पीकू बिल्‍कुल किसी गर्म चिकन शोरबा की तरह है. ये वो भोजन है जिसे आप जानते हैं कि यह आपको अंदर ये गर्म भी कर देगा और आपके पाचन तंत्र को ख्‍ाराब भी नहीं करेगा. हो सकता है कि ये वो डिश हो जो फ‍िल्‍म के एकमात्र प्रमुख किरदार पर पूरी तरह से सूट करती हो. 70 साल के बुजुर्ग भाष्‍कोर बेनर्जी अमिताभ बच्‍चन जो हमेशा कब्ज की दिक्‍कत से घिरे रहते हैं. ये समस्‍या उनके लिए काफी गंभीर है.

आखिर कौन है ये पीकू
उनकी बेटी है पीकू (दीपिका पादुकोण). पीकू की जिंदगी लगभग-लगभग पिता के बार-बार ट्वायलट जाने के आसपास ही घूमती नजर आती है. यह उसके कॅरियर, मूड और यहां तक की शादी के लिए किसी लड़के से मिलने तक की मीटिंग पर भी बहुत बड़ा असर डालती है. पीकू एक उज्ज्वल पेशेवर है. उसके काम से उसका कॅरियर भी काफी अच्‍छा दिखाई पड़ता है. वह आजाद विचारों वाली महिला है, जो अपने बिजनेस पार्टनर के साथ सेक्‍स संबंधों को लेकर पूरी तरह से कूल है. हालांकि कहानी की जड़ ये है कि फ‍िल्‍म में पीकू को लेकर विरोधाभास है. वह है आदर्श भारतीय बेटी है, जो इस बात को बहुत अच्‍छे से जानती है कि उसके पिता अपने मतलब के लिए उसकी शादी नहीं कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्‍योंकि शादी के बाद वह अपने पिता को छोड़कर चली जाएगी. ऐसे में पीकू अपने मन की कुंठा को अपने क्रेजी पिता और अपनी मौसी (मौसमी चटर्जी) पर हमेशा बड़बड़ करके निकाल देती है. ये सनकी और अकड़ू मौसी एक तरह से हर किसी को चकमा देने में लगी रहती है. इन सबके साथ एंट्री होती है राना चौधरी (इरफान खान) की. राना एक हारा हुआ इंजीनियर है, लेकिन काफी धैर्यवान आदमी है. वह अपनी जिंदगी के काफी गड़बड़ होने के बाद भी अपने बे‍हतरीन सेंस ऑफ ह्यूमर को नहीं भूलते.
पिता और बेटी के लाजवाब संबंधों की कहानी
फ‍िल्‍म कई स्‍तर पर चलती है. यह एक दुर्लभ कहानी है, जो पिता और बेटी के बीच लाजवाब संबंधों को लेकर गुथी हुई है. फ‍िल्‍म में इस बात को पूरी तरह से दिखाया भी गया है, बिना उसको नाटकीय बनाए. फ‍िल्‍म की पटकथा इतनी साफ है कि आप फ‍िल्‍म को देखते-देखते बनर्जी फैमिली के बीच कहीं खो जाएंगे. कुछ जगहों पर कहानी काफी फ्लैट और सिंपल हो चली, लेकिन तभी इरफान की एंट्री के साथ जैसे दर्शकों में नया जोश आ जाता है.
फ‍िल्‍म : पीकू  
बैनर : एमएसएम मोशन पिक्चर्स, सरस्वती एंटरटेनमेंट, राइजिंग सन फिल्म्स प्रोडक्शन्स
निर्माता : एनपी सिंह, रॉनी लहरी, स्नेहा राजानी
निर्देशक : सुजीत सरकार
कलाकार : अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण, इरफान खान, मौसमी चटर्जी, जीशु सेनगुप्ता, रघुवीर यादव

   

दो सुपरस्‍टार्स को साथ देखना होगा बेहतरीन अनुभव
शुजित सरकार ने बंगाली सभ्‍यता को स्‍क्रीन पर काफी सहूलियत से उतारा है. स्‍क्रीन प्‍ले के साथ-साथ डायलॉग्‍स भी काफी बेहतरीन हैं. फ‍िल्‍म में कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि किसी सीन में बंगालीपन कुछ ज्‍यादा दिखाया गया हो. फ‍िल्‍म में सभी किरदारों का काम काफी अच्‍छा रहा है. बात करें दीपिका के काम की तो फ‍िल्‍म के पहले हाफ में उन्‍होंने थोड़ा सा बोर जरूर किया है, लेकिन दूसरे हाफ में उनकी भी एक्टिंग गजब की रही. कुल मिलाकर एक्टिंग की दुनिया के पावरहाउस कहे जाने वाले दो सुपरस्‍टार्स (इरफान खान और अमिताभ बच्‍चन) ने फ‍िल्‍म में जैसे हर तरह से जान फूंक दी. इन दोनों को साथ में देखना एक बेहतरीन अनुभव होगा. इनमें से इरफान तो एक बेहतरीन एक्‍टर हैं ही. फ‍िल्‍म के लगभग हर सीन के साथ इन्‍होंने पूरा न्‍याय किया है. वहीं बिग बी के लिए तो कुछ कहने को ही शब्‍द कम पड़ जाते हैं. इस फ‍िल्‍म को तब आप और भी ज्‍यादा प्रेम से देखें, अगर आप बंगाली हैं तो. आपके पूरे ढाई घंटे हंसते-हंसते बीतेंगे.      
Review by : Subha Shetty-Saha

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