पीएम नरेंद्र मोदी का सरकार चलाने का अंदाज एकदम जुदा है. इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुये उन्‍होंने अब अपनी सरकार को प्रोफेशनल बनाना शुरू कर दिया है. जिसके तहत वह विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण पदों पर एक्‍सपर्ट को हॉयर करेंगे.

एप्वॉइंटमेंट सिस्टम में होगा बदलाव
पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार अब और प्रोफेशनल होगी. जिन पदों पर एक्सपर्ट और टेक्नोक्रेट्स की मांग है, वह इन प्रोफेशनल्स से ही पूरी की जायेगी. फिर चाहे सरकार को उन्हें बाहर से ही क्यों न लाना पड़े. इसके लिये एप्वॉइंटमेंट सिस्टम को भी बदला जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, एप्वॉइंटमेंट तीन से पांच साल के लिये फिक्स होंगी. वहीं दूसरी ओर सैलरी भी बिल्कुल प्राइवेट सेक्टर की तरह ही होगी. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सभी मंत्रालयों को लेटर लिखकर ऐसे पदों की पहचान करने को कहा है. गौरतलब है कि बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि प्रशासनिक सुधार के तहत उच्च पदों पर प्रोफेशनल्स को लायेंगे.
सही टैलेंट का होगा इस्तेमाल
इस कवायद के पीछे मोदी सरकार की तीन मंशायें हैं. पहली, बेहतरीन टैलेंट को को सरकार के शीर्ष पदों पर लाना. दूसरी, लोगों को भागीदारी की भावना का एहसास कराना. ताकि अनुभव और योग्यता होने पर वे भी सरकार में अहम योगदान दे सकें. वहीं तीसरा, ज्यादा सैलरी के लिये प्राइवेट सेक्टर को चुनने वाले युवाओं को सरकार में लाना. डीओपीटी विभाग ने सभी मंत्रालयों को उन पदों की पहचान करने को कहा है, जिन पर एक्सपर्ट चाहिये. इसके अलावा जरूरत के हिसाब से पद, दायित्व तय होंगे. योग्यता और अनुभव संबंधी अहर्तायें तय होंगी. सेलेक्शन की जिम्मेदारी यूपीएससी की रहेगी. जो IAS और IPS समेत अन्य अफसरों को चुनता है. इसके साथ ही सरकारी कर्मचारी को आवेदन के समय बताना होगा कि वे सामान्य वेतन चाहते हैं या प्राइवेट सेक्टर के बराबर. हालांकि इस निसम के तहत अगर कर्मचारी को प्राइवेट सेक्टर के बराबर सैलरी चाहता है, तो उसे बाद में उसे स्वंय ही इस्तीफा देना होगा.

पहले हो चुकी है सिफारिश

छठे वेतन आयोग ने 2008 में शीर्ष पदों पर एक्सपर्ट की नियुक्ति की सिफारिश की थी. इस आयोग ने यह भी कहा था कि अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के लेवल के ऐसे पदों को पहचाना जाये. जहां टेक्निकल और एक्सपर्ट की जरूरत हो. इन पदों को सरकार के अंदर या बाहर से भरा जाये.   

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari