kanpur: मोबाइल फोन हर किसी की जिंदगी से इस तरह जुड़ गया है इसके बिना रहना नामुमकिन सा लगता है. हो भी क्यों ना.. आखिर मोबाइल ने जिंदगी को बेहद आसान जो बना दिया है. लेकिन इस मोबाइल फोन की एक हकीकत और भी है. शादीशुदा जिंदगी में मोबाइल ‘वो’ की भूमिका निभा रहा है. रिश्ते में शक की दरार डाल रहा है जो तलाक तक पहुंच रही है.

ज्यादातर केस में विवाद की जड़ मोबाइल

मोबाइल हर आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। इस बात में कोई संदेह नहीं  कि मोबाइल ने आदमी की जिंदगी को काफी आसान बना दिया है। बहुत सी सहुलियतें मिली हैं मोबाइल फोन से। लेकिन, ये सिक्के का सिर्फ एक पहलू है। जबकि दूसरी हकीकत बेहद शॉकिंग हैं। क्योंकि ये मोबाइल फोन ही पति-पत्नी के रिश्ते में दरार डाल रहा है। शादीशुदा जिदंगी में जहर घोल रहा है। तलाक तक करा रहा है। पत्नी को मोबाइल पर बातें करता देख शक का बीज पड़ता है। और जल्द ही इसकी जड़ें गहरी हो जाती हैं। मीडिएशन सेंटर में आने वाले विवाद के मामले तो यही बयां करते हैं। यहां पर चल रहे ज्यादातर केस में विवाद की जड़ मोबाइल है।
गहरी होती जाती हैं शक की जड़ें
एडवोकेट शिवेंद्र पाण्डेय का कहना है कि शादीशुदा जिंदगी में तो मोबाइल मिसाइल का काम कर रहा है। अकेले में मोबाइल पर बात करने से पति पत्नी एक-दूसरे पर शक करने लगते हैं। धीरे-धीरे बहेस और अनबन शुरू हो जाती है। सहनशीलता और धैर्य की कमी के कारण नौबत तलाक तक आ जाती है। इनमें में सबसे ज्यादा मामले वर्किंग वाइफ वाले कपल के होते हैं। पति की ओर से पत्नी पर जॉब छोडऩे का प्रेशर बनाए जाने पर पत्नी तलाक की अर्जी दाखिल कर देती है।
Case study
लव मैरिज से कोर्ट तक
तिलक नगर में रहने वाले कारोबारी दिनेश कपूर की बेटी श्वेता ने किदवईनगर निवासी सिविल इंजीनियर आशीष से लव मैरिज की थी। वह मोबाइल पर रिश्तेदारों और सहेलियों से बात करती थी। जिसे देख आशीष उस पर शक करने लगा। दोनों में अक्सर झगड़ा भी होने लगा। गुस्से में श्वेता मायके चली गई और उसने पति के खिलाफ मुकदमा दाखिल कर दिया। यह केस मीडिएशन सेंटर में चल रहा है। जिसमें मीडिएटर सुलह कराने की कोशिश कर रहे हैं।
पति पढ़ते हैं मेरे फोन के मैसेज
कल्याणपुर में रहने वाली स्मृति चौहान ने पति के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ की रिपोर्ट दर्ज कराई है, जबकि उसके पति आरपी सिंह ने तलाक लेने के लिए अर्जी दी है। आरपी सिंह बैैंक में कार्यरत हैं। इसमें भी दोनों के बीच लड़ाई की जड़ मोबाइल है। स्मृति का आरोप है कि उसके मोबाइल पर रिश्तेदारों और उसके फ्रेंड्स के फोन और मैसेज आते हैं। जिसे उसके पति चोरी-छुपे चेक किया करते हैं। जिसका विरोध करने पर वे मारपीट करने लगे हैं। वहीं आरपी सिंह का कहना है कि स्मृति अपना मोबाइल किसी को भी छूने नहीं देती है। वह मोबाइल के लिए झगड़ा करने लगती है। मीडिएशन सेंटर भी दोनों के बीच सुलह नहीं करा पाया। मामला अब कोर्ट में चल रहा है।
कंपनी से फोन आते हैं
बेकनगंज में रहने वाले मो। जीशान का निकाह एक साल पहले नूरी से हुआ था। नूरी एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करती है। जॉब के सिलसिले में अक्सर कंपनी से नूरी के मोबाइल पर फोन आते रहते हैं। ये बात जीशान को पसन्द नहीं है। उसने नूरी से जॉब छोडऩे के लिए कहा, तो नूरी ने मना कर दिया। जिसको लेकर दोनों में अक्सर झगड़ा होने लगा। नूरी गुस्से में मायके चली गई और जीशान उसको लेने नहीं गया। जिससे नाराज होकर नूरी ने पति के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ की रिपोर्ट दर्ज करा ली, जबकि जीशान ने तलाक की अर्जी दे दी। मीडिएशन सेंटर में दोनों की काउंसलिंग की गई, लेकिन दोनों अपनी जिद पर अड़े हैं। जिस पर केस कोर्ट में भेज दिया गया है।
8 साल बाद रिश्ते में दरार
शान्ति नगर में रहने वाले जितेंद्र कश्यप की शादी रचना से हुई है। उनके दो बच्चे हैं। जितेंद्र शराब का लती है। नशे में छोटी-छोटी  बात पर वो रचना के साथ मारपीट करता है। जिससे परेशान होकर रचना ने शादी के आठ साल बाद उनके खिलाफ दहेज उत्पीडऩ का केस दर्ज कराया। कोर्ट से केस को मीडिएशन सेंटर भेज दिया गया। जहां मीडिएटर के समझाने पर जितेंद्र को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसके मारपीट न करने का भरोसा दिलाने पर रचना दोबारा साथ मे रहने को राजी हो गई।

सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया
सिटी में लव मैरिज से ज्यादा तलाक का ग्राफ बढ़ रहा है। छोटी-छोटी बातों से होने वाले झगड़े से परिवार बिखर रहे हैं। पति पत्नी में आपसी तालमेल न होने से अक्सर झगड़ा हो जाता है और मामला कोर्ट में पहुंच जाता है। कोर्ट में हर साल दहेज उत्पीडऩ, घरेलू हिंसा, तलाक के केस बढ़ रहे हैं। जिसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जिसके चलते जिले में मीडिएशन सेंटर बनाया गया है। जहां पर पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाता है।
क्या है मीडिएशन सेंटर
बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री एडवोकेट विनय अवस्थी के मुताबिक सितंबर 2009 में कोर्ट बिल्ंिडग की छठवी मंजिल में मीडिएशन सेंटर बनाया गया। जिसका उद्देश्य पति पत्नी के बीच होने वाले विवाद में सुलह कराना है। अब इसमें जमीन से संबंधित भी केस भेजे जाने लगे है। यहां पर मीडिएटर दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर बात कराते है। जिसमें दोनों के बीच झगड़े की जड़ सामने आ जाती है। जिसके बाद उनकी काउंसलिंग की जाती है। जिसमें ज्यादातर केस में पति पत्नी में समझौता हो जाता है।  
हर साल बढ़ रहे हैं मामले
मीडिएशन सेंटर में हर साल मामले बढ़ रहे है। एडवोकेट शिवेंद्र पाण्डेय ने बताया कि पहले साल में 16 मामलों में सुलह समझौता कराया गया था। अब यह आकड़ा हजार में है। मीडिएशन सेंटर में हर महीने औसतन 20 से 25 केस में समझौता कराया जाता है। इसमें ज्यादातर पति पत्नी के विवाद के केस होते है। यह हाईकोर्ट की अच्छी पहल है। जिससे परिवार टूटने से बच रहे है। इस समय 2500 से ज्यादा केस मीडिएशन सेंटर मे चल रहे है। अब तक 1406 केस में मीडिएशन कराया जा चुका है।

For your help
- शक से बचें, किसी प्रकार का कंफ्यूजन होने पर खुलकर बात कर लें
- लड़कियां बैचलर और मैरीड लाइफ में अंतर को समझें
- छिपकर और एकांत में बात करने की बजाए पति या पत्नी के सामने ही बात करें
- कोई खास दोस्त है तो अपने पार्टनर को उसके बारे में जरूर बता दें, शक की गुंजाइश न रखें
- ऑफिस का काम ऑफिस तक ही सीमित रखें, उसका असर पर्सनल लाइफ में न पडऩे दें
- रिश्ते की अहमियत समझें, छोटी-छोटी बातों को इश्यू न बनाएं
- सहनशील बनें और धैर्य से काम लें
- वाइफ वर्किंग है तो हसबेंड को उसकी स्थिति को समझना चाहिए
- ऑफिस से फोन आने पर बेवजह इश्यू न बनाएं

Posted By: Inextlive