरह के करप्शन पर गंभीरता से काम कर सके। अगर हमारी कंट्री से करप्शन मिट जाए तो हम पॉवरफुल खुद ही हो जाएंगे।

कड़क मुद्दा
अगर कोई नेता सोचे कि वो यूथ इंडिया को बहला फुसला कर अपना मतलब निकाल लेगा तो वो गलत है। कहा सिर्फ डेवलपमेंट की बात न हो, बल्कि डेवलपमेंट सड़कों तक दिखना चाहिए। आज भी शहर की हर सड़क गड्ढों से भरी पड़ी है, जबकि आए दिन वीआईपी शहर में होते हैं। इस सोच को मिटाने वाले को ही वोट देंगे। गवर्नमेंट बनने के बाद नेता पब्लिक की समस्याओं को देखना बंद कर देते हैं। डेवलपमेंट सिर्फ कागजों पर होता है, उसे छिपाए रखने में कर्मचारियों से लेकर अधिकारी तक का हिस्सा लगता है।

मेरी बात
सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम करप्शन को मिटाएं। रीजन यह है कि करप्शन के कहीं न कहीं हम खुद भी दोषी हैं। करप्शन को खत्म करने के लिए हमें भी बराबर से जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। भगवान के मंदिर में लगने वाली लाइन से लेकर राशन की लाइन में भी जुगाड़ खोजने की आदत को बदलना होगा। क्योंकि, सभी को अपना अधिकार समय से मिलना चाहिए। गवर्नमेंट कोई भी योजना लागू करती है तो ग्राउंड लेवल पर उनके ही मातहत करप्शन फैलाने का काम करते हैं। सभी को ऊपरी कमाई चाहिए, चाहें वो एक चपरासी हो या फिर कोई अधिकारी।

वर्जन

शिक्षा का स्तर पहले से सुधर रहा है.नकल माफियाओं पर लगाम कसी है। यही कारण है कि रिजल्ट में कुछ गिरावट जरूर हुई है, लेकिन ये स्टूडेंट्स के फ्यूचर के लिए बहुत अच्छा है। स्टूडेंट्स में फेल होने का डर होगा तो वो पढ़ेंगे। सिर्फ नकल के भरोसे नहीं रहेंगे।
 सतमोला

- चुनाव सिर्फ पुरुष प्रधान नहीं होने चाहिए। जब महिलाओं को हर जगह बराबरी से देखा जा रहा है, तो उन्हें राजनीति में भी बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। राजनीति को सफल और ईमानदार बनाने के लिए जरूरी है कि इसमें भी हर गवर्नमेंट डिपार्टमेंट की तरह ही ऐज रिस्ट्रिक्शन रखा जाए। बुजुर्गो को राय लेने के लिए रखा जाए और यूथ को काम करने के लिए। यानी जब जज्बा और एक्सपीरियंस साथ आएंगे तो देश की तरक्की भी 100 परसेंट तय है।

Posted By: Inextlive