जीवात्मा को उसके कर्मो का फल अवश्य मिलता है

बरेली :

कत्था फैक्टरी प्रांगण में चल रही राम कथा के तीसरे दिन मंडे को मोरारी बापू ने कहा कि देवराज इंद्र चाहते थे कि भरत चित्रकूट न पहुंच पाए तथा राम से भेंट न हो. देव गुरु बृहस्पति कहते हैं कि तुम्हें रघुनाथ के स्वभाव का पता नहीं है. उनके भक्त कोई भी अपराध करें, राम उसको नहीं जलाते हैं. राम में समस्त वस्तु समाहित हो जाती है.

तीन प्रकार के बताएं अपराध

अपराध तीन प्रकार के हैं, तामसी राजसी तथा सात्विक. राजा दशरथ कौशल्या से अंत समय में कहते हैं कि मुझे श्रवण के माता-पिता का श्राप याद आ रहा है. कृष्ण कहते हैं कि तुम्हें कर्म का अधिकार है फल का नहीं. क्योंकि कर्म और फल के मध्य में बैठा हूं. द्रौपदी को भी उसके कमरें के फल मिले हैं. कहीं दाग न लग जाए, मां बेटी बहन पत्‍‌नी के संबंध में सोच कर बोलना चाहिए. सत्य न नया होता है और न पुराना होता है. सत्य सार्थक होता है. कृष्ण चाहते थे कि द्रौपदी अर्जुन को मिले पर द्रौपदी कर्ण के प्रति आकर्षित थी. कर्ण में आकर्षण और अर्जुन में प्रेम था. कृष्ण ने कहा कि कर्ण आकर्षण के योग्य हैं प्रेम के योग्य नहीं. तब उन्होंने द्रौपदी का विवाह अर्जुन से कराया.

झुमका गिरा रे..

राम भजो गुरु नाव विसारो गुरु के संग हरि को पाऊं. सबसे बड़ा अपराध गुरु अपराध है. अनजाने में हुए अपराध से अधिक जानबूझकर किए हुए अपराध कष्ट पहुंचाते हैं. मोरारी बापू ने हरे रामा रामा राम राम राम सीता राम संकीर्तन के उपरांत झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में भी गाया. कार्यक्रम में भंडारे में हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं. यहां पर मोहता परिवार आरके अग्रवाल जगदीश भाटिया के के दमानी गिरधर गोपाल खंडेलवाल काशी नाथ शर्मा राजेश रमेश खानीजो आदि रहे।

Posted By: Radhika Lala