चुनावी गर्मी में लगातार राजनेताओं के नए-नए विवादास्पद बयान सामने आ रहे हैं.


चाहे वो भारतीय जनता पार्टी नेता गिरिराज सिंह हों, समाजवादी पार्टी के आज़म ख़ान, या नेशनल कांफ्रेस के फ़ारुक़ अब्दुल्ला या फिर योग गुरु बाबा रामदेव. चुनाव प्रचार के दौरान नेता और कई हार उनके समर्थक एक से एक भड़काऊ और विवादास्पद बयान दे रहे हैं.बीबीसी ने सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों से जानना चाहा कि उनकी नज़र में कौन सा बयान सबसे आपत्तिजनक है और क्यों?भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने चुनावी भाषण के दौरान नरेंद्र मोदी के विरोधियों को 'पाकिस्तान परस्त' बताया और कहा था कि नरेंद्र मोदी के विरोधियों को पाकिस्तान जाना होगा. वहीं सपा नेता आजम ख़ान ने कहा था, "करगिल में युद्ध जीतने वाले हिंदू सैनिक नहीं थे बल्कि जिन लोगों ने हमारी जीत सुनिश्चित की, वे मुस्लिम सैनिक थे."


आज कल योग गुरु रामदेव के कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर दिए गए बयान की ख़ासी चर्चा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दलितों के घर हनीमून और पिकनिक मनाने जाते हैं.वहीं केंद्रीय मंत्री फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने अपने बयान में कथित तौर पर कहा था कि 'मोदी को वोट करने वालों को समंदर में डूब जाना चाहिए'.

कांग्रेस के इमरान मसूद और विश्व हिंदू परिषद के प्रवीण तोगड़िया के बयान भी ख़ूब चर्चा में रहे. अमित शाह को तो अपने बयान के लिए चुनाव आयोग से माफ़ी तक मांगनी पड़ी थी.'दलितों का अपमान'सोशल मीडिया के कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाजपा नेता गिरिराज सिंह के बयान को सबसे भड़काऊ मानते हैं.होमियोपैथ डॉक्टर तैय्यब को लगता है कि गिरिराज सिंह का नरेंद्र मोदी के विरोधियों को 'पाकिस्तान परस्त' बताने वाला बयान सबसे घटिया है.तैय्यब कहते हैं, "इस चुनाव में कुछ ज्यादा ही भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल हो रहा है. मोदी का विरोध करने वालों को पाकिस्तान भेजा जाए कह कर गिरिराज सिंह ने तो हद ही पार कर दी. रामदेव ने राहुल और दलितों के ख़िलाफ़ भाषण देते हुए अपना असली चेहरा दिखा दिया है."आज़म ख़ान के बयान को सबसे ज्यादा आपत्तिजनक मानने वालों में से राहुल कुमार कहते हैं, "सबसे ज़्यादा आपत्तिजनक बयान आज़म ख़ान का था क्योंकि उन्होंने वोट बैंक बढ़ाने के लिए इस देश के वीर सैनिकों को भी बांटना चाहा. मेरी राय में करगिल की जंग किसी ख़ास धर्म के लोगों ने नहीं, बल्कि भारत के जवानों ने जीती थी. अगर सैनिक भी आज़म ख़ान को फॉलो करने लगे तो देश की सुरक्षा और अखंडता खतरे में आ जाएगी."चुनाव आयोग का रवैया

दूसरी ओर मवेज कोतनाला की राय है कि कोई भी व्यक्ति देश से ऊपर नहीं है. वे आगे कहते हैं कि ये नेता आज ग़लत बोल देते हैं, कल प्रेस के ऊपर आरोप लगाते हैं फिर जब कहीं दाल नहीं गलती तो माफ़ी मांग लेते हैं.अनीस खान ऐसे बयानों को घटिया स्तर की राजनीति की श्रेणी में रखते हैं.महफूज अहमद इन बयानों हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए ख़तरनाक मानते हैं. वे कहते हैं, "हम हिंदू-मुस्लिम मिलकर इन सब का विरोध करना चाहिए. हिंदू और मुस्लिम सब अच्छे लोग हैं. हमारी एकता ज़िंदाबाद."

Posted By: Subhesh Sharma