सेना के साथ अन्य क्षेत्रों में किए गए कार्यो से स्टूडेंट्स को कराया अवगत

ALLAHABAD: भारतीय वायु सेना के एक मात्र मार्शल अर्जन सिंह के निधन पर सोमवार को मेजर कल्शी क्लासेस में शोक सभा का आयोजन हुआ। संस्थान के तीन हजार स्टूडेंट्स व टीचर्स ने भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। संस्थान के अकादमिक डायरेक्टर सौरभ सिंह ने मार्शल अर्जन सिंह के अदम्य साहस की चर्चा करते हुए भारतीय वायु सेना के इतिहास में उनके योगदान की जानकारी दी।

1965 के युद्ध में दिखाया साहस

मार्शल आफ द एयरफोर्स अर्जन सिंह की बहादुरी के बारे में बताते हुए सौरभ सिंह ने बताया कि अर्जन सिंह का जन्म पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था। 1939 में भारतीय वायुसेना को अधिकारी के रूप में उन्होंने ज्वाइन किया एवं 1965 में चीफ ऑफ एयर स्टाफ के पद रहते हुए भारत पाक के युद्ध में अविस्मरणीय साहस का परिचय दिया। इन्होंने वर्ष 1964-1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ के रूप में वायु सेना को अपनी सेवा प्रदान की। वर्ष 1970 में एयर फोर्स से सेवानिवृत्त हुए। 1965 के युद्ध में बहादुरी के लिए अर्जन सिंह को पद्म भूषण से नवाजा गया। 1944 में इनको डिस्टिंगुश फ्लाईग क्रॉस से भी नवाजा गया। श्री सिंह ने राजनयिक के रूप में भी कार्य करते हुए अपनी पहचान बनाई। वर्ष 1971 में उन्हें स्विटजरलैंड एवं वैटिकन का राजदूत नियुक्त किया गया। वे 1974 में केन्या में भारत के हाई कमिश्नर रहे। इसके अलावा 1989 से 1990 तक दिल्ली के लेफ्टिनेंट गर्वनर के रूप में अपनी सेवा दी। वर्ष 2002 में इन्हें मार्शल ऑफ द एयरफोर्स की उपाधि दी गई। अकादमिक डायरेक्टर सौरभ सिंह ने स्टूडेंट्स को मार्शल अर्जन के पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया।

Posted By: Inextlive