नाम: मोनू पहाड़ी उर्फ राशिद

उम्र: 32 साल

पिता: नासिर अली

पता: दलेलपुरवा, अनवरगंज

आपराधिक इतिहास: पांच हत्या, तीन लूट, दो अपहरण, हत्या के प्रयास के चार केस समेत 17 केस दर्ज

पेशा: भाड़े में हत्या, अपहरण कर फिरौती वसूलना, लूट, चाइनीज पिस्टल सप्लाई व रंगदारी वसूलना

कैसे हुआ फरार: 2010 में कानपुर कचहरी में पुलिस कर्मियों की आंख में धूल झोंककर हुआ था फरार।

इनाम: 50 हजार। एनकाउंटर के लिए लोकल ही नही स्टेट की एसटीएफ भी लगी थी राइवल गैंग बेतहाशा पैसा खर्च कर रहे थे। बंदूक पुलिस के कंधे पर थी, लेकिन ट्रिगर एक दूसरे कुख्यात के हाथ में था। लेकिन मोनू जिंदा है, पुलिस रिकार्ड में गिरफ्तार है

मछरिया की गलियों में एसटीएफ का छापा

गुर्गे ने शोर मचाया, मोनू ने की फरार होने की कोशिश

दबोचे जाने पर शातिर ने पुलिस टीम को बदमाश बताया

सुबह 11 बजे, मछरिया

नौबस्ता के मछरिया की पहेलीनुमा गलियों में बुधवार को भी जिंदगी रोज जैसी ही मसरूफ सी थी। अनवरगंज से मछरिया तक की इन गलियों का ही तो बादशाह था मोनू पहाड़ी। गलियों की परवरिश, फिर इन्हीं गलियों से जुर्म का ककहरा पढ़ा और आखिरकार छिपने का ठिकाना भी गलियां थीं। भूल-भुलैया सी इन गलियों में सुबह ग्यारह बजे का समय रहा होगा। कचहरी में पुलिस कस्टडी से फरार होकर इन्हीं गलियों में वो गुम हो गया था। तीन साल से इन्हीं गलियों में वह पुलिस को छका रहा था। मोस्ट वांटेड लिस्ट में सबसे ऊपर। पचास हजार का इनाम। लेकिन बेफिक्त्र था वो शातिर मोनू पहाड़ी। फिलहाल छिपने का मुकाम उसने एक कबाड़ी के घर को बनाया हुआ था। नाश्ते का निवाला तोड़ा ही था कि नीचे से किसी के चिल्लाने की आवाज आई। मोनू जानता था ये खतरे का सायरन था। नीचे उसका आदमी हर आते-जाते की निगरानी करने के लिए ही तो तैनात था।

और नीचे जो शख्स मोनू को सावधान करने के लिए चिल्लाया था, वह इस बात से बेफिक्त्र होकर अपनी वफादारी का सुबूत दे रहा था कि उसकी कनपटी पर पिस्टल तनी थी। पिस्टल के ट्रिगर पर उंगली एसटीएफ के दरोगा की थी। बाकी टीम धड़धड़ाती हुई पहले मंजिल पर बने कमरे की ओर लपकी। मोनू पुलिस से बचने के लिए जीने की तरफ भागा, पिस्टल निकालने की भी कोशिश की। लेकिन एसटीएफ के आधा दर्जन से ज्यादा लोग उस पर टूट पड़े। पलक झपकते ही तीन साल से पहेली बना ये कुख्यात शिकंजे में था। काबू करके पुलिस की टीम जब उसे अपनी स्कार्पियो तक लाई, तो मोनू के दिल में भी वही बात थी, जो ऐसे मौके पर हर शातिर के दिमाग में होती है। एनकाउंटर। मोनू ने शोर मचाया। पुलिस टीम को बदमाश बताया। लेकिन पुलिस उसे गाड़ी में धकेल कर ये जा और वो जा।

हां मैं टायसन को टपकाने आया था: मोनू

नौबस्ता थाने में बेखौफ बोला अनवरगंज का हिस्ट्रीशीटर नंबर 1855

शिकारी खुद बन गया शिकार

कानपुर। नौबस्ता थाने में बुधवार की रात मीडिया का मेला लगा था। फ्लैश की चकाचौंध के बीच मोनू के साथ पुलिस के तमाम लोग फोटो खिंचवा रहे हैं। और ये शातिर। थाने में पुलिस के सामने छाती ठोककर कह रहा है, हां मैं टायसन (कुलीबाजार का हिस्ट्रीशीटर) को टपकाने आया था। उसकी लोकेशन असल में मेरे लिए बुना गया जाल थी।

मोनू जानता है कि उसके साथ क्या हुआ है। आई नेक्स्ट से बातचीत में मोनू ने बताया कि मेरी टायसन से रंजिश थी। मैं उसे मारना चाहता था। कोपरगंज में मुझे उसकी लोकेशन मिल गई थी। मैं उसे मारने के लिए यहां आया था। लेकिन असल में टायसन ने जो लोकेशन दी थी, वो मेरे लिए चारा लगाया गया था। अपनी लोकेशन देने के साथ ही उसने मेरा मोबाइल सर्विलांस पर लगवा दिया। पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। इसी के साथ उसने इस बात को मीडिया के सामने कबूला के 2011 के लास्ट के चर्चित शानू ओलंगा मर्डर केस में इन्वाल्व होने की बात कबूली। कहा कि हां मैंने शानू ओलंगा को रईस बनारसी के साथ मिलकर मारा था। इस हत्याकांड में उसके साथ मामा बिंद भी शामिल था। शानू से मेरी रंजिश नहीं थी। मैंने उसे रईस के कहने पर मारा। रईस ने मेरी प्रेमिका निहा को 2011 में मौत के घाट उतारने में मेरी मदद की थी।

Posted By: Inextlive