एक लंबे समय से दर्शकों को है एक खास लड़की और उसके पिता का इंतजार्. इस खास लड़की का नाम है 'पीकू'. दरअसल बॉलीवुड फ‍िल्‍म 'पीकू' में दो खास किरदारों के बारे में काफी चर्चाएं सुनी हैं. पहली तो पीकू दीपिका पादुकोण खुद और दूसरी पीकू के पिता यानी उसके बाबा अमिताभ बच्‍चन . इनके अलावा एक और खास चरित्र है फ‍िल्‍म में जिसको देख आपके होठों की मुस्‍कान और भी ज्‍यादा बढ़ जाएगी और वह है राणा इरफान खान .

कौन है पीकू
आइए सबसे पहले बात करते हैं पीकू के बारे में. पीकू एक बड़े शहर की काफी साधारण और मजबूत व खुले विचारों वाली लड़की है. पेशे से पीकू आर्किटेक्‍ट है, लेकिन साथ ही में एटीट्यूड इतना है कि अपनी शर्तों पर ही दिल्‍ली में रहती है. इन सबके बावजूद वह जमीन से जुड़ी लड़की है. पीकू अपने पिता की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ती.
आधी कहानी सुनकर ही दीपिका ने कह दी हां
बताया जाता है कि फ‍िल्‍म की कहानी लोगों को कितना आकर्षित कर सकती है, इसका हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं. इस बारे में जानकारी है कि एक्‍ट्रेस दीपिका पादुकोण ने शुजित सरकार के निर्देशन में बन रही इस फ‍िल्‍म को साइन करने के लिए इसकी पूरी कहानी तक नहीं सुनी थी. बताया जा रहा है कि उन्‍होंने इसकी सिर्फ आधी ही कहानी सुनी और बिना अटके तुरंत इसके लिए हां, बोल दिया. दीपिका इस बारे में खुद कहती हैं कि जिस समय शुजित सरकार फिल्म की कहानी सुनाने उनके पास आए थे, उन्‍होंने कहानी तो पूरी सुनी ही नहीं... सिर्फ एक ही सीन सुना और झट से उन्‍होंने हां कह दी. उनका कहना था कि उसका सुना हुआ सीन इतना मजेदार था कि उसके आगे कुछ और सुनने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई. फ‍िल्‍म के नाम को लेकर शुजित कहते हैं कि अभी भी कुछ लोगों के मन में संदे‍ह है. संदेह पीकू और पीके का. ऐसे में शुजित मुस्‍कुराते हुए बोले कि दोनों फ़ि‍ल्‍में अलग हैं. पीकू बंगाली में पेट नेम होता है. यह लड़का और लड़की दोनों के लिए इस्‍तेमाल होता है. फ‍िल्‍म में पीकू का किरदार निभा रही हैं दीपिका पादुकोण.
बैनर : एमएसएम मोशन पिक्चर्स, सरस्वती एंटरटेनमेंट, राइजिंग सन फिल्म्स प्रोडक्शन्स
निर्माता : एनपी सिंह, रॉनी लहरी, स्नेहा राजानी
निर्देशक : सुजीत सरकार
कलाकार : अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण, इरफान खान, मौसमी चटर्जी, जीशु सेनगुप्ता, रघुवीर यादव

कुछ ऐसा कहती हैं दीपिका
फ‍िल्‍म की एक्‍ट्रेस दीपिका का फ‍िल्‍म को लेकर कहना है कि किरदार और फिल्म के रूप में यह न सिर्फ भारतीय बल्कि दुनियाभर के दर्शकों से जुड़ी है. यह फ‍िल्‍म एक तरह से बाप और बेटी के रिश्ते पर एक खूबसूरत व मजेदार विचार है. इतना ही नहीं यह बताती है कि जिस समय हमारे माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं, उस समय हम लोगों को उनकी देखभाल कैसे करनी होगी. इसके साथ ही वह यह भी बताती हैं कि फ‍िल्म में नाम पीकू की अहम भूमिका है. फ‍िल्‍म पीकू, उसके हर काम करने की कोशिश करना, परिवार और उसकी सामाजिक जिंदगी पर नजर डालती है. ऐसे में उनका मानना है कि हर किसी के अंदर कहीं न कहीं पीकू बसती है.

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