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DEHRADUN: लोकसभा चुनाव को लेकर सैटरडे को तिलक रोड स्थित खुडबुड़ा मोहल्ले में आयोजित राजनी-टी में मिलेनियल्स ने कहा कि देश की सुरक्षा, स्वास्थ्य और भोजन को लेकर चुनाव में जीत हासिल करने वाले लोगों की राजनीति अब खतरे में है. अक्सर चुनाव के दौरान सारी पार्टियां एक-दूसरे की कमी दिखाने का प्रयास करती हैं. लेकिन, क्या आपने कभी चुनाव के दौरान किसी पार्टी को अपनी कमियों पर चर्चा करते सुना है. आज राजनीति को लोग पैसा कमाने का आसान रास्ता समझते हैं. जिस कारण राजनीति में कोई भी बिना क्वालिफिकेशन के एंट्री कर पार्टी के नाम पर अपने घर भरता है. इस व्यवस्था को तोड़ने की जो बात करेगा हमारा वोट उसके साथ होगा.उन्होंने कहा कि देश की बागडोर ऐसे हाथों को सौपी जानी चाहिए जो खुद को राजा नही बल्कि सेवक समझकर काम करे. इसके अलावा शिक्षा, पलायन, बिजली, पानी और सुरक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर भी काम करने की जरूरत है. नेता अकसर भाषणों में विविधता में एकता की बात करते हैं. लेकिन, खुद उसे स्वीकार करने से डरते हैं.

कड़क मुद्दा
हमारा कानून व्यवस्था में सुधार की जरूरत है. आये दिन देश में अपराधों की लिस्ट बढ़ती जा रही है. अपराध करने के बावजूद भी अपराधियों को सजा देने में कई साल लग जाते हैं. जिससे लोगों का कानून व्यवस्था से विश्वास उठता जा रहा है. आलम ये है कि रेप के बाद महिलाएं और बच्चियां को इन्साफ के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं. इसलिए जो कानून व्यवस्था को सुधारने की बात करेगा मेरा वोट उसके साथ होगा.

गोरंग गर्ग, स्टूडेंट

मेरी बात
हमारे देश में जॉब के नाम पर कई तरह के काम हो रहे हैं. लेकिन, जानकारी होने के बावजूद भी सरकार या पुलिस उन्हें रोकने की केवल बात करती है लेकिन आज तक जॉब के नाम पर चल रहे गलत धंधों को रोकने के लिए ठोस नीति नहीं बना पाई. जो काले धंधों को बंद करने की बात करेगा मेरा वोट उसके साथ होगा.

 

 

मनीषा उनियाल, हाउस वाइफ

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ
सुख सुविधाओं के सपने दिखाने के बजाय अगर राजनीतिक दल इन्हें साकार करने की दिशा में काम करे तो देश का विकास तय है. लेकिन, सवाल उठता है ऐसा कोई क्यों करें, और उसको क्या लाभ होगा. इस मानसिकता को बदलकर ही देश आगे बढ़ेगा. जो इस ओर ध्यान देगा मेरा वोट उसके साथ होगा.

उज्जवल मित्तल, स्टूडेंट

भारत युवाओं का देश है. युवाओं के वोट पर ही पार्टी की हार या जीत का निर्णय होगा. लेकिनं युवाओं को ही जॉब के नाम पर बंधुवा मजदूर बनकर काम करना पड़ रहा है. देश में एक बेसिक सेलरी का प्रावधान होना चाहिए जो बेसिक सेलरी के कॉन्सेप्ट पर बात करेगा मेरा वोट उसके साथ होगा.

-अनिता गर्ग, पार्षद

जनता के नाम पर वोट बटोरने की बजाय देश हित को लेकर काम करने की जरूरत है. एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हम कुछ भी करने को तैयार है. लेकिन, इस तरह के व्यवहार से विश्व के सामने हमारी नेगेटिव इमेज बनती है. हमें अपने व्यवहार और सोच के स्तर में बदलाव लाने की जरूरत है.

-मुकेश कुमार प्रजापति, प्राइवेट जॉब

हमारा एजुकेशन सिस्टम पर काम करने की जरूरत है. शिक्षा के नाम पर हमारे पास महंगी-महंगी डिग्री तो हैं लेकिन नौकरी नही है जिस कारण युवा फैक्ट्रियों में काम करने को मजबूर हैं. जो रोजगारपरख शिक्षा की करेगा बात हमारा वोट उसके साथ होगा.

-आदेश चौहान, व्यापारी

हमारे देश में प्रतिभा की कमी नही है. लेकिन, उस टैलेंट को पहचानने वाला कोई नही है. जिस कारण युवा अन्य देशों में जाने की बात करते हैं. देश में ऐसी पॉलिसी बननी चाहिए. जो लोगों को विदेशों में जाने की बजाय भारत में रहकर काम करने को प्रेरित करे. ताकि हमारी मैन पॉवर कम न हो.

-अनूप गोयल, जॉब

भारत गांवों का देश है और यहां की 80 प्रतिशत जनसंख्या गांव में ही निवास करती है. किसान और मजदूरों को सुरक्षा देने की जो बात करेगा मेरा वोट उसके साथ होगा. अगर किसान सुरक्षित रहेगा तो हमें भोजन मिलता रहेगा. इसलिए जो किसानों और मजदूरों की तक्लीफ को दूर करने के लिए प्रयास करेगा वो सही मायने में राष्ट्र भक्त होगा.

- हिमेश भटनागर, जॉब

हमारे यहां कई नदियां होने के बावजूद भी हमें पानी के लिए तरसना पड़ता है. आज भी पहाड़ों में महिलाओं को पानी लाने के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है, जिसमें बहुत समय बर्बाद होता है. साथ ही घर में बैठकर पहाड़ों की बात करने वाली सरकार की हमें कोई जरूरत नही है, जो घर-घर में पानी पहुंचाने की करेगा बात मेरा वोट उसके साथ होगा.

-विपिन कुमार, जॉब

आज महिला सुरक्षा केवल चुनाव में जीत हासिल करने का मुद्दा बन गया है. जो चुनाव परिणाम आते ही ठंडे बस्ते में चला जाता है. आज ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो महिलाओं सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाए, जिससे महिलाएं अपने घर और बाहर दोनों जगह सुरक्षित महसूस कर सके. -ममता अग्रवाल, हाउस वाइफ

मोदी सरकार ने देश दुनिया में भारत को अलग पहचान दिलाई है. ईयर स्ट्राइक आतंकवाद के मुंह पर एक करारा तमाचा है. देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए आगे बढ़कर काम करने की जरूरत थी. जिस पर केंद्र सरकार खरी उतरी है. जो तुरंत निर्णय लेने की क्षमता के अलावा सबको साथ लेकर चलने पर विश्वास रखता हो. मैं उसको ही दूंगा अपना वोट.

पवन त्रिपाठी, जॉब

Posted By: Ravi Pal