MillennialsSpeak : हमको चाहिए टेरेरिजम की धज्जियां उड़ाने वाली गवर्नमेंट
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kanpur : हमारी कंट्री को नेशनल सिक्योरिटी और टेरेरिजम के इश्यू पर अपने लेवल पर खुलकर फैसले लेने की जरूरत है. यह मुद्दा पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसी स्थिति में हमें अपने फैसलों से भी वर्ल्ड में अपनी अलग इमेज बनाने की जरूरत है. कुछ ऐसा ही माहौल प्रजेंट टाइम में देखने को मिला है, जब हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों में घुसकर उनकी करनी का फल दिया. कुछ ऐसी ही सोच के साथ यूथ ने 'मिलेनियल्स स्पीक' के मंच से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी आरजे राघव से अपने चुनावी मुद्दे शेयर किए. ट्यूजडे को हम स्वरूपनगर स्थित वी हेयरक्राफ्ट पहुंचे, जहां यूथ ने अपने चुनावी मुद्दे शेयर किए.
मजबूत हो नेशनल सिक्योरिटी
विनोद कुमार बधवार और अजहर ने कहा कि हम नेशनल सिक्योरिटी के मामले में हमेशा पीछे रहे हैं. लेकिन, वर्तमान गवर्नमेंट ने नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दे जैसे टेरेरिजम, क्राइम, इकनॉमिक सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, एनवॉयरमेंटल सिक्योरिटी, फूड सिक्योरिटी और साइबर सिक्योरिटी पर काम शुरू कर दिया है. आज से 6 साल पहले तक हम नेशनल सिक्योरिटी के मुद्दों से ही अंजान थे. इन मुद्दों पर काम करना भी गवर्नमेंट की जिम्मेदारी है. पूर्व में इन मुद्दों को जनता से दूर रखा गया, जिसके चलते हम समृद्धि की दौड़ में कहीं न कहीं पीछे रह गए. किसी भी कंट्री की मजबूती में उसकी नेशनल सिक्योरिटी मेन रोल निभाती है, जो अब हमारी कंट्री को भी समझ में आने लगा है. यूथ को ऐसी गवर्नमेंट चाहिए, जो नेशनल सिक्योरिटी को मजबूत करे, जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ सके.
प्रवीन, कौशलेंद्र ने कहा कि हम डिजिटल इंडिया के यूथ हैं. इस पीढ़ी में कुछ पुराने लोग भी शामिल हैं, जो डिजिटलाइजेशन से अभी भी खौफ खाते हैं. उन्हें अभी तक इस डिजिटल इंडिया का मतलब भी पूरी तरह से समझ नहीं आया है. इस पर आए दिन साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ना उनके लिए मुसीबत बनता जा रहा है. लोगों को इस संबंध जागरुक करने की जरूरत है, जिससे वो साइबर क्राइम को रोकने में खुद भी अहम रोल प्ले कर सकें. गवर्नमेंट ने जो कदम बढ़ाया है, उसमें और सुधार की जरूरत है. अगर साइबर क्राइम होता भी है, तो जिम्मेदार इतने स्मार्ट होने चाहिए कि वो क्रिमिनल तक पहुंच सकें. जब क्रिमिनल स्मार्ट हो गए हैं, तो हमारी पुलिस को उससे भी ज्यादा स्मार्ट होना ही पड़ेगा.
विमेन सेफ्टी का न उड़े मजाक
रेखा, कल्पना व किरन ने अपने चुनावी मुद्दों को बेबाकी से सबके सामने रखा. उन्होंने कहा कि आज भी हमारी सिटी में लोगों को अपनी मेंटेलिटी चेंज करने की जरूरत है. वर्किंग विमेन होने के कारण अक्सर घर पहुंचने में शाम के 8 बज जाते हैं. ऐसे में घर वाले परेशान हो जाते हैं और थोड़ी थोड़ी देर में लोकेशन लिया करते हैं. इसके पीछे रीजन है कि हमारी कंट्री में विमेन सेफ नहीं है. ऑटो वाले से लेकर रिक्शा वाला तक राह चलते महिलाओं पर कमेंट पास करते हैं. हेल्प के लिए कभी महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 डायल भी करो तो फोन नहीं लगता है. इस तरह से विमेन सेफ्टी का मजाक न उड़ाया जाए. विमेन सेफ्टी के लिए सिर्फ मोबाइल वैन, नंबर लांच करने भर से काम नहीं चलेगा. लोगों को अपने विचार बदलने होंगे और पुलिस को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी. अगर किसी ने उनकी जेब गर्म कर दी हो तो पुलिस को दूसरे पक्ष की प्रॉब्लम दिखाई नहीं देती है.
हमारे बीच का नेता चाहिए
पीयूष व मोहिल कुमार ने कहा कंट्री को जितना डेवलप करना चाहिए था, हम उससे काफी पीछे हैं. यही कारण हैं कि लोग पढ़ाई और कमाई के लिए कभी प्रदेश तो कभी देश ही छोड़ रहे हैं. हमें अपने बीच का ऐसा नेता चाहिए, जो जमीन से जुड़ कर काम करे. हमारी जरूरतों को समझे और उसे पूरा करे. हम कई तरह के टैक्स देते हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. एक छोटा सा एग्जाम्पल है कि हम नगर निगम को टैक्स देते हैं. इसके बाद भी सफाई कर्मचारी बिना पैसे लिए काम नहीं करता है. छोटे स्तर से करप्शन को खत्म करने वाली गवर्नमेंट चाहिए.
यूथ ने कहा कि हमारी कंट्री में हर स्तर पर करप्शन फैला हुआ है. कहीं न कहीं हम सब भी इस करप्शन के दोषी हैं. ट्रैफिक रूल्स फॉलो न करने पर अगर कोई होमगार्ड या सिपाही हमारा व्हीकल रोक लेता है तो हम खुद ही रुपए देकर छुट्टी पा लेते हैं. हम पैसे देते हैं और वो पैसे लेते हैं. अगर ऐसे में लोग अपना खुद चालान कटवा लें तो उन्हें भी करप्शन में संलिप्त होने का मौका नहीं मिलेगा. इस तरह की सोच रखने से काफी परिवर्तन हो सकते हैं.
सिविक सेंस पर भी दें ध्यान
यूथ ने अपने चुनावी मुद्दे रखने के साथ ही एक बार फिर सिविक सेंस का मुद्दा उठाया. यूथ ने कहा कि सिविक सेंस को जगाने के लिए गवर्नमेंट कोई योजना नहीं ला सकती है. इसके लिए हमें खुद में सिविक सेंस डेवलप करना होगा. कुछ लोग चौराहे पर जल्दबाजी में सिग्नल तोड़ने, बिना हेल्मेट, बिना सीट बेल्ट के भी व्हीकल चलाने में गुरेज नहीं करते हैं. कूड़ा आज भी लोग अपने घरों के आसपास ही फेंक देते हैं. जबकि, घर के पास पड़ा कूड़ा आपको उतना ही नुकसान पहुंचाता है, जितना आपके घर में. इस तरह के और भी कई मुद्दे हैं, जिन पर खुद लोगों को सोचने की जरूरत है.