- आरयू वित्त समिति की बैठक में थर्सडे को पेश हुआ अगले साल का बजट

-प्रतिवर्ष चार करोड़ का फायदा करने वाला आरयू इस बार कर पाया सिर्फ 50 लाख का फायदा

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-2017-18 की बैलेंस शीट, 2018-19 का रिवाइज्ड बजट पेश

-2019-20 का प्रस्तावित बजट भी घाटे का रखा गया

BAREILLY :

आरयू में वित्त समिति बैठक थर्सडे को हुई, जिसमें पूरे वर्ष के आय व्यय का ब्यौरा रखा गया। इसके साथ ही पिछले वर्ष की इनकम का ब्यौरा भी बैठक में पेश किया गया। बढ़ते खर्च और कम होती आमदनी के चलते आरयू ने इस बार घाटे का बजट पेश किया है। पेश किए गए बजट के अनुसार एक वर्ष में चार करोड़ कमाई करने वाला आरयू वर्ष 2018-19 में 50 लाख का ही कमा पाया। अब आगामी वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए घाटे का बजट पेश किया गया है।

तीन वर्ष के बजट की हुई समीक्षा

बैठक में तीन साल का बजट चर्चा के लिए रखा गया। आरयू प्रशासन का कहना है कि स्टूडेंट्स की संख्या लगातार कम हो रही है, इसके साथ खर्चे बेहिसाब बढ़ रहे हैं। इसीलिए बजट घाटे में जा रहा है। माना जा रहा इसका सीधा असर आरयू की विकास योजनाओं पर पड़ेगा। वित्त अधिकारी का कहना है कि बजट के घाटे को जल्द पूरा करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

पहली बार बनी स्थित

बैठक में रिप्रजेंटेटिव उच्च शिक्षा, रिप्रजेंटेटिव वित्त, रजिस्ट्रार, कुलपति और वित्त अधिकारी शामिल हुए। बैठक में 2017-18 की बैलेंस शीट रखी गई, साथ ही 2018-19 का रिवाइज्ड बजट रखा गया। इसमें आरयू ने 200 करोड़ का खर्च दिखाया और फायदा मात्र 50 लाख रुपए का दिखाया। आरयू प्रशासन ने इसमें जनवरी, फरवरी और मार्च का संभावित खर्च भी जोड़ा है, लेकिन संभावित आय नहीं जोड़ी है। ऐसे में फायदा बढ़ भी सकता है। वहीं 2019-20 के लिए घाटे का बजट आरयू ने प्रस्तावित किया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब आरयू बजट में घाटे की संभावना दिखा रहा है। इसके अलावा आरयू ने बीएड के लिए 40 करोड़ रुपए का बजट अनुमोदित ि1कया है।

पेंशन फंड बढ़कर हुआ 00 करोड़

आरयू का पेंशन फंड पांच साल में 20 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ के पार पहुंच गया है। इससे आरयू का खर्च बढ़ा है। वहीं इस साल बीएड प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी मिलने के बाद आरयू प्रशासन को अपना घाटा कम करने में काफी आसानी होगी, और पेंशन फंड में भी अच्छी खासी रकम जमा हो जाएगी। इसके अलावा ग्रेज्युटी फंड खोलने के प्रस्ताव पर भी वित्त समिति की मुहर लग गई है।

शासन के नियमों के तहत मिलेगी वर्दी

बैठक में कर्मचारियों की वर्दी की मांग का प्रस्ताव भी रखा गया। इसमें तय हुआ कि शासन की जो भी गाइड लाइन है उसके अनुसार वर्दी मिलेगी। कर्मचारी गर्मियों की वर्दी हर साल चाहते थे पर शासन के नियमों के तहत यह दो साल में मिलेगी। सर्दियों की वर्दी हर तीन साल में मिलेगी।

Posted By: Inextlive