मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के मोहम्मद मुर्सी को राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया है. दो साल पहले तक भी मिस्र में ऐसा सोच पाना असंभव लग रहा था.

लेकिन आज अरब दुनिया के सबसे बड़े देश में मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ा नेता राष्ट्रपति बनेगा। राष्ट्रपति पद के लिए हुए दूसरे चरण के चुनाव में मुर्सी को लेकर लोगों की राय बँटी हुई थी। शायद इसीलिए वे जीत से पहले भी लगातार एकता की बात करते रहे। टेलीवीज़न पर अपने पहले भाषण में भी मुर्सी ने एकता की बात दोहराई।

मुर्सी के पक्ष में जो बातें जाती हैं उनमें से एक ये है कि उनकी जीत की वैधता पर सवाल उठाना आसान नहीं होगा। ये दावा करना मुश्किल होगा कि चुनावी मशनरी मुस्लिम ब्रदरहुड के पक्ष में थी। लेकिन जीत के बाद उन्हें ये देखना होगा कि असल में उनके पास कितनी ताकत है। पिछले 10 दिनों में सत्ताधारी सैन्य परिषद ने नीतिगत स्तर पर अपना दबदबा फिर से बनाया है। विदेश और रक्षा नीति पर सैन्य परिषद का नियंत्रण होगा।

समस्या

संसद को उसने भंग कर दिया है और ऐसे में परिषद कानून के मसौदे रख सकती है। संविधान लिखने जाने को लेकर भी परिषद के पास वीटो का अधिकार होगा। उधर मिस्र के लोग देश में सामान्य हालात बहाल होते और सपन्नता चाहते हैं। ये मुर्सी के लिए अच्छी बात है।

नए राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री नियुक्त करने और सरकार बनाने का अधिकार है और घरेलू नीति तय करने का अधिकार होगा। जब मुर्सी ने जीत के बाद भाषण दिया था तो उन्होंने खासतौर पर पुलिसकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों को आश्वासन दिया था क्योंकि वे अपनी स्थिति को लेकर काफी घबराए हुए हैं।

राष्ट्रपति बनने के बाद मुर्सी के पास काफी अधिकार और शक्तियाँ होंगी। हालांकि मिस्र में आमतौर पर किसी एक व्यक्ति का ही शासन रहा है। मिस्र में बहुत से लोग पूरी स्थिति को शक की निगाह से देख रहे हैं। वहाँ दशकों से लोगों को यही आगाह किया जाता रहा है कि मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र पर कब्जा कर उसे इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है।

एकता की बात

मिस्र में क्रांति के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड ने कहा था कि वो राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगा और न ही संसद की ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ेगा। लेकिन उसने दोनों वादे तोड़े। बहुत से लोगों को डर होगा कि उनका एजेंडा मिस्र को कट्टरपंथ इस्लाम की ओर ले जाना है।

ऐसे में सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि मिस्र का प्रधानमंत्री कौन होगा। वे पहले ही कह चुके हैं कि वे ब्रदरहुड के बाहर से किसी को प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे। वे चाहें तो वो उप राष्ट्रपति और कैबिनट मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर भी ऐसा आश्वासन दे सकते हैं।

इस समय मिस्र बिल्कुल बटा हुआ है और एक साल से राजनीतिक गतिरोध था। वहीं दूसरी ओर लोग हालात को सामान्य होते देखना चाहते हैं। इन्हीं चुनौतियों के बीच मुर्सी को देश की चुनौतियां का सामना करना होगा।

Posted By: Inextlive