DEHRADUN: पॉलिटिकल वल्र्ड में हाईटेक टेक्नोलॉजी का यूज करने में नरेंद्र मोदी का कोई सानी नहीं है. तमाम पॉलिटिकल एक्टिविटीज में मोदी ने सोशल मीडिया और हाईटेक कम्युनिकेशन सिस्टम को अपनी आवाज बनाया है. शायद यही वजह है कि देश के दिग्गज नेताओं में मोदी को सबसे ज्यादा हाईटेक कहा जाता है लेकिन दून की शंखनाद रैली में नमो की हाईटेक तकनीक फेल हो गई. रैली में लगी पांचों स्क्रीन्स ने रैली के शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दिया. लिहाजा मोदी के विचारों को सुनने के लिए आए लोगों को इन स्क्रीन्स की आंख मिचौली से नाराज दिखे.


एलईडी में नहीं चमके मोदीदरअसल, सिटी के पांच हिस्सों पर नमो को देखने और सुनने के लिए लाइव टेलिकास्ट की व्यवस्था की गई थी. इसके लिए खासतौर पर उन्होंने दिल्ली से लाइव टेलिकास्ट के लिए एलईडी स्क्रीन्स भी मंगाए गए थे, जिनमें एक गांधी पार्क, एक बीजेपी मुख्यालय, एक ओरियंट सिनेमा के पास और दो को परेडग्राउंड में इंस्टॉल किया गया था. कुछ देर चलने के बाद ये सिस्टम फेल हो गया. राजनाथ के मंच पर पहुंचते ही इन स्क्रीन्स ने आंख मिचौली खेलना स्टार्ट कर दिया. खराब स्क्रीन्स के प्रसारण से लोग परेशान नजर आए.मैदान छोड़ कर चले गए समर्थक


अपने नेता की आवाज न सुन पाने के कारण लोगों में काफी गुस्सा देखने को मिला. कुछ लोग तो हाईटेक मोदी की हाईफाई रैली को सन 1930 के जमाने की बताने से भी नहीं चूके. कुछ लोगों ने बिना आवाज की वीडियो को देख साइलेंट मूवी एरा की याद दिलाने की बात कह डाली. इसके अलावा मैदान में भी साउंड सिस्टम फेल रह, जिस वजह से मैदान के पिछले हिस्से में आवाज नहीं पहुंच पाई. साउंड सिस्टम में प्रॉब्लम होने की वजह से निराश होकर काफी समर्थक मैदान ही छोड़ कर चले गए. जैमर ने दी सुविधा

रैली की सुरक्षा को देखते हुए मोबाइल जैमर्स लगाए गए थे, लेकिन वह भी फेल हो गए. लिहाजा रैली की पल-पल की अपडेट्स ट्विटर, फेसबुक और व्हॉट्स ऐप पर चालू रही. हाईटेक सुरक्षा की पोल इसी बात से खुल जाती है कि पूरी रैली की मूवमेंट और बाकी अपडेट्स इन फेल जैमर्स की वजह से तुरंत बाहर जाती रही. हम पचास महिलाए है जो ऋषिकेश से यहां मोदी जी के विचारों को सुनने आई थी, लेकिन मैदान में और बाहर दोनों जगह ही उनके विचारों को नहीं सुन पाए.- कस्तूरी चौहान, समर्थक, ऋषिकेशअपनी बेटी और दो नाती के साथ मोदी जी को साक्षात देखने और सुनने आया था. मोदी को देख तो लिया लेकिन सुन नहीं पाया. अगर  देखना ही था तो टीवी पर ही देख सकते थे यहां क्यूं आते? सिर्फ वीडियो नहीं आवाज की व्यवस्था भी करनी चाहिए थी. - सुरेश अरोड़ा, समर्थक, हरिद्वारयह सिस्टम हम दिल्ली से लाएं हैं. हमारा प्रयास है जो लोग मैदान में नहीं हैं. वो मैदान के बाहर उनके देख और सुन सकें. आवाज के लिए स्क्रीन में कोई व्यवस्था नहीं है इसके लिए सिटी में लगे लाउड स्पीकर्स से ही विचारों को सुना जा सकेगा. -  सुनील कुमार, लाइव टेलिकास्ट ऑर्गनाइजर, दिल्ली

Posted By: Ravi Pal