मानसून की निरंतर उछाल कृषि के नजरिए से इन दिनों काफी अच्‍छी चल रही है। इस उछाल के कारण खरीफ के तहत आने वाले क्षेत्र में एक सप्ताह के भीतर 82% फसल का इजाफा हुआ है। ऐसे में तिलहन और दालों को अधिकतम लाभ मिला है। इस तरह से यह अनुमान लगाना बिल्‍कुल सही होगा कि अब दालों की बढ़ती कीमतों पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकेगी। इसके अलावा अगर रुझान कम रहा तो खाना पकाने के तेल के आयात पर भी बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकेगी।

अच्छी बारिश ने किसानों को किया है प्रेरित  
बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष बढ़ते दाम और भारी बारिश दोनों ने किसानों को दालों के उत्पादन को 80 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी वर्तमान आंकड़ों पर नजर डालें तो सामने आता है कि 2014 की अपेक्षा तिलहन रोपण पांचगुना ज्यादा हो गया है। कुछ दिनों की देरी और पहले हफ्ते में धीमी रफ्तार से आने वाले मानसून ने अब तक लगभग पूरे देश को कवर कर लिया है। इतना ही नहीं अपनी सामान्य तारीख 15 जुलाई से पहले ही ये मानसून पाकिस्तान को भी पार कर जाएगा।
बीते 50 सालों का टूटा रिकॉर्ड
अब से पिछले करीब 50 साल की बारिश पर नजर डालें तो इस बार पूरे देश में 1 जून से 27 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। बीते दो दिनों में उत्तर भारत के कृषि बाहुल्य क्षेत्रों में भारी बारिश हुई है। इससे कृषि गतिविधियों में तेजी आई है। इसका फायदा उठाते हुए किसानों ने हाल ही में दालों की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर दालों की ही फसल पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। इस समय रोपण को देखते हुए किसान अच्छी कीमतों की उम्मीद कर रहे हैं। भारत दलहन और अनाज एसोसिएशन के चेयरमैन एमेरिटस के सी भारतीय कहते हैं कि इस वर्ष महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में 15 प्रतिशत के बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं। ये वह जगह हैं जहां समय पर और प्रचुर मात्रा में बारिश हुई है।
कुछ ऐसा कहते हैं बाजार सूत्र
बाजार सूत्रों के अनुसार किसानों के दालों की फसल पर ज्यादा से ज्यादा जोर देने के फैसले ने पहले ही बाजार को सामान्य कर दिया है। दिल्ली के नया बाजार में दालों के आयातक और थोक व्यापारी प्रदीप जिंदल कहते हैं कि अब दालों की कीमतें स्थिर होने लगी हैं। मानसून की तरक्की ने कीमतों पर बहुत हद तक लगाम लगा दिया है।

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Posted By: Ruchi D Sharma