ये तो और सकरा हो गया मोरी नाला

- नाले के बीच में खड़ी हो गई तीन मीटर चौड़ी दीवार

- बरसात शुरू होने पर जब फ्लो में आएगा पानी तो बनेगा दबाव

- गंगा में पानी न जा पाने पर हो सकता है बैक फ्लो

ALLAHABAD: सिटी में दर्जनों नाले बनाए गए हैं। लाखों करोड़ों का सिस्टम है। सैकड़ों लोग काम करते हैं, ताकि शहर साफ रहे, नालों का पानी एसटीपी से होते हुए गंगा में मिलता रहे। लेकिन जब बरसात का मौसम आता है तो सारा सिस्टम व इंजीनियरिंग फेल हो जाती है। नालों का पानी निकलने के बजाय बैक फ्लो होने लगता है। अब मोरी नाले को ही लें, यहां पर भी यही समस्या है। पिछले साल यहां पानी बैक फ्लो हुआ था। इस बार समस्या का समाधान क्या करेंगे, गंगा प्रदूषण विभाग ने मोरी नाले को चौड़ा करने के बजाय और सकरा कर दिया है, जिससे बरसात में जब पानी का दबाव बढ़ेगा तो पानी शहर से बाहर निकलने के बजाय शहर में ही बैक हो सकता है।

नाले के बीच में खड़ी कर दी दीवार

मोरी नाला सिटी के उन नालों में एक है, जो सीधे जाकर गंगा नदी में मिलती है। अल्लापुर, अलोपीबाग, सोहबतियाबाग, तुलारामबाग, मधवापुर, टैगोर टाउन, जार्ज टाउन, कीडगंज, रामबाग इलाके के नालों का पानी मोरी नाले में ही आता है। गंदे पानी की वजह से गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण पर जब आवाज उठी तो गंगा प्रदूषण इकाई ने नाले के पानी को ट्रीटमेंट करने और उसे मोरी गेट एसटीपी में ले जाने के लिए नाले के बीच में ही करीब तीन मीटर चौड़ी दीवार खड़ी कर दी। जहां गेट लगाया जा रहा है। यहीं से नाले के पानी को एसटीपी में ले जाए जाने की प्लानिंग है।

यहां फेल हो सकती है इंजीनियरिंग

गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के इंजीनियरों ने जो टेक्निक पानी को ट्रीट करने के लिए लगाई है, वो यहां फेल हो सकती है। क्योंकि सामान्य दिनों में तो नाले का पानी एसटीपी में आसानी से लाया जा सकता है। लेकिन जून लास्ट से अगस्त तक जब बरसात का मौसम होगा, नाले से प्रेशर में पानी निकलेगा तो फिर इसे कैसे बाहर निकालेंगे। अगर पानी निकलने में अवरोध आया तो नाले का पानी बैक फ्लो हो सकता है, जिससे कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

इन्होंने उठाया मुद्दा, पीएम, सीएम से की शिकायत

राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के मेम्बर कमलेश सिंह ने गंगा प्रदूषण के इस प्लानिंग पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से शिकायत की है। कमलेश सिंह का कहना है कि नाले के बीच में दीवार बनाने के बजाय, जिस स्थान पर नाला मिलता है, वहां से पाइप लाइन के जरिये नाला लाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी, ताकि नाले पर दबाव न बने और आसानी से पानी ट्रीटमेंट किया जा सके।

Posted By: Inextlive