एनआरसी में 60 परसेंट से ज्यादा सीवियर मॉलनरिश्ड

कुपोषण के शिकार बच्चों को अन्य बीमारियों से बचाने की चुनौती

रोजाना वजन और हाइट नाप कर बच्चों को दिया जा रहा न्यूट्रिशन

15 दिन में फॉलोअप जरूरी, काउंसलिंग से पेरेंट्स में आई अवेयरनेस

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शुरू हुए न्यूट्रिशियन रिहेबिलिटेशन सेंटर, एनआरसी में एडमिट बच्चों में मॉलन्यूट्रिशियन का लेवल 60 परसेंट से ज्यादा है। 1 जनवरी से शुरू हुए एनआरसी में फिलहाल 8 बच्चों का इलाज चल रहा है। जहां बच्चों को रोजाना न्यूट्रिशनल डाइट भी मुहैया कराई जा रही है। यूं तो एनआरसी का मकसद मॉलनरिश्ड बच्चों का ही इलाज करना है, लेकिन मॉलनरिश्ड बच्चों के ऐसे केसेज में भी उनके अंदर कुपोषण का लेवल 60 फीसदी से ज्यादा होना खतरे की घंटी है। ऐसे में इनके इलाज और डाइट पर बेहद सावधानी बरती जा रही।

अन्य बीमारियों का खतरा

मॉलनरिश्ड बच्चों के सेहत सुधारना और उन्हें बेहतर इलाज देना दोहरी चुनौती है। एनआरसी में बच्चों के इलाज का जिम्मा संभाल रही डॉ। रुचि जौहरी ने बताया कि कुपोषण के शिकार बच्चे बीमारियों के दोहरे खतरे की जद में हैं। पहला तो मॉलनरिश्ड होने के चलते उन्हें बच्चों की टीबी, कई तरह के इंफेक्शन, एनिमिया, डिहाइड्रेश्न और ब्लड शुगर लेवल कम हो जाने की दिक्कतें होती हैं। वहीं शरीर की इम्यूनिटी कम होने से अन्य बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में बच्चों को रेगुलर पौष्टिक डाइट देते हुए उन्हें कुपोषण से उबारने के साथ ही इस दौरान अन्य बीमारियों से बचाने की भी कोशिश की जा रही।

ज्यादा पोषण भी खतरनाक

एनआरसी में बच्चों की सेहत का ख्याल रखने और उन्हें बेहतर इलाज देने के लिए जरूरी न्यूट्रिशिनल डाइट मुहैया कराने का जिम्मा न्यूट्रिशियन एक्सपर्ट डॉ। रूबी जैदी के जिम्मे है। न्यूट्रिशिनल एक्सपर्ट ने बताया कि एनआरसी में ग्रेड थ्री मॉलन्यूट्रिशियन केसेज ही लिए जा रहे हैं। ऐसे में रोजाना बच्चों का वजन तौलने के बाद उनकी हाइट नाप कर ही उनकी डाइट तय की जाती है। बच्चों की सेहत के मुताबिक ही उनकी डाइट में न्यूट्रिशियन की मात्रा दी जाती है। दरअसल इसकी वजह यह है कि कुपोषण के शिकार इन बच्चों का डाइजेस्टिव सिस्टम भी बेहद कमजोर होता है। ज्यादा न्यूट्रिशियन वाली डाइट बच्चों का डाइजेशन खराब कर उनकी स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है। इससे फायदे के बजाए सेहत का नुकसान ही होता है।

15 दिन में फॉलोअप जरूरी

एनआरसी में एडमिट बच्चों को इलाज के लिए कम से कम 15 दिन और औसतन 1 महीने तक रखना ही है, लेकिन इलाज से छुट्टी मिलने के बाद एनआरसी की जिम्मेदारियां खत्म नहीं होती। न्यूट्रिशिनल एक्सपर्ट ने बताया कि डिस्चार्ज होने के 15 दिन बाद परिजनों को अपने बच्चे को एनआरसी लाना होगा। जहां बच्चे के वजन, लंबाई और उसकी सेहत की जांच होगी। जिससे यह कंफर्म हो सके कि एनआरसी से डिस्चार्ज होने के बाद घर पर भी बच्चों को उनके परिजन न्यूट्रिशिनल डाइट दे रहे हैं। जिससे उनकी सेहत दोबारा खतरे में न पड़े।

बदल रही परिजनों की सोच

एनआरसी में बच्चों की सेहत संवारने के साथ ही उनके परिजनों की भी काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग में परिजनों को घर पर बच्चों की परवरिश, उनकी डाइट में न्यूट्रिशियन और साफ सफाई के बारे में सलाह दी जाती है। जिससे एनआरसी से निकलने के बाद भी बच्चों की सेहत में सफाई और पोषण बना रहे। न्यूट्रिशिनल एक्सपर्ट ने बताया कि काउंसलिंग का असर बच्चों के परिजनों पर पड़ रहा है। उनमें साफ सफाई व पौष्टिक आहार की जरूरत की समझ डेवलेप हो रही, जो आगे चलकर उन्हें फायदा देगी।

दी जा रही है यह इाइट

दलिया, ओट्स, दूध, अंकुरित चने, टोस्टेड पनीर, टोस्टेड आलू, पालक और सीजनल सब्जियों के साथ ही प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना।

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मॉलनरिश्ड बच्चों को कुपोषण के चलते कई गंभीर बीमारियों का खतरा बना है। ज्यादातर बच्चे ग्रेड थ्री यानि सीवियर मॉलनरिश्ड के शिकार है। ऐसे में इनके इलाज व डाइट पर ज्यादा सावधानी बरती जा रही है। डॉ। रूचि जौहरी, पीडियाट्रिशियन, एनआरसी

रोजाना बच्चों का वजन व हाइट नाप कर ही उनके लिए डाइट में न्यूट्रिशियन की मात्रा तय की जा रही है। इलाज पूरा होने के 15 दिन बाद उनकी सेहत का फॉलोअप लिया जाएगा। काउंसलिंग से परिजनों में भी अवेयरनेस बढ़ी है। - डॉ। रूबी जैदी

Posted By: Inextlive