पुरानी पेंशन को लेकर लाखों कर्मचारियों ने ठप किया कामकाज
- दफ्तरों में तालाबंदी, बारिश में भी हुआ प्रदर्शन
- मुख्य सचिव से मंच की वार्ता में नहीं निकला हल - 27 लाख कर्मचारी पूरे प्रदेश में - 20 लाख कर्मचारियों के हड़ताल शामिल होने का दावा - 30 से ज्यादा विभागों में नजर आया हड़ताल का असर - 34 जिलों में दिखा हड़ताल का व्यापक असर - 7.5 हजार ऑफिसों में दिखा असर - 150 करोड़ के राजस्व के नुकसान का अनुमानLUCKNOW : कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी-पुरानी पेंशन बहाली मंच के आह्वान पर गुरुवार से शुरू हुई हड़ताल ने राज्य सरकार की मुश्किलों में इजाफा कर दिया। प्रदेश के समस्त जनपदों में हड़ताल का जोरदार असर देखा गया। करीब 80 फीसद कार्यालयों में बंदी का नजारा देखने को मिला तो कर्मचारी बारिश में भी प्रदर्शन करते नजर आए। हड़ताल पर गये कर्मचारियों पर राज्य सरकार का एस्मा लगाने की चेतावनी का भी कोई असर नहीं हुआ। देर शाम मुख्य सचिव के साथ पुरानी पेंशन बहाली मंच की बातचीत भी बेनतीजा रही। मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने इसके बाद गुरुवार को भी हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है।
सरकार की अनदेखी से नाराजदरअसल लंबे अरसे से सरकार की अनदेखी से नाराज कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी सरकार की चेतावनी और एस्मा की धमकी को दरकिनार कर पुरानी पेंशन के लिए एकजुट नजर आए। हड़ताल का असर मुख्य विभागों जैसे वाणिज्यकर, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, आरटीओ, रजिस्ट्री, समाज कल्याण, उद्यान विभाग, अर्थ एवं संख्या, नियोजन, कृषि विपणन एवं विदेश, निबंधन, कोषागार, सिंचाई, आबकारी, श्रम, बांट माप तोल, मातृ शिशु कल्याण, शिक्षा विभाग, सूचना विभाग, डायट, कृषि, वित्तीय प्रबंध एवं प्रशिक्षण, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, राजस्व विभाग सहित ज्यादातर विभागों मे हड़ताल का असर दिखा। मंच ने इसकी मॉनीटरिंग के लिए बाकायदा टीमें भी गठित की थी।
लोनिवि मुख्यालय पर की आमसभा पुरानी पेंशन बहाली के लिए हड़ताल में शामिल विभिन्न घटक संघों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने लोक निर्माण विभाग मुख्यालय पर आमसभा कर सरकार को इस हड़ताल के लिए जिम्मेदार बताया। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए गठित समिति दो माह में कोई निर्णय नही लेकर लाखों कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारियों के साथ धोखा किया। इसका परिणाम है कि यह हड़ताल है। वहीं पुरानी पेंशन बहाली के लिए हड़ताल पर उतरे कर्मचारी गुरुवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर एकत्र होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करेंगे। इन जिलों में भी दिखा असरझांसी, बनारस, प्रयागराज, गोरखपुर, बलिया, कानपुर, इटावा, एटा, कन्नौज, आगरा, मथुरा, पीलीभीत, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, गाजीपुर, कुशीनगर, मेरठ, प्रतापगढ़, मुजफ्फरनगर, अमेठी, अमरोहा, अलीगढ़, चंदौली, संभल, गौतमबुद्धनगर, बरेली, बागपत, बुलंदशहर, हापुड़, गोंडा, बलरामपुर व सोनभद्र।