कीनिया यात्रा के दौरान हवाई जहाज़ में हमारी मुलाकात मोज़ांबिक में आठ साल से कारोबार कर रहे हैदराबाद के रघुराम रेड्डी से हुई. पिछले साल ही उनका अपहरण हो गया था.


मापुटो के जिमपेट इंडस्ट्रियल एरिया में एक कंपनी चलाने वाले रघुराम रेड्डी को छह दिन तक अपहर्ताओं ने अपनी क़ैद में रखा था. उनसे 10 लाख डॉलर (करीब छह करोड़ रुपये) की फ़िरौती मांगी गई थी.रघुराम इतना पैसा नहीं दे सकते थे और मोज़ांबिक में मौजूद भारतीय दूतावास से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली.उनके घरवालों ने जैसे-तैसे उनकी रिहाई के एवज़ में 20 हज़ार डॉलर (12 लाख रुपये) दिए तब जाकर उन्हें अपहर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया जा सका.बीबीसी से बातचीत में रघुराम रेड्डी कहते हैं कि मोज़ांबिक के बेहतर होते हालात के कारण उन्होंने कुछ साल पहले वहाँ कारोबार की शुरुआत की थी.कुछ साल तक उनका अनुभव अच्छा रहा और लोग भी दोस्ताना तरीके से मिले लेकिन रेड़्डी के अनुसार पिछले दो सालों से उन्हें और उन जैसे दूसरे कई भारतीयों को काफ़ी दिक़्क़तें आ रही हैं.
वो कहते हैं, "भारतीयों और एशियाइयों को खासकर ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यहाँ अपहरण और हमले जैसी घटनाएं हो रही है. हमसे घर पर और रास्ते में मोबाइल वगैरह छीन लिया जाता है या मारपीट की जाती है. पिछले दो सालों से मोजांबिक में क़ानून-व्यवस्था ठीक नहीं है. यहां स्थिति बहुत खराब हो गई है. हमने पुलिस से भी शिकायत की लेकिन यहां पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं करती.’अफ़्रीकी देश मो़ज़ांबिक में रह रहे भारतीयों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में उनकी सुरक्षा को खतरा बढ़ गया है लेकिन सरकारी अधिकारी दावा करते हैं कि देश में निवेश बढ़ाने के लिए वो हर संभव प्रयास कर रहे हैं जिसमें कानून-व्यवस्था को सुधारना शामिल है.छह दिन तक बंधक रखारघुराम रेड्डी अकेले भारतीय नहीं हैं जिनके साथ ऐसी घटना हुई. उनका कहना है कि मोज़ांबिक में बहुत से भारतीयों का अपहरण हो चुका है और उन्हें लगता है कि भारतीय अपहर्ताओं के निशाने पर हैं.रघुराम के मुताबिक़, "चीनी लोग व्यापार में नहीं हैं. मोज़ांबिक में भारतीय व्यापारी निर्माण और कारोबार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इसके अलावा पैसे के लेन-देन में भारतीय और पाकिस्तानी हैं. इसीलिए उन्हें निशाना बनाया जाता है."वह कहते हैं, "मोज़ांबिक में भारतीय डरे हुए हैं. जब तक सही कार्रवाई नहीं होती, ये वारदातें नहीं रुकेंगी."रेड्डी का कहना है कि इसी डर की वजह से कई भारतीय वहाँ नहीं रहते और मोज़ांबिक आते-जाते रहते हैं और कई तो कारोबार बंद कर वापस चले गए हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh