- केंद्र सरकार से मिली 10 वर्षो की अनुमति 25 मई का पूरी

- दोबारा चुगान के लिए किया गया है ऑन लाइन आवेदन

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- दून में सिर्फ वन विकास निगम को ही थी रेत,बजरी, पत्थर के खनन-चुगान की अनुमति

- दून और आसपास के इलाकों में ही होती थी बिल्डिंग मैटेरियल की सप्लाई

- बाहरी इलाकों से आने वाले बिल्डिंग मैटेरियल से सस्ता पड़ता था सामान

- अब बाहरी इलाकों से ही मंगाना होगा बिल्डिंग मैटेरियल

- ट्रांसपोर्टेशन चार्ज के कारण महंगा पड़ेगा मैटेरियल

- कंस्ट्रक्शन कॉस्ट बढे़गी, निर्माण कार्य होगा महंगा

देहरादून, दून और आस-पास के इलाकों में अगर आप आशियाना बनाने की सोच रहे हैं, तो ये अब महंगा पड़ सकता है. दरअसल, राज्य सरकार के अधीन वन विकास निगम द्वारा नदियों से उप खनिजों की निकासी पर रोक लगा दी गई है. सौंग और जाखन नदियों में 8 स्थानों पर वन विकास निगम द्वारा उप-खनिज (बिल्डिंग मैटेरियल) का चुगान करता था. केंद्र सरकार द्वारा निगम को 10 वर्ष के लिए चुगान की परमिशन दी गई थी. 25 मई की शाम ये समयसीमा समाप्त हो गई. इसके साथ ही चुगान पर रोक लगा दी गई है.

अब बाहर से मंगाना होगा महंगा मैटेरियल

25 मई 2009 को केंद्र सरकार ने डोईवाला क्षेत्र में सौंग और जाखन नदी में वन विकास निगम को खनन-चुगान की 10 वर्ष के लिए परमिशन जारी की थी. ये समयसीमा पूरी हो चुकी है. अब निगम इन नदियों में आवंटित स्थानों पर खनन-चुगान नहीं कर सकता जिसका सीधा असर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट पर पड़ेगा. निगम द्वारा निकाले गए उप-खनिज (बिल्डिंग मैटेरियल) रेत, बजरी, पत्थर दून सहित आसपास के इलाकों में बिक्री किया जाता था, जो दूसरे दून के बाहर से लाए जाने वाले मैटेरियल से सस्ता पड़ता था, साथ ही ट्रांसपोर्टेशन चार्ज भी कम पड़ता था. लेकिन, अब बिल्डिंग मैटेरियल दून के बाहर से मंगाना होगा, जो पहले के मुकाबले ज्यादा कॉस्टली होगा.

60 करोड़ का एनुअल टर्नओवर

वन विकास निगम द्वारा निकाले गए बिल्डिंग मैटेरियल की दून में कितनी खपत थी, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि निगम हर वर्ष खनन-चुगान से ही औसतन 60 करोड़ का टर्नओवर लेता था. इस पूरे मैटेरियल की खपत दून सहित डोईवाला, ऋषिकेश, विकासनगर, सेलाकुई आदि इलाकों में होता था.

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इस वर्ष घाटे में रहा वन विकास निगम

रेत, बजरी, पत्थर के खनन-चुगान के इस कारोबार में इस वर्ष वन विकास निगम को घाटा उठाना पड़ा. निगम के अफसरों के मुताबिक टारगेट 80 परसेंट तक ही पूरा हो पाया. इसकी वजह ट्रैक्टर चालकों की बीच-बीच में हुई हड़ताल को वजह बताया जा रहा है. रानीपोखरी साइट पर निगम ने 4.9 लाख टन उप-खनिज निकासी का टारगेट रखा था, लेकिन निगम केवल 2.36 लाख टन निकासी ही कर पाया, जिससे 4 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट हुआ. वहीं डोईवाला के सबसे बड़ी खनन साइट से निगम ने 4.83 लाख टन उप-खनिज की निकासी की, जिसके एवज में निगम को 9 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला.

इन खनन साइट्स पर रोक

-बक्सर वाला.

-धर्मूचक.

-कालूवाला.

-रानीपोखरी.

-भोगपुर.

-माजरी.

-धनियाड़ी.

-गुलरघाटी.

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10 वर्ष के लिए खनन-चुगान की अनुमति मिली थी. जिसकी समयसीमा 25 मई को समाप्त हो गई है, ऐसे में खुद ही खनन-चुगान पर रोक लग गई है. खनन-चुगान की समयसीमा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को प्रपोजल भेजा गया है, अभी कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.

-शेर सिंह, प्रभागीय प्रबंधक, वन विकास निगम.

Posted By: Ravi Pal