- संप्रेक्षण गृह में बंद करीब एक दर्जन रेप और छेड़खानी के आरोपी

- स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने तक दी जानी चाहिए नैतिक शिक्षा

Meerut : किशोर की मनोदशा इस वक्त क्या है, वे किस तरह के रास्तों को अपना रहे हैं, वे जुनून में किस हद तक जा सकते हैं, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे इस कच्ची उम्र में रेप जैसे गंभीर जुर्म करने से भी नहीं डरते। निर्भया केस में जिस तरह की दरिंदगी को अंजाम दिया गया, उससे तो हर खासो आम यह विश्वास करने को तैयार नहीं था कि किशोर भी इस तरह के जुर्म को अंजाम दे सकते हैं। ऐसा नहीं है कि निर्भया के बाद किशोरों की संलिप्तता कम हो गई। बल्कि पूरे देश में ऐसे तमाम और केसेज का खुलासा हुआ। जिला संप्रेक्षण गृह में ही रेप और छेड़खानी के करीब एक दर्जन किशोर हैं।

सामूहिक दुष्कर्म में भी किशोर

केंद्रीय अधिकारी की नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के चर्चित मामले में भी किशोर ही शामिल है। यह घटना जुलाई में घटी थी, लेकिन इसका खुलासा नवम्बर में हुआ था। इस मामले में करीब 5 आरोपी बताए गए हैं। जिसमें किशोर भी शामिल हैं। हालांकि कोर्ट में यह सिद्ध नहीं हो पाया है कि आरोपी किशोर हैं कि बालिग। जहां तक नाबालिग छात्रा के बयान पर यकीन करें तो उसके साथ दरिंदगी करने वाले में उसका ही एक किशोर मित्र शामिल था। जो उसे गेस्ट हाउस में ले गया और बाकी साथियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया। इस केस में छात्रा का दुष्कर्म करने से पहले उसे ड्रग दिया गया था, जिससे वह बेसुध हो गई थी।

रेप की हो चुकी हैं 40 वारदात

आईपीसी के तहत आने वाले जुर्म की बात करें तो मेरठ जिले में पिछले वर्ष 6141 वारदातों को अंजाम दिया गया। जिसमें मर्डर, रेप, चोरी, लूट, अपहरण जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। इन वारदातों में यदि केवल रेप की बात करें तो पिछले वर्ष रेप की 40 वारदातें हुई थीं। इसमें सामूहिक दुष्कर्म भी शामिल है।

संप्रेक्षण गृह में एक दर्जन किशोर

रेप और छेड़खानी के केसेज में किशोरों की भी भूमिका बढ़ती जा रही है। खासकर छेड़खानी में तो किशोरों की संलिप्तता कुछ ज्यादा हो गई है। पुलिस की मानें तो छेड़खानी करने के केस में किशोरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। छेड़खानी को लेकर अधिकांश केस दर्ज नहीं कराए जाते, इस वजह से ये किशोर पकड़ में नहीं आते। जिला संप्रेक्षण गृह में 34 किशोर हैं। जिसमें से करीब एक दर्जन रेप और छेड़खानी के मामलों में हैं। रेप केस की बात करें तो करीब 5 और छेड़खानी केस के तहत करीब 7 किशोर बंद हैं। संप्रेक्षण गृह में बंद किशोरों में निम्न समेत अभिजात्य परिवार के भी किशोर हैं।

नैतिक शिक्षा की कमी किशोरों को अपराध की ओर ठकेल रही है। नैतिक शिक्षा की जरूरत अब बेहद महसूस की जा रही है। अब जो माहौल है, उसमें माता-पिता दोनों के पास अपने बच्चों पर नजर रखने का समय नहीं है। ऐसे में स्कूल से लेकर डिग्री की पढ़ाई तक बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए।

- पुष्पेंद्र सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी

Posted By: Inextlive