हिंदी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के शिखर आलोचक डॉ. नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया.

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PRAYAGRAJ: हिंदी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के शिखर आलोचक डॉ। नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। प्रोफेसर नामवर सिंह को याद करते हुए प्रो। प्रणय कृष्ण ने उन्हें हिंदी का उत्कृष्ट आलोचक बताया। प्रो संतोष भदौरिया ने नामवर सिंह और उनके इलाहाबाद प्रेम को रेखांकित किया। नामवर सिंह के शोध छात्र रहे डॉ। चितरंजन कुमार ने उन्हें एक उत्कृष्ट शिक्षक और जेएनयू जैसी संस्थाओं के निर्माण में केन्द्रीय भूमिका निभाने वाला बताया।

सहयोगियों-छात्रों को आगे किया
डॉ। चितरंजन कुमार ने रेखांकित किया कि नामवर सिंह हिंदी के प्रज्ञावान अजातशत्रु थे। उन्होंने हमेशा सहयोगियों और छात्रों को आगे किया। डॉ वीरेंद्र मीणा ने उनकी पुस्तक हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग पर चर्चा की। अमितेश ने नामवर सिंह के लिए गए साक्षात्कार को याद किया। कहानीकार अनीता गोपेश ने उनके साथ अपने आत्मीय रिश्ते की चर्चा की। उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। फातमी ने उर्दू साहित्य में उनके हस्तक्षेप और गहन अध्ययन के कई उदाहरण दिए। हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो। चंदा देवी ने नामवर सिंह और हिंदी विभाग के संबंधों का उल्लेख किया।

शोक सभा में सभी शामिल
शोक सभा की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो। राजेंद्र कुमार ने कहा कि नामवर सिंह के निधन से हिंदी आलोचना का कंठ अवरुद्ध हो गया। शोक सभा का आरंभ नामवर सिंह के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि से हुआ। इसमें विभाग के समस्त अध्यापकों, शोध छात्रों और सैकड़ो छात्रों ने सहभागिता की। संचालन डॉ। सूर्य नारायण ने किया। इस दौरान विजय रविदास, आशुतोष पार्थेस्वर, अमृता, अनुज, शिव कुमार यादव, राकेश सिंह, प्रो। शिव प्रसाद शुक्ला, राजेश गर्ग आदि उपस्थित रहे।

पिछले तीस सालों से नामवर जी को देख और सुन रहा हूं। सामाजिक और साहित्यिक समाज में उनकी उपस्थिति का गहरा महत्व था। वे समकालीन हिंदी आलोचना के प्रकाश स्तंभ थे। उनके जाने से गहरा अंधेरा महसूस हो रहा है। मुझे उनके कई भाषण आज भी याद आते हैं। वे विलक्षण वक्ता थे। उन्हें मेरा प्रणाम।
प्रो। रतनलाल हांगलू, कुलपति, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
अध्ययनपरक शिक्षा पद्धति की जरुरत
विद्यार्थियों और अध्यापकों को स्वाध्याय करने की उदात्त परंपरा को विकसित करना होगा। क्योंकि विश्व स्तर पर भाषिक अशुद्धियां मौखिक और लिखित रुप में की जा रही हैं। पुस्तकों में अशुद्ध शब्द लेखन हो रहे हैं। उन्हें देखकर अब लगने लगा है कि वस्तुपरक परीक्षा पद्धति को समाप्त कर विषय और अध्ययन परक शिक्षा और परीक्षा पद्धति के प्रति उन्मुख होना होगा। उक्त विचार महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के क्षेत्रीय केन्द्र द्वारा आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कर्मशाला में भाषाविद डॉ। पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कही।

डॉ। नामवर सिंह के नाम समर्पित
प्रख्यात समीक्षक डॉ। नामवर सिंह के नाम समर्पित इस कार्यक्रम के अंत में हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष एवं महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलाधिपति प्रो। नामवर सिंह के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से आए अध्यापक, शोध छात्र तथा इलाहाबाद केंद्र के शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। इस मौके पर कुलपति प्रो। गिरीश्वर मिश्र, डॉ। योगेश दानी, डॉ। आकांक्षा मिश्र, केन्द्र प्रभारी डॉ। विधु खरे दास, डॉ। प्रकाश त्रिपाठी, डॉ। ऋचा आदि मौजूद रहीं।

Posted By: Inextlive