अब शक्तिपीठ मां ललिता देवी का दरबार 50 किग्रा चांदी का होगा, इसमें 25 किग्रा वजन बढ़ाया गया है

नवरात्र के दौरान मीरापुर स्थित मां कल्याणी देवी के चेहरे पर चढ़ाया जाएगा सोने का चक्र

ALLAHABAD: मां भगवती की अराधना का पर्व शारदीय नवरात्र बुधवार से शुरू हो रहा है। इस बार शहर की दो शक्ति पीठ मां कल्याणी देवी मंदिर व मां ललिता देवी मंदिर में भक्तों को मां के अलौकिक स्वरूप का दर्शन करने को मिलेगा। ललिता देवी के दरबार को पच्चीस किग्रा वजन की चांदी से तैयार कराया गया है। दरबार में पहले से ही पच्चीस किग्रा चांदी लगी है। मीरापुर स्थित शक्तिपीठ मां कल्याणी देवी के दरबार में मां भगवती के चेहरे पर सोने का चक्र दिखाई देगा। इतना ही नहीं दरबार के खंभों को चांदी से निर्मित कराया गया है।

परिसर में लगेगा सीसीटीवी कैमरा

नवरात्र के पहले दिन मां ललिता देवी के दरबार को रजनीगंधा, गुड़हल, गेंदा व पीले गुलाब की मालाओं से सजाया जाएगा। मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर गर्भगृह में बहुरंगी फूलों से साज सज्जा कराई जाएगी। पुजारी राजा पंडित की मानें तो नौ दिन तक अलग-अलग तरीके से मंदिर परिसर को सजाया जाएगा। इसी तरह मां कल्याणी के मुख्य द्वार को पहले दिन बुके व स्टिक से सजाया जाएगा और गर्भगृह में साडि़यों के साथ बहुरंगी फूलों का नजारा दिखाई देगा। व्यवस्थापक पं। श्यामजी पाठक ने बताया कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में छह सीसीटीवी कैमरा लगाने की व्यवस्था की गई है।

नाव पर सवार होकर आएंगी मातारानी

शारदीय नवरात्र का शुभारंभ दस अक्टूबर से हो रहा है। इस बार घरों में मातारानी नाव पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने के लिए आ रही हैं। ज्योतिषाचार्य पं। अरुणेश त्रिपाठी की मानें तो मां भगवती का आगमन जब नाव पर होता है तो सब कार्यो में सिद्धि प्राप्त होती है। जनमानस के लिए ये अतिउत्तम फलदायक साबित होगा। माता का गमन हाथी पर होगा जो शुभ फल का कारक माना जाता है।

उदया तिथि से दशमी को पारण

इस नवरात्र में किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। भक्तों को नौ दिनों तक लगातार मां के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। नवमी तिथि का मान 18 को दोपहर में 2.31 बजे तक रहेगा इसलिए नौ दिन से चले आ रहे व्रत, पूजन व श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से संबंधित हवन का कार्य नवमी तिथि में ही किया जा सकेगा। लेकिन उदया तिथि की वजह से नवरात्र व्रत का पारण 19 अक्टूबर को किया जाएगा।

कलश स्थापना का मुहूर्त

बुधवार को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सूर्योदय के बाद सुबह 6.12 से किया जा सकता है। स्थिर लग्न वृश्चिक में सुबह 8.46 से पूर्वान्ह 11.03 बजे तक करना ठीक होगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त पूर्वान्ह 11.36 से लेकर दोपहर 12.24 बजे तक रहेगा। इसमें कलश स्थापना करना अति शुभ फलदायी होगा।

इस नवरात्र में मातारानी का आगमन नाव पर हो रहा है, जो भक्तों की समृद्धि का कारक माना जाता है। पूजा पंडालों में अश्व पर सवार होकर मां दुर्गा आएंगी। तिथियों की हानि ना होने की वजह से नौ दिनों तक मां के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन किया जा सकेगा।

पं। विद्याकांत पांडेय, ज्योतिषाचार्य

Posted By: Inextlive