धन के आगे सबकुछ भूल जाते हैं लोगटोकियो (जापान) में स्वामी रामतीर्थ कहीं जा रहे थे कि उन्होंने देखा कि एक इमारत में आग लगी हुई है और लोग उसे बुझाने में जुटे हुए हैं। एक मकान-मालिक, जो करोड़ों की संपत्ति को जलता देख पागल-सा हो गया था। तभी अपना बहुत-सारा कीमती सामान सुरक्षित देख उसे कुछ चेतना आई। अकस्मात उसे ख्याल आया कि उसका इकलौता बेटा तो घर के भीतर ही सो रहा था और वह अंदर ही रह गया है। हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी और घर का भीतरी हिस्सा जलकर खाक हो चुका था। ऐसे में उसके बच्चे के जिंदा रहने की कोई संभावना नहीं बची थी। तब वो इंसान अपना धन संपत्ति आदि भूलकर बच्चे के गम में दहाड़ मारकर रोने लगा।

जिंदगी की मूल वस्तु को बचाना है बहुत जरूरी
स्वामी जी से जब उसका शोक न देखा गया तो उन्होंने उसे सांत्वना दी और आगे बढ़ गए। इसके बाद उन्होंने अपनी डायरी में इस घटना को लिखा कि इस संसार की गति बड़ी निराली है। आज की घटना की तरह हर व्यक्ति अपने कीमती सामान को बचाने की ही फिक्र में लगा रहता है। जो वस्तु दिखायी देती है, वह तो बच जाती है, लेकिन न दिखाई देनेवाली जो मूल वस्तु होती है, वह नष्ट हो जाती है। इससे बाद में मनुष्य पश्चाताप करता रहता है।

नुकसान के बाद विलाप करने से क्या लाभ?उसका ख्याल तो समय पर ही करना चाहिए। कथासार : विपत्ति के समय भी धैर्य नहीं खोना चाहिए। धैर्य से ही जीवन की आत्मिक और भौतिक कीमती चीजों की सुरक्षा हो पाती है।

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Posted By: Chandramohan Mishra