क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:हर व्यक्ति जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करने की इच्छा रखता है. हमसब अनेक प्रकार की कल्पनाएं करते हैं. खुद को ऊपर उठाने के लिए योजनाएं बनाते हैं. कल्पना तो सबके पास होती हैं लेकिन कल्पना को साकार करने की शक्ति किसी-किसी केपास ही होती है. कुछ ऐसी ही दास्तां है चुटिया की रहने वाली तारा सिंह की, जिन्होंने पति की मौत के बाद अपने बच्चों के प्रति मां के साथ-साथ पिता की भी भूमिका अदा की.

पति की मौत ने बदली जीवन की दिशा

रेलवे में कार्यरत रंजीत कुमार सिंह की पत्नी तारा सिंह एक कुशल गृहणी के रूप में अपना घर संभाल रही थीं. अपने दो बच्चों उमंग सिंह और अनामिका सिंह के साथ खुशियों से भरा जीवन था. बच्चे पढ़ाई में मेहनत कर रहे थे और मां-बाप उन्हें हर संभव सुविधाएं देने में जुटे थे. 18 सितम्बर 2014 की वह काली रात जब अचानक हुई रंजीत की मौत ने जैसे तारा के जीवन की दिशा ही बदल दी. एकाएक पड़े जिम्मेदारियों के बोझ ने इस कुशल गृहणी को घर की सीमा लांघकर बाहर निकलने के लिए मजबूर कर दिया. दोनों बच्चों के भविष्य के लिए पति-पत्नी के एक साथ देखे हुए सपने रातों की नींद उड़ा चुके थे. लेकिन, घर के बाहर की दुनिया काफी सख्त और चुनौतियों से भरी पड़ी है. इसका अहसास उन्हें तब हुआ जब उन्हें अपने छोटे से छोटे काम के लिए भी रेलवे दफ्तर के चक्कर लगाने पड़े. जीवन अचानक जैसे कांटो से भरा हुआ सा लगने लगा. लेकिन तारा ने इन चुनौतियों के बीच अपने बच्चों के भविष्य को ही जीवन का लक्ष्य बना लिया. वह दिन-रात मेहनत कर भी बस अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को स्थापित करने का प्रयास करने लगीं. समय का चक्र अपनी गति से चलता रहा और आज बेटा उमंग रेलवे में कार्यरत है. बेटी अनामिका उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है.

मां हैं आदर्श: उमंग सिंह

मेरी मां मेरी आदर्श हैं. पापा के जाने के बाद उन्होंने हमारे लिए अपनी सारी खुशियां त्याग दीं. हम खुशनसीब हैं कि हमें ऐसी मां मिली है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha