गूगल की कंपनी मोटोरोला ने एक ऐसी परियोजना शुरू करने की घोषणा की है जो उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के हिसाब से स्मार्टफ़ोन बनाने की आज़ादी देगा.


इस परियोजना का नाम होगा 'ऐरा'. इसके तहत उपभोक्ताओं को एक फ़ोन ख़रीदना होगा उसके बाद वो अपनी पसंद और ज़रुरत के हिसाब से बैटरी, स्क्रीन, कीबोर्ड या अन्य सेंसर जोड़ सकेंगे.मोटोरोला इस परियोजना के लिए डच डिज़ायनर डेव हैकेंस के साथ काम कर रही है. हैकेंस ने 'फ़ोनब्लॉक्स' की रचना की है जो मॉड्यूलर फ़ोन की पहली परिकल्पना थी.विशेषज्ञों में इस बात को लेकर कोई एक राय नहीं है की मॉड्यूलर फ़ोन मोबाइल उद्योग में कोई क्रांतिकारी बदलाव ला पाएंगे. हार्डवेयर का एंड्रायडअपने एक ने कहा है कि कंपनी इस परियोजना पर पिछले एक साल से काम कर रही है.कंपनी ने कहा है, "हम मोबाइल के हार्डवेयर के साथ वही करना चाहते हैं जो एंड्रायड ने फ़ोन के सॉफ्टवेयर बनाने वालों के साथ किया."
कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वो अपने उपभोक्ताओं को इस बात की आज़ादी भी देना चाहते हैं, "वो तय करें कि उनका फ़ोन किस चीज़ का बना हो, कैसा दिखता हो, किस तरह काम करता हो और वो उसे कितने लंबे समय तक इस्तेमाल करें."इस परियोजना में इस्तेमाल लाए जाने वाले फ़ोन के बेसिक ढांचे को कंपनी एन्डोस्केलेटन कह रही है और यही ढांचा फ़ोन के तमाम पुर्ज़ों को एक साथ जोड़ेगा .


मोटोरोला जल्द ही डेवेलपर्स को इस फ़ोन के भिन्न हिस्सों को बनाने के लिए आमंत्रित करेगी. कंपनी चंद ही महीनों में मोबाइल डेवलपर्स किट लाने की भी मंशा रखती है.मोटोरोला के इस परियोजना में साथी डच डिज़ायनर डेव हैकेंस के इच्छानुसार बनाए जा सकने वाले फ़ोन की परिकल्पना ने दुनिया में बहुत से लोगों को अपनी तरफ खींचा था.हैकेंस ने अपनी योजना को क्राउड प्रमोटिंग वेबसाइट थंडरक्लैप पर डाला था और जल्द ही उन्होंने अपने पर काम करने के लिए साढ़े नौ लाख लोगों का समर्थन जुटा लिया.मोटोरोला के अनुसार हैकेंस ने इसके लिए लोगों को जमा किया और मोटोरोला ने इस पर गंभीर तकनीकी काम किया.'शोशा'डेविस मर्फी ग्रुप के मुख्य तकनीकी विश्लेषक क्रिस ग्रीन के अनुसार यह परियोजना केवल एक "शोशा " है.ग्रीन कहते हैं, "इसमें कमाल का क्या है. ना ये लोग किसी बड़ी मांग को पूरा करने जा रहे हैं ना ही अपने फ़ोन को खुद बाने में कोई बड़ा लाभ है."सीसीएस इनसाइट के लिए काम करने वाले एक दूसरे मोबाइल विशेषज्ञ बेन वुड को भी इस तरह के फ़ोन के लिए एक बड़े बाज़ार होने की बात पर संदेह है.

वुड कहते हैं, "सुनने में तो यह बड़ा अच्छा लगता है लेकिन इस तरह की चीज़ को हकीकत में उतारने में कई व्यावसायिक चुनौतियां हैं. लोग छोटा अच्छे फ़ोन चाहते हैं और जो फ़ोन अपने आप बनाए जा सकेंगे उनमें इस तरह के फ़ोन बनाना आसान नहीं होगा."वुड के अनुसार अभी तो यह ही बड़ी बात है कि लोग अपने फ़ोन में अपनी मर्ज़ी से बैटरी और स्क्रीन लगा सकें लेकिन उनको तो निकट भविष्य में यह भी नज़दीक नहीं दिखता.

Posted By: Bbc Hindi